बेकाबू कोरोना: लखनऊ में श्मशान में लकड़ियां कम पड़ीं, गुजरात में शवदाह गृह की चिमनी पिघली

Written by Sabrangindia Staff | Published on: April 13, 2021
लखनऊ। देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है और संक्रमण के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही शहरों में मौतों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। लखनऊ में सोमवार को रात आठ बजे तक 130 शव शहर के दो श्मशान स्थलों पर पहुंचे। कहा जा रहा है कि इसमें ज्यादातर शव कोरोना संक्रमितों के थे। श्मशान घाटों पर स्थिति ये है कि लकड़ी तक की कमी पड़ने लगी है। 



अमर उजाला की खबर के मुताबिक शवों के अंतिम संस्कार के दौरान लकड़ी कम पड़ जाने से कुछ लोगों ने हंगामा किया। इसके बाद नगर निगम प्रशासन ने लकड़ी की व्यवस्था कराई और ठेकेदारों को लकड़ी की कमी न होने देने की हिदायत दी।

लखनऊ के बैकुंठधाम पर सोमवार को 86 शव पहुंचे। इनमें कई संक्रमित माने जा रहे हैं। इनका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह और लकड़ी से बैकुंठधाम पर अलग से बने स्थलों पर किया गया। वहीं गुलाला घाट पर कुल 44 शव पहुंचने की खबर है।

अमर उजाला की खबर के मुताबिक अंतिम संस्कार के लिए सोमवार सुबह लकड़ी की कमी पड़ गई, लोगों को निशातगंज, रहीम नगर और डालीगंज आदि से लकड़ी खरीद कर लानी पड़ी। यहां लोगों से मनमाना दाम वसूला गया। नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि बैकुंठधाम पर लकड़ी का काम पंडे ही करते हैं। उसका रेट तय है। सुबह लकड़ी कम होने की जानकारी पर निरीक्षण किया गया।

पंडा ने ऐशबाग से कम लकड़ी आ पाने की बात कही तो लकड़ी मंगवाई गई। किसी को कोई समस्या न हो, इसके लिए एक काउंटर भी बना दिया गया है। विद्युत शवदाह गृह के पीछे जो अतिरिक्त शवदाह स्थल संक्रमित शवों के लिए बने हैं, वहां लकड़ी की कमी नहीं है। वहां नगर निगम खुद लकड़ी देता है।

वहीं दूसरी तरफ गुजरात में कोरोना के बढ़ते कहर को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने टिप्पणी की है। रवीश कुमार ने गुजराती अखबारों की कटिंग शेयर करते हुए दावा किया है कि यहां इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की चिमनियां ही रात दिन लाश जलाए जाने के चलते पिघलने लगी हैं। रवीश लिखते हैं....

लोगों को मरता छोड़ पिघलने लगी है गुजरात मॉडल की चिमनी 
सूरत में बिजली शवदाह गृह की चिमनी ही पिघल गई है। वहाँ इतने शव जले हैं। सरकार मरने वालों का सही आँकड़ा नहीं दे रही है तो संदेश अख़बार खुद ही पता लगा रहा है। संदेश के रिपोर्टर गिनती गिन रहे हैं कि सिविल अस्पताल से कितने शवों को लेकर वाहन निकले हैं। संवाददाता श्मशान घाट जाकर लाशें गिन रहे हैं। गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि लोग भगवान भरोसे हैं। भगवान के नाम के भरोसे राजनीति करने वाले मौज में हैं। गुजरात मॉडल का बोगस चेहरा सामने आ चुका है। बीजेपी अपने दफ़्तर में रेमडेसिविर बाँट रही है और अस्पतालों के पास ये दवा नहीं। लोग घंटों लाइन में लगे हैं। मरीज़ मर रहे हैं। बीजेपी के अध्यक्ष दावा करते हैं कि गुजरात के बाहर से दवा ख़रीद कर लाए हैं। दिव्य भास्कर की पड़ताल बताती है कि दवा zydus कंपनी की है, उसके सीरियल नंबर हैं तो कंपनी बताएँ कि यह दवा गुजरात में ही बेची गई थी या बाहर से लाई गई है।

 

 

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