मोदी सरकार की बेरुखी के बाद उत्पीड़न के खिलाफ कोर्ट पहुंचे CISF के जवान

Published on: April 3, 2017
नई दिल्ली। जहां एक तरफ मोदी सरकार खुद को देश के जवानों के लिए समर्पित बताती है। वहीं आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि देश में हर साल 100 से ज्यादा जवान आत्महत्या करते हैं। पिछले साल 2016 में विभिन्न परिस्थितियों में 125 जवानों ने सुसाइड किया था। पिछले दिनों लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा था, 101 सैनिक, 19 एयरमैन और 5 नाविकों ने पिछले साल खुदकुशी कर ली थी।

CISF Modi

वहीं पिछले कुछ महीने में सोशल मीडिया पर जवानों के कई वीडियो सामने आ चुके हैं, जिसमें बताया गया है कि उन्हें किस परिस्थिति में रहना होता है और उनके साथ कैसा बर्ताव किया जाता है। वीडियो जारी कर जवानों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की थी लेकिन जब उन्हें निराशा हाथ लगी तो जवानों ने अब कोर्ट में शरण ली है।
 
बेंगलुरु के केम्पे गोडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुरक्षा में तैनात 200 जवानों ने उत्पीड़न के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया है। यह शिकायतें बताती हैं कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों को किस तरह से समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बीते 3 सालों में 344 अर्ध सैनिक बलों के जवानों ने आत्महत्या कर ली। इनमें से 15 लोगों ने इस साल के शुरुआती तीन महीनों में ही मौत को गले लगा लिया। आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले जवानों में से 15 पर्सेंट यानी 53 जवान सीआईएसएफ के थे। इसके अलावा 25 मामले ऐसे रहे हैं, जिसमें जवानों ने अपने ही सहकर्मियों की हत्या कर दी या फिर उन पर फायरिंग कर दी। ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों में 13 जवान सीआईएसएफ के ही थे।
 
इसी साल जनवरी में केम्पे गोडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर एक जवान ने अपनी ही सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी। इस पर सीआईएसएफ और स्थानीय पुलिस ने कहा था कि जवान ने निजी कारणों से आत्महत्या कर ली थी। केम्पे गोडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर खराब व्यवस्थाओं को लेकर एक सीआईएसएफ कर्मी ने कहा, 'खाने का स्टैंडर्ड बेहद खराब है। हमारी शिफ्ट्स में कोई ब्रेक नहीं होता। हमें घर नहीं मिलता है और ट्रांसपोर्ट अलाउंस भी नहीं मिलता है। सीनियर्स द्वारा दुर्व्यवहार होता है और मनमाने ढंग से सैलरी भी काट ली जाती है।'

(संपादन- भवेंद्र प्रकाश)

Courtesy: National Dastak
 

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