आज मैं कुछ लंबा-चौड़ा या भारी-भरकम लिखूं तो पढ़ेगा कौन? इसलिए द टेलीग्राफ की एक खबर का अनुवाद कर दिया। इससे पता चलता है कि जिस चुनाव नतीजे का हम इंतजार कर रहे हैं उसे कराने वाली ईवीएम के बारे में उठने वाली शंकाओं को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने क्या किया। हिन्दी में मैंने यह खबर इंटरनेट पर ढूंढ़ने की कोशिश की तो सिर्फ सत्याग्रह डॉट कॉम पर मिली।
नीचे अंग्रेजी में टेलीग्राफ की मूल खबर और सत्याग्रह की खबर का भी लिंक है। आप उन्हें भी देख सकते हैं। बाकी जो है सो हइये है, रहेगा भी। ठीक है?
चुनाव आयोग ने बुधवार को ईवीएम पर अपने स्टैंड की पुष्टि करने के लिए एक विवादास्पद दक्षिण पंथी वेबसाइट पर प्रकाशित प्रथम पुरुष विवरण को सोशल मीडिया पर साझा कर यह बताने की कोशिश की कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है।
जोरदार प्रतिक्रिया के बाद आयोग ने ट्वीट को डिलीट कर दिया। देर रात चुनाव आयोग की मुख्य प्रवक्ता शेफाली शरण ने प्रथम पुरुष विवरण का आलोख अपलोड किया पर ऑप इंडिया का लिंक नहीं दिया। यह अकाउंट एक आईएएस अफसर का बताया जाता है जो तेलंगाना में चुनाव "कराने" का दावा करते हैं।
चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली भार्गव शरण ने कहा कि "संशोधित ट्वीट" की सामग्री "बेहद उपयुक्त" है इसलिए इसे अपलोड किया गया है। उन्होंने कहा कि, "एक रिटर्निंग ऑफिसर का अपना अनुभव उतना ही वास्तविक है जितना चुनाव आयोग की कोई लिखित सामग्री हो सकती है .... यह चाहे जिस किसी डिजिटल मंच पर पढ़ने के लिए मिले"। ट्वीट में शरण ने कहा कि छेड़छाड़ और नतीजे को प्रभावित करने की संभावना "शून्य" है।
चुनाव आयोग ने ऑप इंडिया की जो सामग्री पूर्व में साझा की थी, उसका शीर्षक था, "आईआईटी स्नातक और आईएएस अधिकारी विस्तार में बता रहे हैं ईवीएम क्यों 'हैक' नहीं किए जा सकते हैं या उनसे 'छेड़छाड़' नहीं हो सकती है"।
संवैधानिक संस्था द्वारा किए गए इस असामान्य चुनाव के बारे में जब पता चला कि प्रथम पुरुष में इस विवरण को कोरा (नाम के वेबसाइट) से लिया गया है तो ज्यादा भृकुटियां तनीं। कोरा पर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा सवाल पूछे जाते हैं, जवाब दिए जाते हैं और संपादित किए जाते हैं।
जवाब को पुनर्प्रस्तुत करते हुए ऑप इंडिया ने इसकी प्रस्तावना इस प्रकार दी थी, "गुप्त राजनीतिक एजंडा वाले ढेरों राजनीतिक दलों, पत्रकारों और ऐक्टिविस्ट ने एक्जिट पोल में यह संकेत मिलने के बाद की 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की स्पष्ट जीत होगी, ईवीएम की साख खराब करने की कोशिश की है। पूरे मामले में चुनाव आयोग ने कई स्पष्टीकरण जारी किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि सभी प्रोटोकोल और दिशा निर्देश का पालन किया जा रहा है। इसके बावजूद 'अनिवार्य विरोधी' अपनी कल्पना पर यकीन करना पसंद करेंगे न कि वास्तविकता पर"।
चुनाव आयोग ने बुधवार को ऑप इंडिया के इस आयटम का लिंक साझा किया और ट्वीट किया, "आपके वोट की सुरक्षा में! जानिए कैसे ईवीएम पर्याप्त रूप से फूलप्रूफ हैं और इन्हें ना तो हैक किया जा सकता है और ना छेड़छाड़ हो सकती है"। ट्वीटर पर तुरंत सवाल उठने लगे और इसकी निन्दा हुई। उपयोगकर्ताओं ने ईवीएम से छेड़छाड़ क आरोपों का जवाब देने के लिए ऑप इंडिया का चुनाव करने का कारण जानना चाहा।
माकपा ने ट्वीट किया, "चौंकाने वाली बात है कि चुनाव आयोग भाजपा समर्थित फेकन्यूज साइट ऑप इंडिया के आलेख का उपयोग मतदाताओं को ईवीएम के बारे में आश्वस्त करने के लिए कर रहा है। क्या चुनाव आयोग खुद अपनी साख मटियामेट करने की कोशिश कर रहा है या इस हैंडल पर भाजपा के आईटी सेल का कब्जा हो गया है"।
ट्वीटर उपयोगकर्ता दीपंजना ने लिखा, "चुनाव आयोग - जिसे ईवीएम पर अथॉरिटी माना जाता है, ईवीएम को टैम्परप्रूफ साबित करने के लिए - ऑप इंडिया का आलेख पोस्ट कर रहा है जो कोरा पर पोस्ट किए जाने वाले जवाब पर निर्भर करता है। इस ट्वीट को देखने वालों को यह यकीन दिलाने के लिए कि ईवीएम संदिग्ध हैं, मुझे इससे बेहतर कोई तरीका नहीं समझ आ रहा है।"
ऑप इंडिया पर बुधवार को प्रकाशित कुछ आलेखों में 'विपक्षी दलों के ईवीएम क्लाउन कार' का मजाक उड़ाया गया था और लेखक रोमिला थापर की आलोचना की गई थी कि वे 'रेसिस्ट' (नस्लवादी) न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखती हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)
नीचे अंग्रेजी में टेलीग्राफ की मूल खबर और सत्याग्रह की खबर का भी लिंक है। आप उन्हें भी देख सकते हैं। बाकी जो है सो हइये है, रहेगा भी। ठीक है?
चुनाव आयोग ने बुधवार को ईवीएम पर अपने स्टैंड की पुष्टि करने के लिए एक विवादास्पद दक्षिण पंथी वेबसाइट पर प्रकाशित प्रथम पुरुष विवरण को सोशल मीडिया पर साझा कर यह बताने की कोशिश की कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है।
जोरदार प्रतिक्रिया के बाद आयोग ने ट्वीट को डिलीट कर दिया। देर रात चुनाव आयोग की मुख्य प्रवक्ता शेफाली शरण ने प्रथम पुरुष विवरण का आलोख अपलोड किया पर ऑप इंडिया का लिंक नहीं दिया। यह अकाउंट एक आईएएस अफसर का बताया जाता है जो तेलंगाना में चुनाव "कराने" का दावा करते हैं।
चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली भार्गव शरण ने कहा कि "संशोधित ट्वीट" की सामग्री "बेहद उपयुक्त" है इसलिए इसे अपलोड किया गया है। उन्होंने कहा कि, "एक रिटर्निंग ऑफिसर का अपना अनुभव उतना ही वास्तविक है जितना चुनाव आयोग की कोई लिखित सामग्री हो सकती है .... यह चाहे जिस किसी डिजिटल मंच पर पढ़ने के लिए मिले"। ट्वीट में शरण ने कहा कि छेड़छाड़ और नतीजे को प्रभावित करने की संभावना "शून्य" है।
चुनाव आयोग ने ऑप इंडिया की जो सामग्री पूर्व में साझा की थी, उसका शीर्षक था, "आईआईटी स्नातक और आईएएस अधिकारी विस्तार में बता रहे हैं ईवीएम क्यों 'हैक' नहीं किए जा सकते हैं या उनसे 'छेड़छाड़' नहीं हो सकती है"।
संवैधानिक संस्था द्वारा किए गए इस असामान्य चुनाव के बारे में जब पता चला कि प्रथम पुरुष में इस विवरण को कोरा (नाम के वेबसाइट) से लिया गया है तो ज्यादा भृकुटियां तनीं। कोरा पर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा सवाल पूछे जाते हैं, जवाब दिए जाते हैं और संपादित किए जाते हैं।
जवाब को पुनर्प्रस्तुत करते हुए ऑप इंडिया ने इसकी प्रस्तावना इस प्रकार दी थी, "गुप्त राजनीतिक एजंडा वाले ढेरों राजनीतिक दलों, पत्रकारों और ऐक्टिविस्ट ने एक्जिट पोल में यह संकेत मिलने के बाद की 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की स्पष्ट जीत होगी, ईवीएम की साख खराब करने की कोशिश की है। पूरे मामले में चुनाव आयोग ने कई स्पष्टीकरण जारी किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि सभी प्रोटोकोल और दिशा निर्देश का पालन किया जा रहा है। इसके बावजूद 'अनिवार्य विरोधी' अपनी कल्पना पर यकीन करना पसंद करेंगे न कि वास्तविकता पर"।
चुनाव आयोग ने बुधवार को ऑप इंडिया के इस आयटम का लिंक साझा किया और ट्वीट किया, "आपके वोट की सुरक्षा में! जानिए कैसे ईवीएम पर्याप्त रूप से फूलप्रूफ हैं और इन्हें ना तो हैक किया जा सकता है और ना छेड़छाड़ हो सकती है"। ट्वीटर पर तुरंत सवाल उठने लगे और इसकी निन्दा हुई। उपयोगकर्ताओं ने ईवीएम से छेड़छाड़ क आरोपों का जवाब देने के लिए ऑप इंडिया का चुनाव करने का कारण जानना चाहा।
माकपा ने ट्वीट किया, "चौंकाने वाली बात है कि चुनाव आयोग भाजपा समर्थित फेकन्यूज साइट ऑप इंडिया के आलेख का उपयोग मतदाताओं को ईवीएम के बारे में आश्वस्त करने के लिए कर रहा है। क्या चुनाव आयोग खुद अपनी साख मटियामेट करने की कोशिश कर रहा है या इस हैंडल पर भाजपा के आईटी सेल का कब्जा हो गया है"।
ट्वीटर उपयोगकर्ता दीपंजना ने लिखा, "चुनाव आयोग - जिसे ईवीएम पर अथॉरिटी माना जाता है, ईवीएम को टैम्परप्रूफ साबित करने के लिए - ऑप इंडिया का आलेख पोस्ट कर रहा है जो कोरा पर पोस्ट किए जाने वाले जवाब पर निर्भर करता है। इस ट्वीट को देखने वालों को यह यकीन दिलाने के लिए कि ईवीएम संदिग्ध हैं, मुझे इससे बेहतर कोई तरीका नहीं समझ आ रहा है।"
ऑप इंडिया पर बुधवार को प्रकाशित कुछ आलेखों में 'विपक्षी दलों के ईवीएम क्लाउन कार' का मजाक उड़ाया गया था और लेखक रोमिला थापर की आलोचना की गई थी कि वे 'रेसिस्ट' (नस्लवादी) न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखती हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक व मीडिया समीक्षक हैं।)