इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल, खजुराहो में INDIA गठबंधन प्रत्याशी का पर्चा रद्द

Written by sabrang india | Published on: April 30, 2024
कांग्रेस को मध्य प्रदेश में बड़ा झटका लगा है। इंदौर संसदीय सीट से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। इसे लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है।


 
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी का आरोप है कि बीजेपी ने नामांकन वापस लेने के लिए अक्षय बम को धमकाया था और उसे प्रताड़ित किया था। इसके बाद अक्षय बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया। पटवारी ने कहा कि अक्षय बम के खिलाफ एक पुराने मामले में आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ी गई थी। उसे धमकाया गया। उसे पूरी रात अलग-अलग तरीकों से धमकाया गया, जिसके बाद उसने अपना नामांकन वापस ले लिया।

खबर है कि स्थानीय कोर्ट के निर्देश पर अक्षय बम के खिलाफ 17 साल पुराने मामले में हत्या के प्रयास की धारा जोड़ी गई थी। दिलचस्प ये है कि ये धारा इंदौर सीट से नामांकन वापस लेने के उनके फैसले से पांच दिन पहले ही लगाई गई थी।

कांग्रेस ने बीजेपी पर अपने उम्मीदवारों को डराने का आरोप लगाते हुए कहा है कि लोकतंत्र को खतरा है। पटवारी ने कहा कि इसी तरह की घटना गुजरात के सूरत में भी हुई थी, जहां कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुम्भानी का नामांकन खारिज होने के बाद बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया था।

खजुराहो में भी विपक्ष मुक्त भाजपा प्रत्याशी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, खजुराहो के बाद इंदौर दूसरी लोकसभा सीट है जहां पर अब इंडिया गठबंधन का कोई भी प्रत्याशी नहीं बचा है। खजुराहो सीट गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी को दी गई थी लेकिन वहां की प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन निरस्त हो गया था।
 
जीतू पटवारी ने कहा कि हमारा एक कांग्रेस का प्रत्याशी जिसने इंदौर से फॉर्म भरा और इंदौर से फॉर्म भरने के बाद वह चुनाव मैदान में था। उसके ऊपर एक साल पुराना 307 धारा का केस दर्ज था। उसे डराया और धमकाया गया, उसका फॉर्म वापस ले लिया गया। यह सब बीजेपी के लोग करा रहे हैं। मैं इंदौर के लोगों को और मध्यप्रदेश के लोगों को बताना चाहता हूं कि यह भाजपा के लोग किस तरह से आतंक मचा रहे हैं। इसी तरह का एक केस सूरत से भी सामने आया। जहां कांग्रेस के प्रत्याशी ने नामांकन पत्र वापस ले लिया। भाजपा वहां से निर्विरोध सांसद बनने में कामयाब हो गई। भाजपा इसे अपनी जीत बता रही है, लेकिन यह लोकतंत्र की हत्या है। 

सूरत में भी हुई थी इसी तरह की घटना

बीते सप्ताह गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी के मुकेश दलाल चुनाव होने से पहले ही जीत गए। उनके ख़िलाफ़ कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का पर्चा रद्द हो चुका था और बाकी निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए थे। इसलिए उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया।

सूरत लोकसभा सीट के सात दशक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। सूरत में कुल 15 नामांकन पत्र भरे गए। इनमें कांग्रेस के नीलेश कुंभानी समेत 6 फॉर्म रद्द हो गए। इस तरह बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल को छोड़कर आठ उम्मीदवारों के फॉर्म बचे थे। लेकिन इन आठ उम्मीदवारों ने भी अपने फॉर्म वापस ले लिए। लिहाज़ा मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि पूरी घटना बीजेपी के इशारे पर हुई है, जबकि बीजेपी ने इससे इनकार किया है।

23 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने स्वीकार किया कि कांग्रेस उम्मीदवार का फॉर्म रद्द होने के बाद बीजेपी ने निर्दलीय और अन्य उम्मीदवारों से संपर्क किया था और उन्हें फॉर्म वापस लेने के लिए कहा था।

कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा रद्द करने के पीछे प्रस्तावकों के फर्जी हस्ताक्षर को वजह बताया गया। कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश के समर्थक के रूप में रमेशभाई बलवंतभाई पोलारा, जगदीश नागजीभाई सावलिया और ध्रुविन धीरूभाई धमेलिया ने हस्ताक्षर किए थे। जगदीश सावलिया नीलेश कुम्भानी के जीजा हैं, वहीं ध्रुविन धमेलिया उनके भतीजे हैं और रमेश पोलारा उनके बिज़नेस पार्टनर रहे हैं। चूंकि ये तीन लोग नीलेश कुंभानी के सबसे निजी व्यक्तियों में से हैं, इसलिए सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में जाकर एक हलफनामा क्यों दायर किया कि कुंभानी के नामांकन पत्र में उनके हस्ताक्षर झूठे थे।

Related:

बाकी ख़बरें