बॉम्बे हाई कोर्ट ने 13 जनवरी तक बढ़ाई डा. वरवरा राव के हॉस्पीटलाइजेशन की अवधि

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 9, 2021
अदालत ने सख्त निर्देश दिए थे कि अदालत को सूचित किए बिना डॉ. राव को छुट्टी नहीं दी जाए



बॉम्बे हाईकोर्ट ने नानावती अस्पताल को कवि-कार्यकर्ता डॉ. वरवरा राव की स्वास्थ्य स्थिति पर एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। राव को जेल अस्पताल में स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद अदालत के आदेश के अनुसार नानावती अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस मामले पर अगली सुनवाई 13 जनवरी को है।

18 नवंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस एसएस शिंदे और माधव जामदार की बेंच ने निर्देश दिया कि डॉ. राव को NIA की हिरासत में रहते हुए 2 सप्ताह के लिए नानावती अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाए। लेकिन अदालत ने निर्देश दिया था कि उन्हें अदालत को सूचित किए बिना अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जानी चाहिए और अदालत उनकी मेडिकल रिपोर्ट की जांच करेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने डॉ. राव की रिहाई के लिए तर्क दिया था कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत भी, एक अभियुक्त जमानत का हकदार है और उसकी नजरबंदी क्रूरता है। इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया था कि “मृत्यु अपरिहार्य है। लेकिन हर कोई गरिमापूर्ण तरीके से बाहर निकलना चाहता है”।

जयसिंह ने अदालत को यह भी सूचित किया था कि उनके सह-अभियुक्त वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा की देखभाल की जा रही है, जो चिकित्सकीय रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं। इसलिए यदि कुछ भी अनहोनी होती है यो यह 'कस्टोडियल डेथ' से कम नहीं होगा।"

दलीलें सुनने के बाद, खंडपीठ ने कथित तौर पर कहा, “अंततः आदमी लगभग मृत्युशैया पर है। उसे उपचार की आवश्यकता है।” साथ ही कोर्ट ने निर्देशित किया कि डॉ. राव को नानावती अस्पताल ले जाया जाए। 13 जनवरी को अगली सुनवाई में अदालत इस बात पर विचार कर सकती है कि क्या उनकी चिकित्सीय स्थिति को देखते हुए अस्पताल में एडमिट रहने का समय बढ़ाया जाए।

डॉ. राव एक तेलुगु क्रांतिकारी कवि हैं उन्हें गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के कड़े आरोपों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। 2018 में उनके घर पर पुणे पुलिस द्वारा छापा मारने के बाद, 1 जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव हिंसा की योजना बनाने और उकसाने के लिए कथित रूप से शामिल किया गया था। उन्हें शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार शुरू में नजरबंद रखा गया था, लेकिन 2019 में उन्हें हिरासत में ले लिया गया और पुणे की यरवदा जेल में रखा गया था, जहां मामले के अन्य आरोपी, वर्नोन गोंसाल्वेस और गौतम नवलखा को भी आरोपित किया गया था।

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