धनबाद: 'हलाल सर्टिफिकेट' के विरोध में हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े लोगों और व्यापारियों का प्रदर्शन

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 6, 2023
भारत खान-पान की विशेषताओं वाला देश है लेकिन गत वर्षों में खाने के तरीकों और अन्य बातों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इसी कड़ी में हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर विवाद सामने आया है जो खाद्य पदार्थों को तैयार करने को लेकर है। हालांकि, हलाल सर्टिफिकेशन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत है। झारखंड के धनबाद में व्यापारियों को हलाल के सर्टिफिकेशन की अनिवार्यता के विरोध में प्रदर्शन किया।



ईटीवी भारत की रिपोर्ट के मुताबिक, धनबाद में हिंदू जनजागृति समिति और स्थानीय व्यवसायियों ने रणधीर वर्मा चौक पर विरोध प्रदर्शन किया। हिंदू जनजागृति समिति और हलाल सख्ती विरोधी कृति समिति की ओर से हलाल सर्टिफिकेशन के विरोध में रणधीर वर्मा चौक पर विरोध-प्रदर्शन किया गया। इस संबंध में हिंदू जनजागृति समिति के शंभू गवारे ने कहा कि पिछले कुछ समय से भारत में हलाल उत्पादों की मांग की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि हलाल उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण हिंदू व्यापारियों को व्यवसाय करने के लिए हलाल प्रमाण पत्र लेना पड़ रहा है।  

क्या है हलाल विवाद
दरअसल हलाल सर्टिकिफेशन में विवाद  खाने की वस्तुओं  पर आपत्ति से ज्यादा वैमनस्यता पैदा करने वाला नजर आता है। हलाल सर्टिफिकेशन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी स्वीकृत है लेकिन संगठन को परेशानी इस बात की है कि किस तरह से मुस्लिमों को अलग तरीके से दर्शाया जाए। हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा विभिन्न मौकों पर हलाल वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया गया है। धनबाद में जिस हिंदू जनजागृति समिति के लोगों ने प्रदर्शन में भागेदारी की है उसपर और उसकी सहयोगी संस्था सनातन संस्था के सदस्यों पर गौरी लंकेश, एमएम कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे जैसे पत्रकार और तर्कवादियों की हत्या का आरोप है। अब माहौल कुछ ऐसा बन गया है कि ये संगठन विभिन्न मौकों पर अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को अलग तरह से पेश करने की कोशिश में जुटा नजर आता है। 
 
कर्नाटक में पहले से ही चल रहा है हलाल का विरोध
बता दें कि हिंदुत्ववादी संगठनों के लोग अल्पसंख्यकों के प्रतिष्ठान, व्यवसाय, सांस्कृतिक मान्यताओं आदि को लेकर तेजी से मुखर नजर आते हैं। पिछले साल कर्नाटक में हलाल का मुद्दा जोर शोर से उठाया गया था। मार्च 2022 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने हलाल मीट को ‘आर्थिक जिहाद’ बताया था, वहीं मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि सरकार हलाल मीट के ख़िलाफ़ लोगों की आपत्तियों पर विचार करेगी। 

हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं की अगुवाई में मुस्लिम व्यापारियों के राज्यव्यापी बहिष्कार के बीच कर्नाटक के शिवमोगा जिले में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक मुस्लिम मांस विक्रेता से मारपीट की थी। हालांकि इस मामले में कार्रवाई हुई और पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था।  
 
मुंबई में किया गया मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान
मुस्लिमों को अलग तरीके से दिखाना चरम दक्षिणपंथी ताकतों का एक संयुक्त लक्षित अभियान रहा है। सिर्फ हलाल ही नहीं बल्कि मुस्लिमों को बदनाम करने के विभिन्न नाम प्रचारित किए जा रहे हैं। मुंबई में मुसलमानों  पर 'लव जिहाद' और 'लैंड जिहाद' करने का आरोप लगाया गया। इससे पहले हिजाब विवाद को मुद्दा बनाया गया था। मुंबई की रैली का आयोजन सकल हिंदू समाज ने किया था। यह हिंदू जनजागृति समिति (HJS), शिव प्रतिष्ठान और सनातन संस्था सहित कई हिंदुत्व संगठनों का एक छत्र संगठन है।  

बड़ी विडंबना है कि ये संगठन खुलेआम अल्पसंख्यक विरोधी नफरत फैलाने में जुटे हैं और उनपर कोई कार्रवाई न होने के चलते पूरी तरह से निर्भीक नजर आते हैं। अब यह देखना है कि चरम दक्षिणपंथी संगठन क्या झारखंड में हलाल विवाद को मुद्दा बनाने में सफल हो जाएंगे?

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