चंद्रयान-2 : सिवन के 98% सफलता के दावे पर सवाल उठाए

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: September 23, 2019
कुछ वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ या इसरो) प्रमुख के सिवन के दावे को चुनौती दी है। इनमें एक ने नेतृत्व (या अगुआई) और रॉकेट साइंस पर अपने विचार सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। सिवन ने शनिवार को फिर कहा था कि चंद्रयान-2, 98% सफल रहा (उन्होंने कहा था कि आर्बिटर के पुर्जे सही काम कर रहे हैं हमें आगे अभी और तथ्य मिलेंगे)।



एक वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने कहा है कि “विस्तृत आत्मनिरीक्षण के बिना ऐसे दावे हमें दुनिया के सामने हंसी का पात्र बनाते हैं।” इसरो सूत्रों ने कहा कि चंद्रयान-2 लैंडर विक्रम संभवतः तेज गति में क्रैश हुआ है और हमेशा के लिए नष्ट हो चुका है। चांद पर लैंड करना इस मिशन का घोषित लक्ष्य था।

इतवार को इसरो चेयरमैन के सलाहकार तपन मिश्रा का एक सोशल पोस्ट चर्चा का केंद्र बना हुआ था। उन्होंने सिवन का नाम लिए बगैर उनकी खिंचाई की है। श्री मिश्रा ने लिखा है, “नेतृत्व प्रेरित करता है, प्रबंध नहीं।” सिवन के इसरो प्रमुख बनने पर इन्हें स्पेस एपलीकेशन सेंटर के निदेशक पद से हटा दिया गया था।

पोस्ट में आगे लिखा है, “जब आप अचानक पाएं कि नियमों के पालन पर जोर दिया जा रहा है, कागजी काम बढ़ गए हैं, बैठकें होने लगी हैं, चर्चा खत्म हो जा रही है तो आप निश्चित हो सकते हैं कि आपके संस्थान में नेतृत्व दुर्लभ होता जा रहा है। संस्थान नया करना छोड़ दें तो समय के साथ नहीं चलते हैं। अंततः वे जिन्दा जीवाश्म, इतिहास में फुटनोट बन जाते हैं।” (मुझे लगता है यह और भी नेतृत्वकर्ताओं के मामले में सही है)।

इस बीच, आईएएनएस ने रिपोर्ट दी है कि सिस्टम्स के गुणवत्ता नियंत्रण और विश्वसनीयता के अमेरिकी आधार वाले, 77 साल के दिग्गज भरत ठक्कर ने लैंडर के संबंध में कई बुनियादी सवाल उठाए हैं।

उन्होंने कहा है, “विक्रम के मेकैनिकल डिजाइन को लेकर एक विस्तृत जांच जरूर होनी चाहिए। विक्रम के गतिशील, मेकैनिकल (यांत्रिक) डिजाइन में सुरक्षा के लिए किन उपायों का उपयोगकिया गया था? क्या इसपर विचार भी किया गया था?”

‘सक्षम लोग किनारे कर दिए गए, गैर विशेषज्ञ मून पैनल के भाग’
मून मिशन में सुविज्ञता वाले एक स्पेस साइंटिस्ट ने नाम न उजागर करने की शर्त पर टीओआई से कहा कि इस मिशन में तकनीकी गलतियां थीं। “इसरो ने अगर पांच थ्रस्टर की जगह एक थ्रस्टर का उपयोग किया होता तो टेक्नालॉजी आसान होती।”

कई सारे थ्रस्टर हैंडल करने से संबंधित चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा, “सभी पांच इंजन में हमेशा समान थ्रस्ट रखना आसान नहीं है। हम एक ही इंजन की योजना बना सकते थे।” उन्होंने आरोप लगाया कि इसरो के सर्वोच्च लोंगों ने उन सक्षम लोगों को किनारे कर दिया जो चंद्रयान-1 के भाग थे। उन्होंने कहा, “जो लोग कभी भी चंद्रयान-1 मिशन के भाग नहीं रहे वे अब एक्सपर्ट पैनल में हैं और भारत के चंद्र मिशन से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं।”

रडार इमेजिंग और हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग पेलोड्स के देसी विकास में अहम भूमिका निभाने वाले श्री मिश्रा ने लिखा, “अगर आपका स्कूटर टायर सड़क पर पंक्चर हो जाए तो आप ठीक करने के लिए एक मिस्त्री तलाश सकते हैं और फिर काम चलने लगेगा। लेकिन स्पेसक्राफ्ट या रॉकेट में अगर कुछ हो जाए तो आपको बस भूल जाना होता है। स्पेस साइंस और टेक्नालॉजी की आवश्यकता लगभग 100% विश्वसनीयता की है।”

लैंडर सिमुलेशन के महत्व पर जोर देते हुए श्री मिश्रा ने लिखा है, “एक बार अगर आप अंतरिक्ष में मशीन भेजते हैं तो आप उसे सुधारने के उपायों का आकलन निजी तौर पर नहीं कर सकते हैं। आपको अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट के सभी संभव व्यवहारों की कल्पना करने में सक्षम होना चाहिए। यह सब बहुत मुश्किल स्थितियों में होता है जहां माफी की कोई गुंजाइश नहीं होती है। इसलिए हमें इसकी जांच हर संभव और कल्पना योग्य स्थितियों में करना होता है।”

चेन्नई / नई दिल्ली डेटलाइन से प्रकाशित टाइम्स न्यूज नेटवर्क की खबर का अनुवाद। टाइम्स ऑफ इंडिया में आज यह खबर पहले पन्ने पर है।



 

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