छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों की बदहाली का आलम ये है कि कई स्कूलों में बच्चों ने पूरे बारिश के मौसम के लिए छुट्टी मांगना शुरू कर दिया है।
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स्कूलों की हालत जर्जर है और छतों से पानी टपकता रहता है। कई जगह तो स्कूल की इमारत ही नहीं है। जर्जर इमारतों में बैठने वाले बच्चे जान का खतरा महसूस कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने तीन महीने की छुट्टी मांगनी शुरू कर दी है।
नईदुनिया के मुताबिक, दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लॉक में हितावर पंचायत में प्लास्टिक की झिल्लियों के सहारे पोटाकेबिन लगाया गया है जिसमें स्कूल चलता है, लेकिन बच्चे भरी बारिश में ऐसी जगह बैठकर पढ़ाई नहीं करना चाहते।
जब बारिश होती है और तेज हवाएं चलती हैं तो पढ़ाई होना मुश्किल हो जाती है और बच्चे भीग जाते हैं। अभिभावक भी बच्चों को ऐसी बारिश में भेजने का खतरा मोल नहीं लेना चाहते।
स्कूल के अध्यापकों के पास भी इस समस्या का हल नहीं है। वे अधिकारियों को लिखित और मौखिक रूप से कई बार बता चुके हैं, लेकिन उनकी बात पर कोई ध्यान देता ही नहीं है।
हितावर पोटाकेबिन में अभी 422 बच्चों का दाखिला है। कुआकोंडा के शिक्षा अधिकारी कहते हैं कि वैकल्पिक व्यवस्था की गई है और भवन की छत पर त्रिपाल लगा दिया गया है।
ये हालत केवल दंतेवाड़ा के एक स्कूल की नही है। प्रदेश के कई स्कूलों में बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने आते हैं। जांजगीर-चांपा में कनकपुर प्राथमिक शाला में भी स्कूल भवन की हालत जर्जर है। छत से प्लास्टर उखड़ रहा है और पानी टपक रहा है। इस स्कूल में पहली से लेकर पांचवीं तक के 78 बच्चे पढ़ते हैं।