बीजेपी ने फिर किया फर्जी दावा कहा, देश में तेजी से घटी बेरोजगारी

Written by देवनिक साहा | Published on: March 14, 2017
इस साल 5 मार्च को भारतीय जनता पार्टी ने ट्वीट कर दावा किया कि मोदी सरकार  के शासन में बेरोजगारी दर तेजी से घटी है। केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने की कोशिश के बेहतर नतीजे हासिल हुए हैं।

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भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट इकोफ्लैश के आधार पर ट्वीट में दावा किया गया कि देश में अगस्त, 2016 में बेरोजगारी दर 9.5 फीसदी थी। लेकिन फरवरी, 2017 आते-आते यह घट कर 4.8 फीसदी रह गई।

जबकि इंडियन एक्सप्रेस ने 5 मार्च, 2017 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि अगस्त 2016 से लेकर फरवरी 2017 के बीच बेरोजगारी दर में सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश में आई। अगस्त 2016 में यहां बेरोजगारी दर 17.1 फीसदी जो फरवरी 2017 में घट कर 2.9 फीसदी पर आ गई। इसके बाद मध्य प्रदेश ( 10 से 2.7 फीसदी), झारखंड (9.5 से 3.1 फीसदी), ओडिशा (10.2 से 2.9 फीसदी) और बिहार  (13 से 13.7 फीसदी) में बेरोजगारी दर में कमी आई।


 
फैक्ट चेकर ने विभिन्न स्त्रोतों से आए आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पाया कि केंद्र सरकार ने बेरोजगारी दर में आई कमी का जो दावा किया है वो या तो आउटडेटेड है या फिर अविश्वसनीय। क्योंकि  कई सरकारी रिपोर्टों और विश्लेषणों के मुताबिक बेरोजगारी के आंकड़े बीजेपी के दावों से मेल नहीं खाते।

बांबे स्टॉक एक्सचेंज के रियल टाइम डाटा के मुताबिक मार्च 2017 में देश की बेरोजगारी दर 4.68 फीसदी थी जो बीजेपी के दावों से मेल खाता है। लेकिन शहरों में बेरोजगारी दर 6.13 फीसदी थी और ग्रामीण इलाकों में 3.9 फीसदी। बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक ही 31 अगस्त, 2016 को देश में बेरोजगारी दर 9.7 फीसदी थी। शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 11.14 फीसदी थी जबकि ग्रामीण इलाकों में यह दर 9.01 फीसदी थी।
 
हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक लोकसभा में 6 फरवरी, 2017 को श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने लोकसभा में जो आंकड़े पेश किए उनके मुताबिक  2015-16 में भारत की बेरोजगारी दर 3. 7 फीसदी थी। हालांकि उसी दिन योजना राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा को बताया कि भारत में बेरोजगारी दर 5 फीसदी है और यह बढ़ रही है। खास कर अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों में। अब अगर एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर घट रही है तो फिर सरकार ने संसद में क्यों माना कि बेरोजगारी दर बढ़ रही है। लाइवमिंट ने 6 मार्च, 2017 को एक रिपोर्ट छापी, जिसमें कहा गया है कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट यानी ओईसीडी की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 15 से 29 साल के युवाओं के पास रोजगार, शिक्षा और ट्रेनिंग नहीं है।
 
इंडियास्पेंड ने 23 फरवरी, 2016 को एक रिपोर्ट छापी जिसमें कोटक सिक्यूरिटीज रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है भारत को हर साल दो करोड़ 30 नौकरियों की जरूरत है। लेकिन हर साल सिर्फ सत्तर लाख नौकरियों का ही सृजन हो पा रहा है। फाइनेंशियस एक्सप्रेस में जून 2015 में लिखे एक लेख में क्रिसिल के धर्मकीर्ति जोशी और दीप्ति देशपांडे ने लिखा कि भले ही भारत देश में कारोबार आसान बनाने और मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता बढ़ा कर रोजगार पैदा करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इससे रोजगार के आंकड़ों और मजदूरी की स्थिति के बारे में पता करने पर भी जोर देना होगा।
 
जोशी और देशपांडे ने लिखा - जुलाई 2014 में लेबर ब्यूरो ने छठे आर्थिक गणना के प्रोविजनल आंकड़े पेश किए। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 5-6 साल में भारत में नौकरियों के सृजन में बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन एनएसएसओ के आंकड़ों से इसकी पुष्टि नहीं होती। इस तरह से एक विरोधाभासी संदेश फैल रहा है।
 
(साहा, ससेक्स यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज में जेंडर एंड डेवलपमेंट में एमए के स्टूडेंट हैं)।
 
यह लेख सबसे पहले factchecker.in में प्रकाशित हुआ था।

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