यूपी: हड़ताल कर रहे 650 बिजली कर्मचारियों को सरकार ने नौकरी से निकाला, कई क्षेत्रों में बिजली पानी संकट गहराया

Written by sabrang india | Published on: March 18, 2023
उत्तर प्रदेश में विद्युतकर्मियों की हड़ताल पर हाईकोर्ट की सख्ती के बाद यूपी सरकार ने 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है। साथ ही कर्मचारी उपस्थित नहीं करा पाने पर 7 एजेंसियों पर केस दर्ज किया गया है। वहीं काम नहीं करने वालों पर तत्काल FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। जिन एजेंसियों पर FIR हुई है उन्हें प्रतिबंधित भी किया गया है। अब भविष्य में निगम में ये एजेंसिया काम नहीं कर सकेंगी।



इससे पहले बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के पूर्व के आदेश के बावजूद प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विभाग के कर्मचारी यूनियन नेताओं के खिलाफ शुक्रवार को अवमानना की कार्रवाई शुरू की। अदालत ने इन नेताओं को जमानती वारंट जारी किया और उन्हें 20 मार्च 2023 को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा। 

इस बीच, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने उच्‍च न्‍यायालय के आदेशों का हवाला देकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत विभिन्न संगठनों के कुल 18 पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर तत्काल हड़ताल वापस लेने को कहा है।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने निर्देश दिया कि इस मामले में आपात स्थिति को देखते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा जमानती वारंट जारी किया जाता है और उन्हें इस अदालत में 20 मार्च 2023 को सुबह 10 बजे पेश होना आवश्यक है। 

अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि दोषी अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जाए ताकि इस अदालत द्वारा छह दिसंबर 2022 को पारित आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके जिसमें निर्देश दिया गया था कि राज्य में बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी।

इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च तय करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को तब तक इस मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, “संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव तब तक एक हलफनामा प्रस्तुत करेंगे।” उक्त निर्देश पारित करते हुए अदालत ने कहा, “जो कुछ भी हमारे समक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसे देखकर लगता है कि एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई है जिस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है। भले ही इन कर्मचारियों की मांग में दम है, तब भी पूरे राज्य को बाधा में नहीं डाला जा सकता।” 

अदालत ने कहा, “कर्मचारियों का इस तरह का कृत्य बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के इस अदालत के निर्देश का उल्लंघन है। राज्य की अलग-अलग बिजली उत्पादन इकाइयों में बिजली उत्पादन घटने से राष्ट्रीय हित से समझौता होता है। इसलिए प्रथम दृष्टया यह छह दिसंबर 2022 के इस अदालत के आदेश की अवज्ञा है।”

यूपी के विभिन्न जिलों में हड़ताल पर विद्युतकर्मी
प्रयागराज के जॉर्ज टाउन स्थित बिजली विभाग कार्यालय परिसर में विद्युत कर्मी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर 72 घंटे के लिए हड़ताल पर हैं। सभी विद्युत कर्मियों ने अपने कार्य का बहिष्कार कर दिया है।

बीते 14 मार्च को विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर विद्युत कर्मियों ने बालसन चौराहे से सुभाष चौराहा तक मशाल जुलूस निकालकर एकजुटता दिखाई थी। यह हड़ताल विद्युत कर्मियों ने 3 दिसंबर को ऊर्जा मंत्री की मौजूदगी में हुए 15 सूत्रीय लिखित समझौते को लागू करने की मांग को लेकर हो रही है। इस हड़ताल की वजह से उपभोक्ताओं को बिजली, पानी जैसी मूलभूत समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

15 सूत्री मांगों को लेकर मंत्री एके सिंह से हुआ था समझौता

विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक एके सिंह ने बताया कि हम लोगों की मूल रूप से 3 दिसंबर को विद्युत स्वयं संघर्ष समिति के तत्वाधान में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से समझौता हुआ था। जिसमें 15 सूत्री मांगे थी। आगे कहा उसमें कोई नई मांग नहीं थी। जो हम लोगों को सुविधाएं पहले से मिल रही हैं। उसी में कुछ कटौती हो रही है। उसी की मांग थी। उन्होंने सहमति और आश्वासन दिया था। कि 15 दिन में हम इसको क्रियान्वयन कर देंगे।

इन मांगों को लेकर विद्युत कर्मी कर रहे हड़ताल

जिसमें मूल रूप से एक कार्य संस्कृति को बहाल करने का कार्य। हम उपभोक्ताओं को अच्छी सुविधा देना चाहते हैं। उसके लिए सामान चाहिए। जो भी सामान चाहिए, व्यवस्था चाहिए वह प्रबंधन से मिले। हमारी दूसरी मांग यह थी कि हमारे जो एमडी और चेयरमैन है। आईएएस आते हैं 3 महीना में 6 महीना में चले जाते हैं। तो इनकी एक्ट के अनुसार वैकेंसी निकले। जो भी नियुक्त हो वह 3 साल के लिए नियुक्त हो। तीसरी मांग थी कि जो संविदा कर्मी है। इनका नियमितीकरण करें। समान कार्य समान वेतन मिले। जिससे इनकी भी रहन-सहन का स्तर सुधरे और मेहनत से काम करें।

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