CBI को हासिल करना होगा लोगों का भरोसा: CJI

Written by Navnish Kumar | Published on: April 4, 2022
देश की शीर्ष जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्वतंत्र और स्वायत्त जांच एजेंसी बनने के लिए लोगों का भरोसा हासिल करना होगा। अभी तक CBI की विश्वसनीयता पर सवाल होते थे लेकिन अब उसकी साख पर सवाल है। इससे उबरने के लिए उसे पॉलिटिकल व एग्‍जीक्‍यूटिव नेक्‍सस को तोड़ना होगा जो उसके चारों ओर बन चुका है। यह हम या कोई विपक्षी राजनीतिक दल नहीं कह रहा बल्कि, देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान से विचलन, संस्थाओं (CBI आदि जांच एजेंसियों) के साथ साथ लोकतंत्र को भी कमजोर करता है। 



चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने शुक्रवार 1 अप्रैल को कहा कि CBI ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। कहा CBI को फिर से जनता का भरोसा हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने ये बातें नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 19वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर के दौरान कहीं। ये लेक्चर हर साल CBI के संस्थापक डायरेक्टर डीपी कोहली की याद में आयोजित किया जाता है। इस साल लेक्चर का विषय ‘लोकतंत्र में जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारी’ था।

CJI ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो की विश्वसनीयता पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं लेकिन अब उसकी साख पर सवाल है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि ”लोगों का विश्वास हासिल करना” होगा। यही समय की मांग है। इसके लिए पहला कदम ”पॉलिटिकल और एग्‍जीक्‍यूटिव नेक्‍सस को तोड़ना है।” CBI ने अपनी क्रेडिबिलिटी खो दी है।” ये सवाल अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग क्षेत्र के लोग उठाते रहे हैं। इनका मानना है कि CBI ‘केंद्र सरकार का तोता’ है जो भी पार्टी केंद्र की सत्ता में होती है, वो इसका गलत फायदा उठाती है। लेकिन इस बार यह सवाल देश की सबसे बड़ी अदालत के मुख्य न्यायाधीश ने उठाया है। अपने संबोधन में चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि “समय के साथ राजनीतिक कार्यकारिणी बदलती रहेगी। लेकिन आप, एक संस्था के रूप में स्थायी हैं, इसलिए अभेद्य बनें और स्वतंत्र रहें। अपनी सेवा से बंधे रहिए। आपकी फ्रेटर्निटी आपकी ताकत है। शुरुआती दौर में CBI के पास जनता का अपार विश्वास था लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इसकी विश्वसनीयता सवालों में है।”

उन्होंने कहा, “वास्तव में, सीबीआई को जांच ट्रांसफर करने के अनुरोधों से न्यायपालिका भर जाती थी लेकिन समय बीतने के साथ अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की तरह सीबीआई भी गहरी परोक्ष जांच के दायरे में आ गई है। इसकी कार्रवाई और निष्क्रियता ने अक्सर इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।” CJI ने ये भी कहा कि पुलिस अधिकारियों को सर्विस के दौरान काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है। एक तेलुगु कहानी का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पुलिस कर्मियों से एक ही शिफ्ट में मनोवैज्ञानिक, शिक्षक, सलाहकार, वकील और सुपरहीरो होने की उम्मीद की जाती है। CJI ने कहा कि पुलिस को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए और अपराध रोकने पर ध्यान देना चाहिए।

सीजेआई ने आगे कहा, “ये आवश्यक है कि पुलिस और जांच निकायों सहित सभी संस्थान लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखें और उन्हें मजबूत करें। उन्हें किसी भी सत्तावादी प्रवृत्ति को पनपने नहीं देना चाहिए। उन्हें संविधान के तहत तय लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर कार्य करने की आवश्यकता है। कोई भी विचलन संस्थानों को नुकसान पहुंचाएगा और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करेगा।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार न्यायमूर्ति एनवी रमना ने एक और अहम टिप्पणी की। कहा कि अब एक ऐसे स्वतंत्र संस्थान के निर्माण की तत्काल आवश्यकता है जिसमें CBI, SFIO, ED और अन्य एजेंसियों को एक छत के नीचे लाया जा सके। इस निकाय को एक कानून के तहत बनाया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस स्वतंत्र और निष्पक्ष ऑथॉरिटी को “सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति करने वाली समिति जैसी एक समिति द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए। CJI रमना ने बताया कि भारत में पुलिस प्रणाली ब्रिटिश काल से कैसे विकसित हुई। मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा, “भ्रष्टाचार आदि के आरोपों से पुलिस की छवि धूमिल होती है। अक्सर पुलिस अधिकारी यह कहते हुए हमारे पास आते हैं कि उन्हें सत्ता में बदलाव के बाद परेशान किया जा रहा है। याद रहे कि समय के साथ राजनीतिक लोग बदल जाएंगे, लेकिन आप स्थायी हैं।” इस संदर्भ में, मुख्य न्यायाधीश ने स्वीकार किया कि पुलिस के विपरीत, जांच एजेंसियों को संवैधानिक समर्थन नहीं होने का नुकसान होता है। उन्होंने कहा, “पुलिस प्रणाली को इसकी वैधता संविधान से मिलती है। दुर्भाग्य से जांच एजेंसियों को अभी भी कानून द्वारा निर्देशित होने का लाभ नहीं है।”

CJI रमना ने कहा कि 'जांच एजेंसी को स्वतंत्र, स्वायत्त बनाना समय की मांग है।' एक ही अपराध की कई एजेंसियों से जांच उत्पीड़न की ओर ले जाती है। एक बार अपराध दर्ज होने के बाद यह तय किया जाना चाहिए कि कौन सी एजेंसी इसकी जांच करेगी। इन दिनों एक ही मामले की कई एजेंसियों द्वारा जांच की जाती है। यह संस्था को उत्पीड़न के उपकरण के रूप में दोषी ठहराए जाने से बचाएगा। एक बार रिपोर्ट किए जाने के बाद संगठन को यह तय करना चाहिए कि कौन सी एजेंसी जांच का जिम्मा संभालेगी। सीजेआई ने कहा, आप झुकेंगे नहीं तो आपको वीरता के लिए जाना जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, पुलिसिंग केवल नौकरी नहीं बल्कि एक कॉलिंग है। भारत में अंग्रेजों ने कानून पेश किया जहां शाही पुलिस बनाई गई थी जिसे भारतीय नागरिकता को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया था। राजनीतिक आकाओं द्वारा पुलिस का दुरुपयोग कोई नई विशेषता नहीं है। पुलिस को आम तौर पर कानून का शासन बनाए रखने का काम सौंपा जाता है और यह न्याय वितरण प्रणाली का अभिन्न अंग है। औचित्य की मांग पुलिस को पूर्ण स्वायत्तता देना है। सभी संस्थानों को लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना और मजबूत करना चाहिए। याद रहे  इसके लिए किसी भी सत्तावादी प्रवृत्ति को पनपने नहीं देना चाहिए।

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