जयपुर: कुछ सपने जो कैद हैं कार्यक्रम में दिल्ली दंगा पीड़ित, एंटी CAA प्रदर्शनकारियों से संवाद

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 8, 2021
जयपुर। नागरिकता कानून सीएए व एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ जयपुर से फिर से आंदोलन करने का ऐलान किया गया। इसके साथ ही CAA, 2019 व NRC, NPR कानून को वापस लेने की भी मांग की गई। 7 मार्च 2021 को जयपुर में "कुछ सपने जो कैद हैं" नामक सम्मेलन, जिसमें दिल्ली दंगो को लेकर बनाये गये फर्जी मामलों में युवाओं की गिरफ्तारी व CAA को वापस लेने को लेकर दिल्ली से दंगा पीड़ित परिवार के साथ संवाद आयोजित किया गया। महिला दिवस की पृष्ठभूमि में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरूआत देश के सबसे बड़े महिला नेतृत्व में हुई।



दिल्ली से यहां पहुंचे फ्रीडम एक्सप्रेस पोर्टल के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने कहा कि दिल्ली दंगों में पकड़े गए बेकसूरों को साजिशन फंसाया गया, जबकि सच्चाई कुछ और है, ये वे लोग हैं जो सीएए विरोधी आंदोलनकारी थे। इस अन्याय के विरोध में जिस तरह का न्याय संघर्ष होना था वह नहीं हो रहा है। दहशत का माहौल बनाने के लिए 20-22 युवा नेताओं को यूएपीए के तहत बंद किया गया ताकि वे दोबारा से सीएए, एनआरसी लागू करें तो कोई विरोध को न खड़ा हो सके। इसलिए जरूरी है कि यह आंदोलन फिर से शहर व गांवों में शुरू हो। 

पूर्वी दिल्ली से आए नजीमुद्दीन जिनके 24 वर्षीय भांजे अतर को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया ने इन दंगों की सच्चाई बताई कि किस तरह पुलिस ने पीड़ितों के पास पहुंचने से इंकार किया और हमलावरों को तीन दिन की छूट दे दी कि वह हमला करे। नजीमुद्दीन का कहना था कि उनका भांजा अतर बिल्कुल बेगुनाह है, उसे अंदर खूब प्रताड़ित किया गया। जब उसने पुलिस के कहे अनुसार बयान देने से इंकार किया तो उसे गिरप्तार किया गया। नजीमुद्दीन ने गुहार लगाई कि उसे जल्द रिहा किया जाना चाहिए नहीं तो उसके गरीब परिवार में कोई न कोई क्षति हो सकती है। 

खालिद सैफी की पत्नी नरगिस सैफी ने अपने पति की गिरफ्तारी के बारे में बहुत ही पीड़ादायक वाकया सुनाया। नरगिस ने खालिद को प्रताड़ित किए जाने के बारे में बताया कि जब उसके पति को गिरफ्तारी के अगले दिन अदालत में पेश किया गया तो उनके हाथ पांव टूटे हुए थे।, उनके चेहरे पर खरोंच के निशान थे व बाल नोचे हुए थे। कोर्ट द्वारा पुलिस प्रताड़ना के आदेश के बावजूद आज तक कोई जांच नहीं हुई। खालिद को अनेक मामलों में फंसाया गया है क्योंकि वे आवाज बुलंद कर सीएए विरोधी आंदोलन में महिलाओं को पूरा सहयोग कर रहे थे। नरगिस ने कहा कि पूरे लॉकडाउन के दौरान उन्हें अकेले ही तीन बच्चों को संभालना पड़ा। यहां जयपुर आने का उनका मकसद है कि न्याय की लड़ाई यहीं से खड़ी हो। 

इस कार्यक्रम में पहुंचीं इतिहास की छात्रा व यूनाइटेड अगेंस्ट हेट की सहसंस्थापक बनो ज्योत्सना लहरी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जब सब घरों में बंद थे और प्रवासी मजदूर अपने घर जा रहे थे तब पुलिस बहुत सक्रियता से काम कर रही थी। वह सीएए विरोधी आंदोलनकारियों को पूछताछ के लिए बुलाकर अपनी मर्जी से कुछ भी लिखवा रही थी, डरा धमकाकर गिरफ्तारियां की जा रही थीं। लहरी ने कहा कि किसी भी कीमत पर हमें सड़कें नहीं छोड़नी चाहिएं, सार्वजनिक जगह नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि जैसे ही हमने इन्हें छोड़ा तो पुलिस निरंकुश हो गई। अब हम सबको मिलकर उन्हें जवाबदेह बनाना होगा, न्याय का संघर्ष साथ मिलकर करना होगा।

JNU की काउंसिल सदस्य व छात्र नेता अपेक्षा प्रियदर्शी जो भगत सिंह अंबेडकर छात्र संगठन (BASO) की सदस्य हैं ने कहा कि जैसे इटली के फासीवादी राष्ट्रपति मुसोलिनी ने बुद्धिजीवी व पत्रकारों को जेल में डाला और कहा कि इन्हें बंद करना जरूरी है ताकि ये लोग शारीरिक व मानसिक कार्य लायक न रहें। वर्तमान की भारत सरकार व उसका गृह मंत्रालय इसी सोच पर कार्य कर रहे हैं। हमें इसके विरुद्ध संघर्ष करना होगा। 

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक नदीम ने कहा कि असम में 19 लाख लोगों को भारतीय नागरिकता से हटा दिया गया। जब वे 2017-18 में असम गए तो उनकी पीड़ा नहीं देखी गई। खासतौर पर डिटेंशन सेंटर में पड़ी महिलाओं का रोना नहीं भुलाया जा  सकता। नदीम ने आगे कहा कि  CAA, NRC, NPR हालांकि मुसलमानों के लिए सबसे खतरनाक है लेकिन हर समुदाय, हर तबके के लोग इससे प्रभावित होंगे। 

द्वारा जारी
कविता श्रीवास्तव, रशीद हुसैन, रजा जयपुरी


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