यूपी: घर में पड़ रहे थे फाके, किसान ने आत्महत्या कर ली

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 28, 2022
भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन सबसे बड़ी विडंबना है कि कृषि में घाटे के चलते मुफलिसी के शिकार हजारों किसान हर साल अपनी जान गंवा देते हैं। ताजा मामला यूपी के जिला जालौन से आया है जहां एक किसान ने गरीबी से तंग आकर अपनी जान दे दी। 



घर में मुफ्त राशन तो था, लेकिन दूध, सब्जियां, तेल और गैस खरीदने के रुपये नहीं थे। 4 बेटियां और 6 महीने का बच्चा दो दिन से भूखे। कर्ज में डूबे किसान ने आत्महत्या कर ली। यूपी के जालौन में गरीब किसान ने खेती में दो साल से हो रहे नुकसान और कर्ज के बोझ के बीच जीने से ज्यादा आत्महत्या करना सही समझा। किसान की 4 बेटियां और 6 महीने का दुधमुंहा बच्चा है। आगामी 14 जून को उसकी छठी के कार्यक्रम की तैयारी थी। 

द् मूकनायक की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान के बैंक अकाउंट में 3456 थे, जिसमें उसने तीन हजार के कार्ड छपवाकर बंटवा दिए। कोटे से सरकारी राशन मिला था। गैस, तेल, सब्जियां और दलहन खरीदने के लिए पैसे नहीं बचे थे। खेती के लिए लिया गया कर्ज पहले से ही बोझ बन गया था। इसलिए किसी से पैसे की व्यवस्था भी नहीं हो सकी। इन सभी कारणों के बीच उसने यह कदम उठाया।

यूपी के जालौन के कुठौंदा बुजुर्ग में देव सिंह और उनका परिवार रहता है। पारिवारिक बँटवारे में देव के हिस्से में कच्चे मकान का एक कमरा आया था। देव सिंह के परिवार में उनकी पत्नी नीतू, चार बेटियां शिवानी (10), अनुष्का (7), जाह्नवी (4), परिधि (2) और एक दुधमुंहा बेटा अभय (6 माह) हैं। देव सिंह के बड़े भाई दयाशंकर ने बताया कि, “देव सिंह बहुत मेहनती था। लगभग दो साल से उसे खेती में लगातार नुकसान हो रहा था। उसने खेती के लिए गांव के लोगों और रिश्तेदारों से लगभग ढाई लाख का कर्ज ले रखा था। खेती में नुकसान होने के कारण वह घर चलाने के लिए मजदूरी भी करता था। लेकिन कर्ज में डूबने के चलते मानसिक रूप से परेशान चल रहा था, इसलिए काम करने की भी हिम्मत टूटती जा रही थी।”

एक ही बीघे थी जमीन, फसल के नुकसान से बढ़ा मानसिक दबाव
देव सिंह के बड़े भाई दयाशंकर ने बताया कि, देव सिंह के पास 1 बीघा जमीन था। परिवार का भरण पोषण करने के लिए वह बटाई पर लेकर खेती करता था। उसने साहूकारों से कर्ज भी ले रखा था। इसके चलते वह मानसिक रूप से टूट चुका था, जिस कारण उसने इतना बड़ा कदम उठाया।

बैंक खाते में बचे हैं मात्र 546 रुपये
देव सिंह का खाता जालौन की आर्यावर्त बैंक शाखा में है। 18 मई तक 3546 रुपए जमा थे। 19 मई को देव सिंह ने 3 हजार निकाल लिए थे, जिससे बेटे की छठी के कार्ड छपवाए थे। इसके बाद उसके खाते में मात्र 546 रुपये ही रह गए थे। घर में भी पैसे न होने के कारण आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही थी।

14 जून को थी बेटे की छठी, रिश्तेदारी में बंट गए थे कार्ड
देव सिंह की पत्नी नीतू ने बताया कि, उनके छह माह के बेटे की 14 जून को छठी थी। सभी रिश्तेदारी में कार्ड भी बट चुके थे, लेकिन घर में खाने तक को न होने के चलते वह परेशान थे। इस कारण उन्होंने इस तरह का कदम उठाया है, “दो भाइयों में सवा बीघा जमीन थी, जिसमें घर परिवार का भरण पोषण सही तरीके से नहीं हो पा रहा था,” उन्होंने बताया।

लेखपाल को भेजकर कराई जा रही जांच
जालौन के उपजिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह का कहना है कि, किसान देव सिंह की मौत की जानकारी उन्हें मिली है। उन्होंने लेखपाल को भेजकर इस मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं, लेखपाल द्वारा रिपोर्ट आते ही जो भी उचित मुआवजा होगा परिवार को दिलाया जाएगा।

किसान आत्महत्या में महाराष्ट्र अव्वल
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की सबसे ज्यादा खबरें आती हैं। एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में  जनवरी से नवंबर 2021 तक 11 महीने की अवधि में 2,498 किसानों ने आपनी जान दे दी। 2020 में, 2,547 कर्ज में डूबे किसानों ने आत्महत्या की थी।

राज्य के राजस्व विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार की ऋण माफी योजनाओं के बावजूद, किसान ऋण चुकाने में असमर्थता के लिए आत्महत्या करना जारी रखते हैं। क्षेत्र-वार औरंगाबाद में 2021 में 11 महीने की अवधि में 804 आत्महत्याएं देखी गईं और नागपुर संभाग में 309 मामले दर्ज किए गए। पिछले दो वर्षों में कोंकण संभाग में कोई आत्महत्या नहीं हुई। टीओआई के मुताबिक, आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे ने कहा, "कर्जमाफी और किसानों के लिए कई अन्य योजनाओं के बाद भी, आत्महत्या दर में कोई बड़ी कमी नहीं देखी गई है क्योंकि 2020 में 2,547 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि 2,498 ने जनवरी से नवंबर 2021 तक 11 महीनों में अपना जीवन समाप्त कर लिया।"  

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