गणतंत्र दिवस 2022: जिला जज ने मंच से हटवाई अंबेडकर की तस्वीर, रायचूर में विरोध प्रदर्शन

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 29, 2022
प्रदर्शनकारी जिला जज के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग कर रहे हैं


 
कर्नाटक के रायचूर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट परिसर में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण के दौरान बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के अपमान की घटना को लेकर लोग सड़कों पर उतरे। 

दरअसल, ध्वजारोहण के दौरान डिस्ट्रिक्ट जज ने जब महात्मा गांधी के साथ अंबेडकर की रखी फोटो देखी, तो उन्होंने इसे हटाने के लिए कहा। बाबा साहब की तस्वीर हटाए जाने के बाद ही डिस्ट्रिक्ट जज ने ध्वजारोहण किया। 

द् हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना के सामने आऩे के बाद फोरम ऑफ दलित एंड प्रोग्रेसिव ऑर्गनाइजेशन के आह्वान पर 27 जनवरी को विभिन्न क्षेत्रों के सैकड़ों लोगों ने सड़क पर उतरकर जिला और सत्र न्यायाधीश, रायचूर की निंदा करते हुए विरोध दर्ज कराया। 



हालांकि, कर्नाटक के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के बाद, जिला और सत्र न्यायाधीश मल्लिकार्जुन गौड़ा ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्होंने तस्वीर हटाने के लिए कहा था। एक प्रेस विज्ञप्ति में, गौड़ा ने कहा कि आरोप उनके खिलाफ प्रोपोगेंडा का हिस्सा है और उन्होंने इस तरह के एक महान व्यक्तित्व का अपमान नहीं किया।
 
बता दें कि इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद वकीलों, छात्रों का एक वर्ग और कांग्रेस व जनता दल (सेक्युलर) के कुछ नेता भी सुबह करीब 9 बजे डॉ. बी.आर. अंबेडकर सर्कल पहुंचे। प्रदर्शनकारियों के समूहों ने स्टेशन सर्कल और बसवेश्वर सर्कल पर प्रदर्शन किया और टायर जलाए साथ ही सभी मुख्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और लगभग पांच घंटे तक यातायात की आवाजाही को बाधित किया।
 
उनमें से कुछ ने अतिरिक्त उपायुक्त के वाहन को घेरने का प्रयास किया, जो थोड़ी देर के लिए आंदोलन के बीच में फंस गया था। पुलिस को मुश्किल से प्रदर्शनकारियों को अधिकारी को जाने देने के लिए राजी करना पड़ा।
 
कल्याण कर्नाटक सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों ने केंद्रीय बस स्टेशन और डिपो से किसी भी बस को बाहर नहीं जाने दिया। आंदोलन से अनजान यात्री बस स्टैंडों पर बसों का इंतजार करते रहे।
 
कार्यकर्ताओं ने नीले और लाल झंडे लहराते हुए और न्यायाधीश के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उपायुक्त के कार्यालय तक मार्च किया। उन्होंने न्यायाधीश को सेवा से निलंबित करने और देशद्रोह के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। प्रशासन और पुलिस विभाग के प्रतिनिधियों ने यह कहकर असहाय होने की गुहार लगाई कि उनके पास एक मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की कोई शक्ति नहीं है। प्रदर्शनकारियों ने न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए एक सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की है। 

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