छत्तीसगढ़ के दूरस्थ इलाकों में लोग न मोदी को जानते हैं, न रमन सिंह को और न विकास को

Written by Anuj Shrivastava | Published on: November 9, 2018
नई दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार अब तक के कार्यकाल में अपने प्रचार के लिए विज्ञापनों में करोड़ों रूपए ख़र्च कर चुकी है. छत्तीसगढ़ की रमन सरकार भी अपने विज्ञापन पर भरपूर पैसे ख़र्च करती है. कुछ महीनों पहले ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपनी सरकार के कार्यों का बखान करने, प्रदेशभर में विकास यात्रा निकाली थी. चुनावी वर्ष होने के कारण भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. भाजपा के सभी बड़े नेता अपने भाषणों में ये दावा करते नहीं थकते हैं कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के गाँव-गाँव में विकास पसरा हुआ है. लेकिन एक अखबार की ख़बर ने भाजपा के इन सारे दावों की पोल खोल कर रख दी.

 

छत्तीसगढ़ से प्रकाशित पत्रिका अखबार ने संवाददाता धीरज बैरागी के मातहत एक ख़बर प्रकाशित की. कांकेर ज़िले के पखांजूर मुख्यालय से मात्र 60 किलोमीटर दूर, ग्राम पंचायत कंदाड़ी के आश्रित ग्राम हिदुर में लोगों से बातचीत करने पर ये आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया कि सरकार के दावों में दिखने वाला विकास अब तक इस गांव में पहुंचा ही नहीं है. प्रदेश सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करते भले ही न थकती हो पर ज़मीनी सच्चाई इससे बिलकुल उलट है. भाजपा की प्रदेश सरकार के 15 साल के कार्यकाल के बाद भी यहाँ के ग्रामीणों को पीने का साफ़ पानी उपलब्ध नहीं है, लोग झिरिया और तालाब का पानी पीने को मजबूर हैं. जबकि प्रदेश सरकार सभी गाँवों में विकास की गंगा बहाने का झूठा दावा कर रही है. सरकारी दावों के विकास के बारे में जानना तो दूर की बात है, लोग प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं जानते हैं.

 

गांव में कभी नहीं आया कोई नेता

ग्रामीणों ने कहा कि गांव में आज तक कभी सड़क नहीं बनी है. पगडण्डी के सहारे पैदल सफ़र करना पड़ता है. बारिश के दिनों में मुख्यालय से पूरी तरह संपर्क कट जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि बहुत पहले पूरे गांव के लिए मात्र एक हैंडपंप लगाया गया थ जो पिछले एक साल से ख़राब पड़ा है. ग्रामीणों ने बताया कि इन मूलभूत सुविधाओं के लिए वे ज़िला प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं पर यहाँ के आदिवासी परिवारों को सरकार की तरफ़ से आजतक कोई सुविधा नहीं दी गई है. ग्रामीणों ने कहा कि वे न तो किसी सरकार को जानते हैं न ही आज तक यहां कोई नेता आया है.

प्रदेश की भाजपा सरकार और सरकारी महकमा यहां इस कदर लापरवाह और नाकाम साबित हुआ है कि हिदुर गाँव में रहने वाले ग्रामीणों को आज तक ये ही नहीं पता है कि उनका विधायक और सांसद कौन है. भोले-भाले गाँव वालों को ये भी नहीं मालूम कि देश के प्रधानमन्त्री का नाम क्या है. छत्तीसगढ़ के नेता तो यूं भी अपनी गद्दी छोड़, लोगों तक जाने के शौक़ीन नहीं हैं, तो भला एक ऐसे गांव में जहां न मीडिया है, न टीवी है, न इन्टरनेट है, न मुफ़्त में बंटे चुनावी मोबाईल हैं, न सड़के हैं, न चुनाव प्रचार की रैलियां हैं, न नेताजी के भाषण हैं वहां विज्ञापनों और वीडियो कांफ्रेंसिंग में हंसते प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को भला कोई पहचाने भी तो कैसे.

प्रदेश में पिछले 15 वर्षों से एक ही पार्टी की सरकार है और एक ही व्यक्ति है जो पिछले 15 वर्षों से प्रदेश का मुख्यमन्त्री है. प्रधानमंत्री को न जानने की बात तो फिर भी जैसे-तैसे पाच जाएगी, पर मुख्यमंत्री रमन सिंह की इस नाकामयाबी को कैसे पचाएं कि उनकी सरकार के 15 साल हो जाने के बाद भी कई गाँव ऐसे हैं जहां उनके भाषणों वाला विकास तो दूर उनका नाम तक लोग नहीं जानते.

 

गाँव में चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं है

गाँव में न अस्पताल है, न डॉक्टर है न कोई आंगनबाड़ी ही है. चिकित्सा की कोई सुविधा यहां उपलब्ध नहीं है. ग्रामीणों ने कहा कि छोटी-बड़ी बीमारी होने पर उन्हें गांव में झाड़फूंक पर निर्भर रहना पड़ता है. इलाज के आभाव में कई जानें भी जा चुकी हैं. गाँव में आज तक बिजली नहीं पहुची है. शाम होते ही गाँव में जंगली जानवरों का भय बढ़ जाता है.

आज तक कभी नहीं कर पाए मतदान

सरकारी दावों में भले ही विकास घर-घर पंहुच गया हो पर असलियत ये है कि छत्तीसगढ़ में आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां विकास होना तो दूर, लोगों ने आज तक वोट ही नहीं डाला है. छत्तीसगढ़ के अतिसंवेदनशील कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के हिदुर गाँव में रहने वाले 26 परिवारों के 140 लोगों ने आज तक कभी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया है. ये बात ख़ुद हिदुर गाँव के रहवासियों ने कही है. नईदुनिया अखबार में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक यहां के लोग नहीं जानते कि स्वीप अभियान क्या होता है, यहां के लोगों ने कभी मतदाता जागरूकता रैली देखी ही नहीं है, इन्होने अपने जीवन में कभी ईवीएम मशीन की शक्ल तक नहीं देखी है.

मोदी और राहुल होंगे चुनावी सभा में शामिल

छत्तीसगढ़ की इस असल परिस्थिति से अन्जान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर चुनावी सभाओं में अपनी पार्टी का प्रचार करने यहां आ रहे हैं. अब तक की तय योजना के अनुसार 9, 12, 16, और 18 नवम्बर को प्रधानमन्त्री प्रदेश के दौरे पाए रहेंगे. बस्तर, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, महासमुंद आदि जगहों के शहरी इलाकों में वे सभाएं करेंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शनिवार को जगदलपुर में रैली करेंगे. राहुल गांधी की चार अन्‍य रैलियां कोंडागांव, चारमा, पखांजुर और दोंगागढ़ में होंगी. सोमवार को 18 सीटों पर होने वाले पहले चरण के चुनाव से पहले 10 नवंबर चुनाव प्रचार की आखिरी तारीख है. चुनावी समीकरण के लिहाज़ से बस्तर और सरगुजा संभाग काफ़ी महत्वपूर्ण है.

प्रधानमन्त्री की रैली के पहले नक्सली हमला

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के ठीक पहले दंतेवाड़ा में नक्सली हमले की घटना सामने आई है. राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले के बचेली थाना क्षेत्र के अंतर्गत बचेली से आकाश नगर के मध्य नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर एक मिनी बस को उड़ा दिया है. इस घटना में मिनी बस के चालक, परिचालक और हेल्पर की मृत्यु हो गई तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का एक जवान शहीद हो गया है. इस घटना में दो जवान घायल हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को तैनात किया गया है. 

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सरकार नक्सलवाद की समस्या को बनाए रखना चाहती है

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह आए दिन ये कहते रहते हैं कि उनके कार्यकाल में प्रदेश से नक्सल समस्या लगभग ख़त्म हो गई है. पर लगातार होने वाली हमले की घटनाएं उनके दावों को झूठ करार देती हैं. नक्सल समस्या से निपट पाने में रमन सरकार के नाकाम होने का सबूत ये भी है कि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं, पहले चरण का चुनाव नक्सल प्रभावित इलाके बस्तर में होना है. इस पहले चरण के चुनाव में मात्र 18 सीटों के चुनाव के लिए लगभग डेढ़ लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए हैं. गर नक्सल समस्या ख़त्म हो चुकी होती तो इस तामझाम की ज़रुरत ही न पड़ती.

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ऐसा लगता है की हिदुर जैसे गाँवों में विकास न पंहुचा पाने की अपनी विफलता को छुपाने और कार्पोरेट लूट को जारी रखने के लिए सरकार नक्सलवाद की समस्या को बनाए रखना चाहती है.

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