"नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के बाद से देश में किसान और खेत मजदूरों की खुदकुशी के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 2022 में देश में 1,71,000 लोगों ने सुसाइड किया। यानी हर दिन 468 लोगों ने खुदकुशी की। इनमें 31 लोग किसान या खेत मजदूर थे। जी हां, हर दिन करीब 31 मजदूरों या किसानों ने सुसाइड किया। यह संख्या 2021 की तुलना में 3.7% ज्यादा है। UP में आत्महत्या के मामले में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। यहां 2021 की तुलना में किसान आत्महत्या के मामलों में 42.13% की वृद्धि हुई है।"
अब कहने को तो भारत में कृषि और किसानों को लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते हैं और बड़ी बड़ी योजनाएं चलाई जा रही है पर इसके बावजूद तथ्य यह है कि देश में हर घंटे एक से भी ज्यादा किसान या कृषि मजदूर मजबूर होकर आत्महत्या कर रहे हैं। 3 दिसंबर 2023 को राष्ट्रीय़ अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की तरफ से जारी ताजा आंकड़े इस बात का खुलासा करते हैं। खास यह है कि किसानों की आत्महत्या के मामलों में, 2020 के बाद से निरंतर बढ़ोतरी हुई है। NCRB के मुताबिक, पिछले साल 2022 में देश भर में किसान आत्महत्या के लगभग 11,290 मामले सामने आए। यह साल 2021 में हुई आत्महत्या के आंकड़ों से 3.7 फीसदी अधिक है। 2021 में 10,281 मौतें दर्ज की गई थी। जबकि 2020 के लिहाज से देखें तो किसान मजदूर के खुदकुशी के मामलों में 5.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
एनसीआरबी की तरफ से जारी 2022 के आंकड़ों को देखें तो देश में हर घंटे आत्महत्या करने से एक से ज्यादा किसान की मौत होती है। इससे पहले 2019 में भी किसानों की आत्महत्या में बढ़ोतरी हुई थी। पिछले कुछ वर्षों में कृषि को लेकर जो आंकड़े आए हैं वो कृषि के खेती के लिहाज से अच्छे नहीं है। 2022 भी कृषि के लिहाज से अच्छा नहीं रहा, क्योंकि इस साल कई राज्यों मे मॉनसून ने धोखा दिया। कई राज्यों में सूखे की स्थिति रही और कई राज्यों में बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ।
*कुल मौतों में 53 फीसदी खेतिहर मजदूर*
एनसीआरबी के आंकड़ों में एक और आंक़ड़ा आय़ा है जो काफी चिंताजनक है। क्योंकि आंकड़ों के मुताबिक किसानों की तुलना में खेतीहर मजदूरों की मौत का आंकड़ा अधिक है। क्योंकि 2022 में आत्महत्या से हुई 11,290 मौतों में 53 फीसदी लगभग 6,083 मृतक कृषि मजदूर थे। यह आंकड़े इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि एक औसत किसान परिवार की निर्भरता खेतों के उत्पाद से अधिक कृषि मजदूरी पर बढ़ती जा रही है। 2021 में जारी किए गए नेशनल सैंपल सर्वे में यह बात सामने आई थी।
*खेती और पशुधन से किसानों की कमाई 2013 से लगातार घट रही*
सैंपल सर्वे में यह पाया गया था कि एक किसान परिवार की अधिकतम आय 4,063 रुपये थी, जो कृषि श्रम के बदले में मिलने वाली मजदूरी से आती थी। जबकि खेती और पशुधन से किसानों की कमाई का 2013 से लगातार घटता ही गया। कुल मिलाकर किसानों की आय में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। सर्वेक्षण, जो सबसे हालिया आधिकारिक डेटा है, से पता चला कि 2019 में मासिक आय केवल 10,218 रुपये प्रति माह थी।
*UP में सबसे तेजी से बढ़े किसान मजदूर की आत्महत्या के मामले*
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 6,083 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की। इनमें 5,472 पुरुष और 611 महिलाएं थीं। जबकि आत्महत्या करने वाले 5,207 किसानों में से 4,999 पुरुष और 208 महिलाएं थीं। हालांकि सबसे अधिक आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र से आए यहां पर 4,248 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की। इसके बाद कर्नाटक में 2,392, आंध्र प्रदेश में 917, तमिलनाडु में 728 और मध्य प्रदेश में 641 मामले सामने आए। लेकिन आत्महत्या के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि उत्तर प्रदेश (UP) में देखी गई। यहां पर 2021 की तुलना में किसान आत्महत्या के मामलों में 42.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में 31.65 फीसदी की वृद्धि हुई। जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, चंडीगढ़, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी जैसे कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों/किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों के आत्महत्या के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं।
*2022 में हर घंटे 19 लोगों ने की आत्महत्या: NCRB*
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट एक्सीडेंटल डेथ्स एंड स्यूसाइड्स इन इंडिया 2022 के अनुसार, साल 2021 में 1,64,033 आत्महत्याओं के मुकाबले साल 2022 में 1,70,924 आत्महत्याएं हुई हैं। इनमें महाराष्ट्र (13.3 प्रतिशत), तमिलनाडु (11.6 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (9 प्रतिशत), कर्नाटक (8 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (7.4 प्रतिशत) की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। इस लिहाज से देखें तो भारत में साल 2022 में हर घंटे 19 लोगों ने आत्महत्या की। व्यवसायिक नजरिए से देखें तो साल 2022 में आत्महत्या करने वालों में सबसे अधिक 26.4 प्रतिशत हिस्सेदारी दिहाड़ी मजदूरों की रही, जबकि 14.8 प्रतिशत हिस्सेदारी गृहणियों की थी। 2021 में इनकी हिस्सेदारी क्रमश: 25.6 और 14.1 प्रतिशत थी।
साल 2022 में अखिल भारतीय आत्महत्या दर (एक लाख की आबादी पर आत्महत्या) 12.4 रही जो इससे पहले 12 थी। 2022 में सर्वाधिक आत्महत्या दर वाले राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सिक्किम (43.1), अंडमान एवं निकोबार द्वीप (42.8), पुदुचेरी (29.7), केरल (28.5) और छत्तीसगढ़ (28.2) शामिल हैं। देशभर के 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में आत्महत्या दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही जबकि 17 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में यह दर राष्ट्रीय औसत से कम थी। इस मामले में सबसे बेहतर स्थिति बिहार, मणिपुर, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप और उत्तर प्रदेश की रही।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में हुई 18.4 प्रतिशत आत्महत्याओं की वजह बीमारियां रहीं। 12 राज्यों में व केंद्र शासित प्रदेशों में बीमारियों की वजह से आत्महत्या की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही। अंडमान एवं निकोबार द्वीप, पंजाब, तमिलनाडु, सिक्किम और गोवा में बीमारियों की वजह से आत्महत्या की दर सबसे अधिक थी।
*फैमिली प्रॉब्लम-बीमारी सुसाइड की सबसे बड़ी वजह*
आत्महत्या के आधा से ज्यादा मामलों में फैमिली प्रॉब्लम और बीमारी से परेशान होकर लोगों ने अपनी जान दे दी। लव अफेयर व शादी में प्रॉब्लम के कारण 9.3% सुसाइड हुए। 4.1% मामलों में लोगों ने कर्ज या दिवालियापन के कारण आत्महत्या की।
*दिल्ली में आत्महत्या के मामले 21% बढ़े*
महानगरों की बात करें तो दिल्ली में सबसे ज्यादा 3,367, बेंगलुरु में 2,313, चेन्नई में 1,581 और मुंबई में 1,501 लोगों ने पिछले साल आत्महत्या की। दिल्ली में 2021 की तुलना में आत्महत्या के मामले 21% बढ़े हैं। देश में 2021 के मुकाबले यह आंकड़ा 4.2% बढ़ा है।
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अब कहने को तो भारत में कृषि और किसानों को लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते हैं और बड़ी बड़ी योजनाएं चलाई जा रही है पर इसके बावजूद तथ्य यह है कि देश में हर घंटे एक से भी ज्यादा किसान या कृषि मजदूर मजबूर होकर आत्महत्या कर रहे हैं। 3 दिसंबर 2023 को राष्ट्रीय़ अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की तरफ से जारी ताजा आंकड़े इस बात का खुलासा करते हैं। खास यह है कि किसानों की आत्महत्या के मामलों में, 2020 के बाद से निरंतर बढ़ोतरी हुई है। NCRB के मुताबिक, पिछले साल 2022 में देश भर में किसान आत्महत्या के लगभग 11,290 मामले सामने आए। यह साल 2021 में हुई आत्महत्या के आंकड़ों से 3.7 फीसदी अधिक है। 2021 में 10,281 मौतें दर्ज की गई थी। जबकि 2020 के लिहाज से देखें तो किसान मजदूर के खुदकुशी के मामलों में 5.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
एनसीआरबी की तरफ से जारी 2022 के आंकड़ों को देखें तो देश में हर घंटे आत्महत्या करने से एक से ज्यादा किसान की मौत होती है। इससे पहले 2019 में भी किसानों की आत्महत्या में बढ़ोतरी हुई थी। पिछले कुछ वर्षों में कृषि को लेकर जो आंकड़े आए हैं वो कृषि के खेती के लिहाज से अच्छे नहीं है। 2022 भी कृषि के लिहाज से अच्छा नहीं रहा, क्योंकि इस साल कई राज्यों मे मॉनसून ने धोखा दिया। कई राज्यों में सूखे की स्थिति रही और कई राज्यों में बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ।
*कुल मौतों में 53 फीसदी खेतिहर मजदूर*
एनसीआरबी के आंकड़ों में एक और आंक़ड़ा आय़ा है जो काफी चिंताजनक है। क्योंकि आंकड़ों के मुताबिक किसानों की तुलना में खेतीहर मजदूरों की मौत का आंकड़ा अधिक है। क्योंकि 2022 में आत्महत्या से हुई 11,290 मौतों में 53 फीसदी लगभग 6,083 मृतक कृषि मजदूर थे। यह आंकड़े इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि एक औसत किसान परिवार की निर्भरता खेतों के उत्पाद से अधिक कृषि मजदूरी पर बढ़ती जा रही है। 2021 में जारी किए गए नेशनल सैंपल सर्वे में यह बात सामने आई थी।
*खेती और पशुधन से किसानों की कमाई 2013 से लगातार घट रही*
सैंपल सर्वे में यह पाया गया था कि एक किसान परिवार की अधिकतम आय 4,063 रुपये थी, जो कृषि श्रम के बदले में मिलने वाली मजदूरी से आती थी। जबकि खेती और पशुधन से किसानों की कमाई का 2013 से लगातार घटता ही गया। कुल मिलाकर किसानों की आय में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। सर्वेक्षण, जो सबसे हालिया आधिकारिक डेटा है, से पता चला कि 2019 में मासिक आय केवल 10,218 रुपये प्रति माह थी।
*UP में सबसे तेजी से बढ़े किसान मजदूर की आत्महत्या के मामले*
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 6,083 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की। इनमें 5,472 पुरुष और 611 महिलाएं थीं। जबकि आत्महत्या करने वाले 5,207 किसानों में से 4,999 पुरुष और 208 महिलाएं थीं। हालांकि सबसे अधिक आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र से आए यहां पर 4,248 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की। इसके बाद कर्नाटक में 2,392, आंध्र प्रदेश में 917, तमिलनाडु में 728 और मध्य प्रदेश में 641 मामले सामने आए। लेकिन आत्महत्या के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि उत्तर प्रदेश (UP) में देखी गई। यहां पर 2021 की तुलना में किसान आत्महत्या के मामलों में 42.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में 31.65 फीसदी की वृद्धि हुई। जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, चंडीगढ़, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी जैसे कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों/किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों के आत्महत्या के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं।
*2022 में हर घंटे 19 लोगों ने की आत्महत्या: NCRB*
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट एक्सीडेंटल डेथ्स एंड स्यूसाइड्स इन इंडिया 2022 के अनुसार, साल 2021 में 1,64,033 आत्महत्याओं के मुकाबले साल 2022 में 1,70,924 आत्महत्याएं हुई हैं। इनमें महाराष्ट्र (13.3 प्रतिशत), तमिलनाडु (11.6 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (9 प्रतिशत), कर्नाटक (8 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (7.4 प्रतिशत) की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। इस लिहाज से देखें तो भारत में साल 2022 में हर घंटे 19 लोगों ने आत्महत्या की। व्यवसायिक नजरिए से देखें तो साल 2022 में आत्महत्या करने वालों में सबसे अधिक 26.4 प्रतिशत हिस्सेदारी दिहाड़ी मजदूरों की रही, जबकि 14.8 प्रतिशत हिस्सेदारी गृहणियों की थी। 2021 में इनकी हिस्सेदारी क्रमश: 25.6 और 14.1 प्रतिशत थी।
साल 2022 में अखिल भारतीय आत्महत्या दर (एक लाख की आबादी पर आत्महत्या) 12.4 रही जो इससे पहले 12 थी। 2022 में सर्वाधिक आत्महत्या दर वाले राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सिक्किम (43.1), अंडमान एवं निकोबार द्वीप (42.8), पुदुचेरी (29.7), केरल (28.5) और छत्तीसगढ़ (28.2) शामिल हैं। देशभर के 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में आत्महत्या दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही जबकि 17 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में यह दर राष्ट्रीय औसत से कम थी। इस मामले में सबसे बेहतर स्थिति बिहार, मणिपुर, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप और उत्तर प्रदेश की रही।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में हुई 18.4 प्रतिशत आत्महत्याओं की वजह बीमारियां रहीं। 12 राज्यों में व केंद्र शासित प्रदेशों में बीमारियों की वजह से आत्महत्या की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही। अंडमान एवं निकोबार द्वीप, पंजाब, तमिलनाडु, सिक्किम और गोवा में बीमारियों की वजह से आत्महत्या की दर सबसे अधिक थी।
*फैमिली प्रॉब्लम-बीमारी सुसाइड की सबसे बड़ी वजह*
आत्महत्या के आधा से ज्यादा मामलों में फैमिली प्रॉब्लम और बीमारी से परेशान होकर लोगों ने अपनी जान दे दी। लव अफेयर व शादी में प्रॉब्लम के कारण 9.3% सुसाइड हुए। 4.1% मामलों में लोगों ने कर्ज या दिवालियापन के कारण आत्महत्या की।
*दिल्ली में आत्महत्या के मामले 21% बढ़े*
महानगरों की बात करें तो दिल्ली में सबसे ज्यादा 3,367, बेंगलुरु में 2,313, चेन्नई में 1,581 और मुंबई में 1,501 लोगों ने पिछले साल आत्महत्या की। दिल्ली में 2021 की तुलना में आत्महत्या के मामले 21% बढ़े हैं। देश में 2021 के मुकाबले यह आंकड़ा 4.2% बढ़ा है।
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