सवर्णों ने चिता पर से दलित महिला का शव हटवाया, 4 किमी दूर दूसरे श्मसान पर जलाने को किया मजबूर

Written by sabrang india | Published on: July 29, 2020
काकरपुर। उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से करीब बीस किलोमीटर की दूरी पर काकरपुर गांव है। इस गांव के सवर्णों ने एक छब्बीस वर्षीय दलित महिला का शव पहले तो चिता पर से हटवाया और उसके बाद दूसरी जगह जलाने के लिए मजबूर किया। 



टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मृतका पूजा नट समुदाय से थीं और सवर्ण समाज के लोगों ने उसके शव को चार किलोमीटर दूर दलितों के लिए बनी श्मसान भूमि पर जलाने के लिए मजबूर किया। 

हालांकि इस मामले में मृतका के परिवार की ओर से अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है। प्रशासन का कहना है कि यहां जाति का बहुत गहरा असर है और परिवार ने अभी तक कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। 

रिपोर्ट के मुताबिक बीते 19 जुलाई को पूजा की गर्भाशय में हुए संक्रमण से मौत हो गई थी। अगले उनके पति राहुल और परिवार के लोग शव को लेकर ग्राम सभा की श्मशान भूमि पर गए।

राहुल ने कहा, ‘हमारे समुदाय के अंतिम संस्कार के लिए निर्धारित श्मशान भूमि पर एक ब्राह्मण ने कब्जा कर लिया है। इसलिए हमने पूजा का अंतिम संस्कार उस जमीन पर करने का फैसला किया जहां बाकी लोग करते हैं। हमने चिता तैयार की और जैसे ही मेरा चार साल का मेरा बेटा चिता को आग देने वाला था वैसे ही ठाकुर लोगों का एक समूह आ गया। उन्होंने हमसे अंतिम संस्कार रोकने के लिए कहा।

इसके बाद मामले में ग्राम प्रधान, प्रशासन, पुलिस और स्थानीय नेताओं ने दखल दिया, जो बहस करीब छह घंटे तक चली।

राहुल के भाई ने कहा, ‘लेकिन ठाकुर समुदाय के लोग नहीं माने। उन्होंने हमें उनका शव चार किमी दूर नागला लाल दास श्मशान भूमि पर ले जाने के लिए मजबूर किया, जहां उनके मुताबकि हमारे समुदाय के लोगों को अंतिम संस्कार करना चाहिए।

ग्राम प्रधान सुमन के पति बनवारी ने कहा, ‘ग्राम पंचायत के तहत आने वाले चार गांवों में 11 श्मशान भूमि हैं। ठाकुरों द्वारा पूजा के शव को ग्राम सभा की श्मशान भूमि पर जलाने से मना करने के बाद हमने उनसे नागला लाल दास श्मशान भूमि पर अंतिम संस्कार करने के लिए अनुरोध किया।’

सवर्ण समुदाय ने इस सही ठहराते हुए कहा कि यही नियम है जिसका हमेशा से पालन किया जा रहा है। एक निवासी चंदन सिंह ने कहा, ‘हर समुदाय के पास एक श्मशान भूमि होती है। हर किसी को नियम का पालन करना चाहिए। हम किसी और समुदाय को अपनी श्मशान भूमि का इस्तेमाल नहीं करने देंगे।’

एक अन्य निवासी हरवीर सिंह ने कहा, ‘नट खानाबदोश होते हैं। उन्हें सदियों पहले ठाकुरों के बगल में रहने के लिए यह जमीन दी गई थी, क्या यह काफी नहीं है?’

बताया गया है कि गांव में नट समुदाय के किसी भी सदस्य के पास कोई जमीन नहीं है।

सर्कल अधिकारी बीएस वीर कुमार ने कहा, ‘परिवार द्वारा कोई लिखित शिकायत नहीं किए जाने के कारण एफआईआर नहीं दर्ज किया गया। मामला शांति से निपट गया। हम समझते हैं कि ऊंची जाति के लोगों द्वारा नीची जाति के लोगों को शवदाह नहीं करने देना गैर कानूनी है लेकिन जाति व्यवस्था भारतीय समाज में बहुत गहराई में बसी है। शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए हमें सामंजस्य बैठाना होगा। परिवार भी शांति चाहता है और उन्हें जमीन का वादा किया गया।’

हालांकि, मामला मीडिया में आने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने कहा कि उक्त प्रकरण की जांच क्षेत्राधिकारी, अछनेरा को सौंपी गई है। दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलित महिला का शव कथित तौर पर चिता से हटवाने की घटना को अति-शर्मनाक करार देते हुए मंगलवार को मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों को सख्त सजा मिले।

मायावती ने ट्वीट किया, ‘यूपी में आगरा के पास एक दलित महिला का शव वहां जातिवादी मानसिकता रखने वाले उच्च वर्गों के लोगों ने इसलिए चिता से हटा दिया क्योंकि वह श्मशान-घाट उच्च वर्गों का था, जो यह अति-शर्मनाक व अति-निंदनीय भी है।’

उन्होंने कहा, ‘इस जातिवादी घृणित मामले की यूपी सरकार को उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि प्रदेश में ऐसी घटना की फिर से पुनरावृति न हो सके। बीएसपी की यह पुरजोर मांग है।’

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