लोकतंत्र भीतर पहनने वाला बनियान नहीं है जो अंदर की बात है- रवीश कुमार

Written by Ravish Kumar | Published on: February 5, 2021
समाचार का मतलब ही होता है अंदर की ख़बर को बाहर लाना। न कि बाहर आ चुकी ख़बर को अंदर कर देना। जब किसान आंदोलन की ख़बर CNN की वेबसाइट पर छप गई थी तो ज़ाहिर है दुनिया भर के पाठकों ने पढ़ी होगी। न्यूयार्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट में भी छपी है। 



हमारे फिल्म कलाकारों और खिलाड़ियों ने एक काम अच्छा किया। वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयार्क टाइम्स और CNN को नहीं धिक्कारा कि आप भारत की ख़बरें न दिखाएं और न छापें क्योंकि इससे अंदर की बात बाहर चली जाती है। इस दलील से तो भारतीय न्यूज़ वेबसाइट को भी अमरीका लंदन के लिए बंद कर देनी चाहिए ताकि किसी को पता न चले। हम सब गाते रहें कि अंदर अंदर बात चली है पता चला है। चड्ढी पहन कर फूल खिला है। खुद ये फिल्म कलाकार और खिलाड़ी अंदर की बात पर चुप रहते हैं लेकिन पॉप स्टार रिहाना ने किसान आंदोलन पर छपी ख़बर को ट्विट कर दिया तो सब कहते हैं कि ये अंदर की बात है। 

लक्स विनस ने अपने बनियान के लिए टैगलाइन बनाई थी कि ये अंदर की बात है। अपना लक पहन कर चलो। पॉप स्टार रिहाना के एक ट्विट से सरकार इतनी हिल गई कि कई खिलाड़ी और कलाकार बोलने आ गए कि ये अंदर की बात है। वो भी इस तरह से बोलने लगे कि जैसे किसी और का लक्स पहन कर आ गए हों। 

Do you get my point. लोकतंत्र भीतर पहनने वाला बनियान नहीं है कि जब मर्ज़ी कह दिया अंदर की बात है। लोकतंत्र बाहर पहनने वाली सफेद कमीज़ है। लोकतांत्रिक भावना सिर्फ अपने देश के लिए नहीं होती है, दूसरे देशों के लिए भी महसूस की जाती है। लोकतंत्र में यकीन रखने वाला नागरिक सच्चे अर्थो में ग्लोबल नागरिक होता है।

पटियाला शहर के वकील दीपिंदर सिंह ने एक कविता लिखी है-
अंदर की बात है, मत बोलो
काली घनी रात है, मत बोलो
बिगड़े हालात हैं, मत बोलो
कहा ना, अंदर की बात है, मत बोलो।

पता है कौन सरकार है, मत बोलो
विदेशी अखबारों में प्रचार है, मत बोलो
देश बीमार है, मत बोलो
दिलदार काम और ज़्यादा हक़दार हैं, मत बोलो
खिलाड़ी और सितारों का साथ है, मत बोलो
अंदर की बात है, मत बोलो।

सड़कों पर किसान है, मत बोलो
हर दिन जा रही जान है, मत बोलो
भारी छूट पर बिक रहा ईमान है, मत बोलो
मेरा भारत महान है, हाँ ये बोलो,
कीलों की सरहद है, देखो कितना ऊँचा कद है
लेकिन ये तो बस शुरुआत है, मत बोलो
अंदर की बात है, मत बोलो।

ऊँची घमंड की दीवार है, मत बोलो
हुआ लोकतंत्र का बलात्कार है, मत बोलो
इलज़ाम किसान गद्दार है, मत बोलो
यह हमारा घर-बार है, मत बोलो
बंद बिजली-पानी है, कुछ ऐसी मनमानी है,
पर बाहर वालों की क्या औकात है, मत बोलो
अंदर की बात है, मत बोलो
काली घनी रात है, मत बोलो
बिगड़े हालात हैं, मत बोलो
कहा ना, अंदर की बात है, मत बोलो।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह उन्होंने अपने कार्यक्रम प्राइम टाइम को शेयर करते हुए लिखा है।)

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