आरक्षण पर झूठ बोल रही है मोदी सरकार

Written by Dilip Mandal | Published on: July 27, 2018
भारतीय संविधान का एक-एक शब्द मैंने पढ़ा है. आपमें से भी कई लोगों ने पढ़ा होगा. कहां किस पेज पर, किस अनुच्छेद में लिखा है कि आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता? झूठ बोल रही है सरकार.



दरअसल वह यह बात बोल भी नहीं रही है. सिर्फ भ्रम फैलाकर रखा गया है.

तमिलनाडु में 69% परसेंट आरक्षण है. संविधान के तहत है. सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के साथ है.

तमिलनाडु भारत में ही है.

बालाजी केस के जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने राय दी थी कि आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

यह राय है. कोई आदेश नहीं.

पढ़िए जजमेंट - "The interests of weaker sections of society, which are a first charge on the States and the Centre, have to be adjusted with the interests of the community as a whole. Speaking generally and in a broad way, a special provision should be less than 50%. The actual percentage must depend upon the relevant prevailing circumstances in each case. "

और अगर कभी कोई आदेश आए भी तो सुप्रीम कोर्ट संविधान से ऊपर है क्या?

60% ओबीसी के लिए 27% आरक्षण बहुत कम है. इसमें और किसी को लाने से भीड़ और बढ़ेगी. ओबीसी का हक मारा जाएगा.

जिन जातियों की सामाजिक और शैक्षणिक हालत बुरी है और सरकार नौकरियों में जो पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, उन्हें अलग से आरक्षण देने में कोई दोष नहीं है. इसके लिए जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएं.

लेकिन नए समुदायों को आरक्षण OBC कोटे के अंदर नहीं.

( ये लेखक के निजी विचार हैं। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल इंडिया टुडे के पूर्व मैनेजिंग एडिटर हैं। )

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