हर दिन, हर त्योहार, रोज़मर्रा के प्यार, सम्मान और भाईचारे की कई कहानियाँ लेकर आता है
नफरत का शोर। तो यह दीवाली थी, 24 अक्टूबर, सोमवार, जब दोपहर 2 बजे। फेसबुक यूजर मेघा जोशी जो तस्वीरें शेयर कीं वे हर अमनपसंद जन के दिल को सुकून पहुंचाने वाली थीं।
"दो मुस्लिम सहायिकाएं बाहर जाती हैं और अपनी मेहनत की कमाई से फूल और रंगोली बनाती हैं और अपने मालिक के घर के दरवाजे पर लक्ष्मी के पैर बनाती हैं।
नियोक्ता, गद्गद है कि वास्तव में उत्सव क्या है। वह हैरान है और भावुक भी।"
अच्छी खबर ही असली खबर होती है और यह हमारे आसपास हर दिन होती है।
शुभ दीवाली!
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नियोक्ता, गद्गद है कि वास्तव में उत्सव क्या है। वह हैरान है और भावुक भी।"
अच्छी खबर ही असली खबर होती है और यह हमारे आसपास हर दिन होती है।
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