नव उदारवाद और कोरोना महामारी की देन है श्रीलंका में आर्थिक संकट!

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: April 1, 2022
दुनियाभर में नव उदारवादी नीतियों के कारण विकासशील देशों में शोषण अपनी चरम सीमा पर था. उसी संकट में कोरोना महामारी ने विकासशील देशों को ऐतिहासिक आर्थिक संकट में धकेल दिया है. कोरोना महामारी में विकसित देशों ने अपने आप को सुरक्षित करते हुए पूंजीवादी नीतियों को विकासशील देशों पर थोप दिया. इस दौरान दुनिया भर के 1 फ़ीसदी रईसों की संपत्ति में ऐतिहासिक वृद्धि पाई गई वहीं मध्यमवर्ग, गरीब और अधिक गरीब होते चले गए. ऐसे दौर में दुनिया के कई देश महंगाई और बेरोजगारी की चपेट में आए हैं. भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका इसका जीता जागता उदाहरण है. आज द्वीपीय देश श्रीलंका आर्थिक संकट की चपेट में है. जब हम श्रीलंका में आर्थिक संकट की बात करते हैं तो हमें भारत के हालात बरबस नजर आते हैं जो आर्थिक संकट की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. IMF के अनुसार, भारत वर्तमान में महंगाई का सामना रहा है. बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है और अगर इसे जल्द ही नहीं संभाला गया तो श्रीलंका जैसा हश्र होने में देर नहीं लगेगी.



भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में फरवरी 2022 में महंगाई दर 2015 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर यानी 17.5 फ़ीसदी पहुंच गई. जरूरत की सभी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. ऐसे में श्रीलंकाई नागरिक देश छोड़ने को मजबूर हैं. आने वाले दिनों में यह संकट कौन सा रूप लेता है यह वक्त बताएगा. लेकिन जिस तरीके से यह आर्थिक संकट की खाई में धंसता चला गया यह और देशों के लिए एक रेड अलर्ट है.

देश में वित्तीय संकट विदेशी मुद्रा की कमी के कारण शुरू हुआ, जिससे व्यापारियों को आयात करने में असमर्थ होना पड़ा. पर्यटन क्षेत्र, जो वहां विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत है, COVID-19 महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है. प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में तेजी आई है. पेट्रोलियम की कीमतें आसमान छू गई हैं और शनिवार को ईंधन के लिए कतार में खड़े तीन बुजुर्गों की मौत हो गई. हालात यह है कि कागजों की कमी ने इस द्वीप राष्ट्र को सभी परीक्षाओं तक को रद्द करने के लिए मजबूर कर दिया है.

यह देश मुख्य रूप से चीनी, दालें, अनाज और फार्मास्यूटिकल्स जैसी आवश्यक वस्तुओं के आयात पर निर्भर करता है. विदेशी मुद्रा की कमी के कारण, देश इन आयातों का भुगतान करने में असमर्थ है. श्रीलंका ने अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए चीन से उधार लिया था और अब वह भारी कर्ज का सामना कर रहा है. बीजिंग ने देश की मदद करने से इनकार कर दिया है और यह देश खाद्य संकट में फंस गया है. 

भारत ने श्री लंका को 1 बिलियन डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान की. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने भी कहा था कि सरकार संकट के प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ काम करेगी. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सितंबर में आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी. इसने सरकार को बुनियादी खाद्य पदार्थों की आपूर्ति पर नियंत्रण करने और बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कीमतें निर्धारित करने की अनुमति दी, जो जनवरी में बढ़कर 14.2% हो गई.

श्रीलंका से भारत आ रहे लोग 
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति पिछले कुछ समय से अच्छी नहीं है. देश पर भारी विदेशी कर्ज है. जनवरी में ऋण वापस लौटाने की समय सीमा नजदीक आने के कारण, श्रीलंका के दिवालिया होने की चिंता होने लगी थी. लेकिन इस देश ने अभी तक खुद को दिवालिया घोषित नहीं किया है.

यह आर्थिक संकट अब मानवता पर संकट बनता जा रहा है. पिछले एक हफ्ते में 1600 श्रीलंकाई भारत भाग कर आ गए हैं. वह अब तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में है. जिसमें बूढ़े, जवान, बच्चे सभी शामिल हैं.

उनमें से एक मछुआरों का परिवार है जो श्रीलंका से अपनी नाव में चले थे और उनकी नाव समुद्र में डूब गई. बिना भोजन-पानी के 36 घंटे बाद वे किसी तरह भारत पहुंचे. उनका कहना है कि उन्हें पुलिस हिरासत में रहने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वे श्रीलंका में बढ़ रही महंगाई नहीं झेल सकते. 

भारतीय तटरक्षक बल और श्रीलंकाई नौसेना इस तरह के अवैध प्रवेश को रोकने के लिए काम कर रही है लेकिन मुद्दा सिर्फ इन लोगों के अवैध प्रवेश का नहीं है. इन लोगों को ऐसा क्यों करना पड़ा? असली सवाल यह है कि श्रीलंका का आर्थिक संकट कैसे सामने आया है?

श्रीलंका में बढ़ी महंगाई 
इस छोटे से देश की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा तीन सेक्टर पर निर्भर है. पर्यटन, चाय और कपड़ा उद्योग. दुनिया भर में कोविड के कारण हुए लॉकडाउन से तीनों क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. पर्यटन क्षेत्र श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा है. लेकिन पर्यटकों का आना-जाना बंद हो गया और पर्यटन उद्योग डगमगाने लगा.

इसके अलावा, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. यह श्रीलंका के लिए दोहरा झटका था. श्रीलंका आने वाले कुल पर्यटकों में से लगभग 25 प्रतिशत रूस और यूक्रेन से आते हैं. रूस श्रीलंका के चाय का सबसे बड़ा आयातक देश भी है. इस संघर्ष ने आयात कम कर दिया है.

युद्ध तेल की कीमतों को भी बढ़ा रहा है. नतीजतन, श्रीलंका ने खुद को कम आय और उच्च खर्च के बीच एक दुविधा में पाया है. पेट्रोल और मिट्टी के तेल की आग में चार लोगों की मौत हो गई. इनमें तीन बुजुर्ग थे. लाइन में खड़े लोगों के बीच झगड़ा होने से एक की मौत हो गई और लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी.

पेट्रोल-डीजल की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने पेट्रोल पंपों पर सेना के जवानों को तैनात किया है. खाना पकाने के सिलेंडर के लिए भी लंबी कतारें लग रही हैं.

ऐसी भयावह स्थिति यहीं नहीं रुकती. श्रीलंका के आर्थिक संकट के संकेत पहले से ही उभर रहे थे. इसमें 2019 में सत्ता में आई राजपक्षे सरकार ने लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए करों को कम किया. इससे सरकार के राजस्व में भी कमी आई है. इस सरकार ने देश में रासायनिक उर्वरकों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और केवल जैविक उर्वरकों का उपयोग करके खेती करने का नियम बना दिया. जल्दबाजी में लिए गए इस फैसले से फसल कम हो गई और खाद्यान्न संकट की तलवार लटक गई.

श्रीलंका पर विदेशी कर्ज भी देश के लिए चिंता का विषय है. अप्रैल 2021 तक श्रीलंका पर 35 अरब का विदेशी कर्ज था. अकेले चीन से कर्ज का लगभग 10 फीसदी हिस्सा लिया. श्रीलंका ने कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए चीन से उधार लिया था. वह परियोजना विफल हो गई और श्रीलंका चीन को कर्ज नहीं चुका सका.

उदाहरण के तौर पर श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह को ले सकते हैं. इसके लिए चीन ने श्रीलंका को 41.4 अरब का कर्ज दिया. श्रीलंका इसका भुगतान नहीं कर सका, तो क्या? यह परियोजना 2017 में एक निजी चीनी कंपनी को 99 साल की लीज पर दी गई थी. जनवरी 2022 में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 32.36 बिलियन हो गया. एक भारतीय रुपये की कीमत 3.75 श्रीलंकाई रुपये है. और एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 287 श्रीलंकाई रुपये है. रुपये के गिरते मूल्य के कारण, उन्हें कुछ भी आयात करने में कठिनाई हो रही है.

चीन और भारत की दखलंदाजी
कुछ दिन पहले श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. भारत ने श्रीलंका को 1 अरब ऋण देने की घोषणा की. पिछले कुछ समय से श्रीलंका के चीन के साथ बढ़ते संबंधों से भारत नाखुश है. लेकिन अब जबकि स्थिति बदल गई है, श्रीलंका भारत के साथ सुलह करने की कोशिश कर रहा है. श्रीलंका में जनवरी से अब तक कई भारतीय परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियों के अलावा, अडानी ग्रुप जैसी निजी कंपनियां भी श्रीलंका में परियोजनाओं का संचालन करेंगी.

सिटी (CITI) रिसर्च के अनुसार, जनवरी में देश का आधिकारिक भंडार 77.9 बिलियन डॉलर से गिरकर 2.36 बिलियन डॉलर हो गया, जो दिसंबर में 3.1 बिलियन डॉलर था. विश्लेषकों ने कहा कि सरकार की अगली बड़ी चुनौती जुलाई में देय एक अरब डॉलर का बांड पुनर्भुगतान है. इस साल करीब 7 अरब डॉलर का बकाया कर्ज भी अनुमानित है.

बिगड़ती आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए श्रीलंका ने भारत और चीन से मदद की गुहार लगाई है. जनवरी में, राजपक्षे ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की और अनुरोध किया कि चीन अपने ऋण चुकाने के अवधि पर पुनर्विचार करे. पिछले साल, देश के केंद्रीय बैंक और पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने $ 1.5 बिलियन की स्वैप सुविधा के लिए एक द्विपक्षीय मुद्रा स्वैप समझौता किया - इस कदम का उद्देश्य वित्तीय अस्थिरता होने पर विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करना था. भारत ने हाल ही में क्रेडिट और विदेशी मुद्रा सहायता की पेशकश की है, जिसमें श्रीलंका को ईंधन खरीदने में मदद करने के लिए $500 मिलियन की लाइन ऑफ क्रेडिट शामिल है.

फिर भी, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार को अगले कुछ महीनों में एक कठिन राजनीतिक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है कि क्या महत्वपूर्ण आयात के लिए दुर्लभ अमेरिकी डॉलर के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय बांड धारकों को प्राथमिकता दी जाए? विश्लेषकों ने कहा कि देश को या तो कर्ज के पुनर्गठन की जरूरत है या राहत पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में जाने की जरूरत है. आईएमएफ ऋण और राजकोषीय सुधार श्रीलंका को कर्ज संकट से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं.

श्रीलंकाई लोगों के लिए देश का मौजूदा कर्ज संकट बढ़ती चिंता और हताशा का कारण बन गया है. लोग चिंतित हैं और सरकार पर बहुत गुस्सा है. कोरोना महामारी नें इस देश के पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया है. संभव है कि नीति निर्माता देश की बढ़ती घरेलू जरूरतों को पूरा करने और गहरे आर्थिक संकट को टालने के लिए महज किसी भी विदेशी सहायता पर आश्रित ना रह कर निकट अवधि में घरेलू परिस्थितियों को स्थिर करने को प्राथमिकता दे सकते हैं. 

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