CAA का विरोध करने वाले ‘गद्दार’ नहीं- बॉम्बे हाई कोर्ट

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 15, 2020
"किसी कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने वालों को गद्दार या "देशद्रोही" नहीं कहा जा सकता है," ये बात बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई करते हुए कही।



बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के लिए पुलिस की इजाजत नहीं मिलने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ लोगों ने महाराष्ट्र के माजलगांव के पुराने ईदगाह मैदान में सीएए और एनआरसी के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की इजाजत मांगी थी। लेकिन जिला प्रशासन से उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली।

इजाजत नहीं देने के पीछे अडिशनल डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट (एडीएम) ने जो आदेश दिए उसमें बीड के एसपी की उस रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया था कि ऐसे आंदोलनों के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होती है। जिसके बाद विरोध प्रदर्शन की मांग करने वालों ने पुलिस के फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर दी।

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा...
इस तरह के आंदोलन से नागरिकता संशोधन कानून के प्रावधानों की अवहेलना का कोई सवाल नहीं पैदा होता। कोर्ट से ऐसे लोगों के शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन शुरू करने के अधिकार पर विचार करने की उम्मीद की जाती है। नागरिकता कानून का विरोध  सरकार के खिलाफ सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि भारत में बहुमत का शासन नहीं बल्कि कानून का शासन है। कोर्ट ने कहा,

“जब हम इस तरह एक कार्यवाही पर विचार करते हैं, तब हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य देश हैं और हमारे संविधान ने हमें कानून का शासन दिया है, न कि बहुमत का शासन। जब इस तरह का कानून बनाया जाता है, तो कुछ लोगों को, विशेष रूप से मुसलमानों को यह महसूस हो सकता है कि यह उनके हित के खिलाफ है। लिहाजा इस तरह के कानून का विरोध किया जाना चाहिए। यह उनकी धारणा और विश्वास का विषय है और अदालत उस धारणा या विश्वास के गुण में नहीं जा सकती है।”

बता दें कि औरंगाबाद बेंच ने बीड जिले के अडिशनल डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट (एडीएम) और मजलगांव सिटी पुलिस के दिए गए दो आदेशों को भी रद्द कर दिया, जिसमें पुलिस ने एडीएम के आदेश का हवाला देते हुए विरोध प्रदर्शन की इजाजत देने से इनकार कर दिया था।

 

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