1984 सिख विरोधी दंगा: फेसबुक पर भिड़े दो पूर्व डीजीपी

Written by sabrang india | Published on: May 13, 2019
लोकसभा चुनाव 2019 की जंग जैसे ही दिल्ली और पंजाब पहुंची 1984 के सिख दंगों को लेकर एक बार सियासत फिर से गरम हो गई है। शुरुआत पूर्व पीएम राजीव गांधी के सलाहकार सैम पित्रोदा के “जो हुआ सो हुआ” बयान से हुई थी। जिसके बाद पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट डालकर कहा कि “वह दंगा नहीं बल्कि राजीव गांधी के इशारों पर काँग्रेस नेताओं ने खड़े होकर नरसंहार कराया था”।           

गौरतलब है कि सैम पित्रोदा के बयान के बाद बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पित्रोदा के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उनका पुतला जला दिया था। जिसके बाद पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के पोस्ट ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।   

आपको बता दें कि सुलखान सिंह 1980 बैच के आईपीएस और उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके हैं। अपने फेसबुक वॉल पर पूर्व डीजीपी ने 1984 के सिख दंगों का आरोपी पूर्व पीएम राजीव गांधी को बताया है। अपने पोस्ट में सुलखान सिंह ने लिखा कि “मैं इंदिरा गांधी की मौत के दिन यानी 31 अक्टूबर 1984 को पंजाब मेल से लखनऊ से बनारस जा रहा था। ट्रेन अमेठी में एक खड़ी थी और एक आदमी जो वहां से चढ़ा था उसने बताया कि इंदिरा गांधी को गोली मार दी गई है। फिर बनारस पहुँचने तक कोई बात नहीं हुई। दूसरे दिन सुबह तक भी सब कुछ ठीक था।“

अपना तर्क रखते हुए पूर्व डीजीपी ने कहा कि “उसके बाद सब कुछ योजना के तहत हुआ। अगर जनता का गुस्सा ‘आउट बर्स्ट’ होता तो वो तुरंत होता”। पूर्व डीजीपी ने साथ ही यह दावा किया है कि तत्कालीन काँग्रेस नेता भगत, टाइटलर, माकन, सज्जन कुमार दंगों के मुख्य ऑपरेटर थे। साथ ही राजीव गांधी के विश्वासपात्र कमलनाथ मॉनिटरिंग कर रहे थे। दंगों पर राजीव गांधी के बयान व इन नेताओं को काँग्रेस द्वारा अच्छे पदों पर तैनात करना इनकी भागीदारी का सबूत है।

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने पूर्व पीएम राजीव गांधी की मृत्यु के बाद काँग्रेस द्वारा इन नेताओं को पुरस्कृत किए जाने और आज तक संरक्षण दिए जाने को सबकी सहमति बताई है।    

बाते दें कि सिख दंगों की जांच के लिए एक अलग से कमेटी एसआईटी के नाम से बनाई गई थी। जिसके मुखिया और पूर्व डीजीपी अतुल ने सुलखान सिंह को अपने दावों के पुख्ता सबूत सरकार या एसआईटी को सौपकर अपना पक्ष रखने की हिदायत दी है।  

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