नई दिल्ली। चुनाव आयोग की रोक के बावजूद दैनिक जागरण ने बीजेपी के पक्ष में एग्जिट पोल छापा था जिसे लेकर चुनाव आयोग ने दैनिक जागरण पर कार्रवाई की थी। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में जागरण डॉट कॉम के संपादक शेखर त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया गया था। चुनाव आयोग के आदेश के बाद शेखर त्रिपाठी सहित दैनिक जागरण अखबार के मैनेजिंग एडिटर और आरडीआई नाम की संस्था के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन का केस दर्ज किया गया था।
अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है। एग्जिट पोल पोस्ट किए जाने के मामले में कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं।
दरअसल, दैनिक जागरण प्रबंधन ने माना है कि यह एग्जिट पोल विज्ञापन विभाग के कहने पर साइट पर पोस्ट किया गया था। पर प्रबंधन इससे जुड़े कई सवालों के जवाब नहीं दे रहा है। इनके जवाब जांच से ही सामने आएंगे। सवाल है कि अगर एग्जिट पोल विज्ञापन था तो इसके लिए पैसा भी लिया गया होगा? पैसा किसने लिया और किसने दिया?
एग्जिट पोल किसने किया, किसके लिए किया? वेबसाइट पर छपवाने के लिए किसने पैसा दिया या किसी और ‘समझौते’ के तहत ऐसा किया गया? इस बारे में जवाब देने के लिए जागरण प्रबंधन की ओर से कोई आगे नहीं आ रहा। एग्जिट पोल किसने किया, इसे लेकर तो रहस्य और गहरा रहा है।
वेबसाइट पर पोस्ट कंटेंट रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल (आरडीआई) के हवाले से था। लेकिन द वायर डॉट कॉम वेबसाइट ने इस नाम की कंपनी के एमडी के हवाले से बताया है कि इस कंपनी ने ऐसा कोई सर्वे नहीं किया और न ही कंपनी चुनावी सर्वे करती है। आरडीआई नाम का एक और उपक्रम है।
चुनाव विश्लेषक देवेंद्र कुमार रिसर्च एंड डवलपमेंट इनिशिटिव नाम से यह उपक्रम चलाते हैं। कुमार ना केवल चुनावी सर्वे करवाते हैं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी में इनके लिंक भी हैं। लेकिन द वायर डॉट कॉम ने कुमार के हवाले से लिखा है कि उनके संस्थान ने यह एग्जिट पोल नहीं करवाया था।
प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक एक्ट के तहत तकनीकी तौर पर किसी भी अखबार या पत्रिका में छपी सामग्री (खबर हो या विज्ञापन) के लिए संपादक जिम्मेदार होता है। लेकिन वेबसाइट इस एक्ट के तहत संचालित नहीं होती। वैसे भी, अखबार प्रबंधन ने माना है कि यह विज्ञापन विभाग की पहल पर पोस्ट हुआ था।
सर्वे करने वाली एजेंसी रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल (आरडीआई) कौन है, किसकी है और किसके कहने पर एग्जिट पोल किया, इसे सामने लाना चुनौती है। उससे भी बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना या ऐसी कानूनी व्यवस्था बनाना है जिससे आगे किसी वैसे व्यक्ति के फंसने की नौबत न आए, जिसका मामले से कोई लेना-देना ही न हो।
Courtesy: National Dastak
अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है। एग्जिट पोल पोस्ट किए जाने के मामले में कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं।
दरअसल, दैनिक जागरण प्रबंधन ने माना है कि यह एग्जिट पोल विज्ञापन विभाग के कहने पर साइट पर पोस्ट किया गया था। पर प्रबंधन इससे जुड़े कई सवालों के जवाब नहीं दे रहा है। इनके जवाब जांच से ही सामने आएंगे। सवाल है कि अगर एग्जिट पोल विज्ञापन था तो इसके लिए पैसा भी लिया गया होगा? पैसा किसने लिया और किसने दिया?
एग्जिट पोल किसने किया, किसके लिए किया? वेबसाइट पर छपवाने के लिए किसने पैसा दिया या किसी और ‘समझौते’ के तहत ऐसा किया गया? इस बारे में जवाब देने के लिए जागरण प्रबंधन की ओर से कोई आगे नहीं आ रहा। एग्जिट पोल किसने किया, इसे लेकर तो रहस्य और गहरा रहा है।
वेबसाइट पर पोस्ट कंटेंट रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल (आरडीआई) के हवाले से था। लेकिन द वायर डॉट कॉम वेबसाइट ने इस नाम की कंपनी के एमडी के हवाले से बताया है कि इस कंपनी ने ऐसा कोई सर्वे नहीं किया और न ही कंपनी चुनावी सर्वे करती है। आरडीआई नाम का एक और उपक्रम है।
चुनाव विश्लेषक देवेंद्र कुमार रिसर्च एंड डवलपमेंट इनिशिटिव नाम से यह उपक्रम चलाते हैं। कुमार ना केवल चुनावी सर्वे करवाते हैं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी में इनके लिंक भी हैं। लेकिन द वायर डॉट कॉम ने कुमार के हवाले से लिखा है कि उनके संस्थान ने यह एग्जिट पोल नहीं करवाया था।
प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक एक्ट के तहत तकनीकी तौर पर किसी भी अखबार या पत्रिका में छपी सामग्री (खबर हो या विज्ञापन) के लिए संपादक जिम्मेदार होता है। लेकिन वेबसाइट इस एक्ट के तहत संचालित नहीं होती। वैसे भी, अखबार प्रबंधन ने माना है कि यह विज्ञापन विभाग की पहल पर पोस्ट हुआ था।
सर्वे करने वाली एजेंसी रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल (आरडीआई) कौन है, किसकी है और किसके कहने पर एग्जिट पोल किया, इसे सामने लाना चुनौती है। उससे भी बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना या ऐसी कानूनी व्यवस्था बनाना है जिससे आगे किसी वैसे व्यक्ति के फंसने की नौबत न आए, जिसका मामले से कोई लेना-देना ही न हो।
Courtesy: National Dastak