भीमा कोरेगांव मामले में DU प्रोफेसर के घर बिना सर्च वारंट छापेमारी

Written by sabrang india | Published on: September 12, 2019
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू के नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी की विश्वविद्यालय छात्रों और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने निंदा की। 



पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संपर्क रखने को लेकर 2017 के एलगार परिषद मामले में मंगलवार को डीयू के प्रोफेसर हनी बाबू के दिल्ली से लगे नोएडा स्थित घर पर छापा मारा था। पुलिस ने छापेमारी में लैपटॉप, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव को सीज कर दिया है। 

सूत्रों के मुताबिक अर्बन नक्सल के आरोप में गिरफ्तार रोना विल्सन के साथ पढ़ा हनी बाबू ने पढ़ाई की है। प्रोफेसर के साथ पूछताछ के बाद पुलिस पुणे रवाना हो गई। इस मामले की सोशल मीडिया पर भारी भर्त्सना की जा रही है। 

जेएनयूटीए ने इसे प्रोफेसर को ‘‘डराने-धमकाने और प्रताड़ित करने’’ की कोशिश बताया। डीयू के अंग्रेजी विभाग के छात्रों ने बाबू के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि बिना वारंट तलाशी गैर कानूनी है। इस विभाग में करीब एक दशक से बाबू पढ़ा रहे हैं। 

पुणे पुलिस ने नोएडा के सेक्टर 78 स्थित 45 वर्षीय बाबू के घर की तलाशी ली थी। पुणे पुलिस में सहायक आयुक्त शिवाजी पवार ने कहा था कि तलाशी अभियान के दौरान कोई गिरफ्तारी नहीं की गई। 

जेएनयूटीए ने कहा कि उनके आवास की तलाशी लेना ‘‘देशभर के मानवाधिकार की रक्षा करने वाले लोगों, पत्रकारों, प्रोफेसरों, लेखकों तथा कार्यकर्ताओं का मुंह बंद करने, उन्हें डराने-धमकाने के लिए वर्तमान सरकार के तानाशाही वाले प्रयासों की हैरान करने वाली घटना है।’’ 

जेएनयूटीए ने कहा, ‘‘उन पर की गई छापेमारी यह बताती है कि आलोचकों को लेकर पुलिस की सनक कितनी बढ़ गई है और असहमति इस हद तक है कि पढ़ने और लिखने को भी संदिग्ध गतिविधियां माना जाने लगा है।’’ 
 

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