बंद होने लगे सरकारी अंग्रेजी स्कूल

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: August 8, 2018
मध्यप्रदेश में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम का स्कूल बनाने की योजना नाकाम होने लगी है।

जबलपुर में ऐसे 5 सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम का बनाया गया था लेकिन व्यवस्था की कमी के चलते इनमें से 4 स्कूल बंद हो चुके हैं।


(स्त्रोत: नई दुनिया जागरण)

2015-16 में सरकार ने योजना बनाई थी कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को निजी स्कूलों की तरह अंग्रेजी माध्यम में बदला जाए, लेकिन सरकार ने न तो अंग्रेजी पढ़ाने और जानने वाले शिक्षक नियुक्त किए, न ही इन स्कूलों में कोई अन्य सुविधा बढ़ाई। नतीजतन इन स्कूलों की बदहाली जारी रही और ये बंद होने लगे।

नईदुनिया के मुताबिक पहले साल तो इन स्कूलों में करीब 20 छात्रों ने दाखिला भी लिया था, लेकिन स्कूलों की हालत देखकर, अभिभावकों ने इनसे अपने बच्चों को दूर ही रखना बेहतर समझा। वैसे भी ये स्कूल केवल नाम के ही अंग्रेजी स्कूल थे और ये बात अभिभावकों को भी समझ में आ गई और बच्चों को भी।

जबलपुर में ऐसे 5 अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू किए गए थे, जिनमें से अब 4 बंद हो चुके हैं।

जबलपुर में फिलहाल केवल बेलबाग का स्कूल ही चल रहा है जिसमें करीब 70 बच्चे हैं। बाकी स्कूलों में दाखिला लेने में बच्चों ने कोई रुचि नहीं दिखाई।

स्कूल शिक्षा विभाग ने छात्र संख्या बढ़ाने के प्रयास भी दिखावटी तौर पर शुरू किए, लेकिन उनका कुछ नतीजा नहीं निकला।

इन स्कूलों को निजी स्कूलों जैसा बनाया जाना था, लेकिन न तो इनमें उनकी तरह कमरे थे, न शिक्षक थे, और न फर्नीचर था।

शिक्षक जैसे हिंदी माध्यम में पढ़ाते थे, वैसे ही पढ़ाते रहे। दोनों माध्यमों के छात्र एक साथ ही पढ़ते थे और किसी तरह का फर्क दिखा ही नहीं। हिंदी के शिक्षक ही अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को पढ़ा रहे थे। ऐसे में अभिभावकों ने बच्चों को हिंदी माध्यम में ही वापस कराना उचित समझा।
 

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