कितने भी दागी हैं बीजेपी में शामिल हो और साफ़ छवि बन जाओ

Written by Girish Malviya | Published on: October 29, 2018
इस भारतवर्ष की सबसे पवित्र पार्टी बीजेपी है. जैसे गंगा मे नहाने से सारे पाप मिट जाते है. वैसे कितना भी बड़ा दागी हो या भ्रष्टाचारी हो, चाहे जमानत पर छूटा हो जैसे ही वह बीजेपी में आता है उसके पाप, उसके पूरे खानदान के पाप समूल नष्ट हो जाते है.



कल इसरो के पूर्व प्रमुख माधवन नायर अमित शाह के हाथों बीजेपी में शामिल हुए है. माधवन नायर 2005 के विवादास्पद एंट्रिक्स-देवास सौदे में शामिल रहे हैं. 2012 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था माधवन नायर ने एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए कई नियमों और नीतियों का उल्लंघन किया और साक्ष्यों को छिपाया..

2016 में सीबीआई ने अंतरिक्ष-देवास डील में केस दर्ज किया था, जिसमें कई अधिकारियों के नाम शामिल थे सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में इसरो के पूर्व चेयरमैन जी. माधवन नायर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का नाम भी शामिल किया था. डील के चलते ही जी. माधवन नायर को इसरो के चेयरमैन का पद समय से पहले ही छोड़ना पड़ा था. इसरो के पूर्व अध्यक्ष को इस वक्त भी दिल्ली की अदालत द्वारा जमानत पर रिहा किया गया है.

एंट्रिक्स इसरो का वाणिज्यिक अंग है जबकि देवास एक निजी कंपनी है, देवास और एंट्रिक्स के बीच एक साजिश के तहत समझौता किया गया था। इसरो के जीसैट-6 और जीसैट-6ए की सहायता से फोटो, मल्टीमीडिया और मोबाइल फोन सेवाओं को बेचने का अधिकार देवास को दे दिया गया था। इससे देवास को 578 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था.

इसरो द्वारा पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा की अगुवाई में गठित समिति की रिपोर्ट में इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर एवं तीन अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों को एंट्रिक्स देवास सौदे मामले में दोषी पाया. इन चारों को पहले ही कोई सरकारी पद ग्रहण करने से वंचित कर दिया गया.

उस रिपोर्ट में कहा गया है कि एंट्रिक्स-देवास सौदे की शर्तें पूरी तरह से देवास के पक्ष में थीं. इसमें कहा गया है कि सौदे की शर्तों के अनुसार उपग्रह की नाकामयाबी की सूरत में जोखिम पूरी तरह से अंतरिक्ष विभाग का होगा.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यह आश्चर्यजनक है कि फैसले के लिए देवास को एक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक माना गया, जबकि उसका पंजीकृत पता बेंगलूर में दिखाया गया है.

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस घोटाले से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है. हेग स्थित इंटरनेशनल ट्रिब्यूएनल ने देवास- एंट्रिक्स केस में भारत के खिलाफ फैसला सुनाया है. इसके साथ ही अब भारत को क्षतिपूर्ति के रूप में एक अरब अमेरिकी डॉलर यानी करीब 67 अरब रुपए की रकम चुकानी पड़ सकती है. ऐसे व्यक्ति को जिसके कारण अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को नीचा देखना पड़ा है ऐसे व्यक्ति को भाजपा में शामिल कर मोदी क्या संकेत देना चाहते हैं ?

दरअसल मोदी ने पिछले 15 अगस्त को भारत द्वारा 2022 तक अंतरिक्ष मे किसी भारतीय को भेजने का जो प्रोग्राम घोषित किया था और उसके पीछे निजी कम्पनियों को इसरो में प्रवेश दिलवाने की कोशिश की थी. उसके पीछे इन्ही माधवन नायर का दिमाग था. 2003 से 2009 तक इसरो के अध्यक्ष रह चुके जी माधवन नायर के समय मे ही इस हेतु अहम प्रौद्योगिकियां विकसित करने का काम शुरू हुआ था लेकिन मनमोहन सिंह ने इस हेतु साफ मना कर दिया था कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजना प्राथमिकता नहीं है.

2009 में जी. माधवन नायर को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्षयानिकी अकादमी (आईएए) का अध्यक्ष बनाया गया था. आईएए अंतरिक्ष में संभावनाओं के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध विशेषज्ञों का एक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय है.

साफ दिख रहा है कि ऐसे इसरो के इनसाइडर दागी लोगो की मदद हासिल इसलिए की जा रही है कि इसरो जैसी विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित संस्था में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जा सके और उसे भी पूरी तरह से अपने कब्जे में लिया जा सके.

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