भीमा कोरेगांव मामला: अदालत ने हेनी बाबू को तीन जून तक अस्पताल में रखने की परमीशन दी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 2, 2021
मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक निजी अस्पताल को एलगार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को तीन जून तक छुट्टी नहीं देने का निर्देश दिया है। जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस अभय आहूजा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि अगर ब्रीच कैंडी अस्पताल हेनी बाबू को तीन जून से पहले जेल वापस भेजना चाहता है तो उसे अदालत की अनुमति लेनी होगी।



नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हेनी बाबू को मई में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में उन्हें मुंबई के जीटी अस्पताल रेफर किया गया था। हेनी बाबू की पत्नी डॉ जेनी रोवेना ने उनके स्वास्थ्य का हवाला देते अंतरिम जमानत के अनुरोध वाली याचिका दायर की थी।

प्रोफेसर के वकील युग चौधरी ने पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान अदालत को बताया था कि हेनी बाबू की आंखों में गंभीर संक्रमण हो गया है और उनकी बायीं आंख में समस्या अधिक बढ़ गई है। इस पर अदालत ने 19 मई के अपने आदेश में हेनी बाबू को ब्रीच कैंडी अस्पताल में अपने खर्च पर भर्ती होने की अनमुति प्रदान की थी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने बीते 27 मई को एक निजी अस्पताल में बाबू के रहने के समय को एक जून तक बढ़ाते हुए अस्पताल से उसकी स्थिति और कोविड-19 से संबंधित उपचार और आंखों के संक्रमण पर एक अंतरिम चिकित्सा रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था।

मंगलवार को चौधरी ने पीठ को बताया कि बाबू की आंख का संक्रमण ठीक हो रहा है, लेकिन उन्हें अब भी चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। उसके बाद पीठ ने ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनके रहने का समय बढ़ा दिया और बाबू के वकील को अस्पताल को सूचित करने के लिए कहा कि अगली सुनवाई तक उन्हें छुट्टी न दी जाए। अदालत ने समय की कमी के कारण सुनवाई 3 जून तक के लिए स्थगित कर दी।

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी (54 वर्ष) को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर 28 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया था। एनआईए ने दलील दी है कि बाबू के भाकपा (माओवादी) से संबंध हैं।

गौरतलब है कि पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले एल्गार परिषद का सम्मेलन आयोजित किया गया था। पुलिस के मुताबिक, इस कार्यक्रम के दौरान दिए गए भाषणों की वजह से जिले के कोरेगांव-भीमा गांव के आसपास एक जनवरी 2018 को जातीय हिंसा भड़की थी।

इस मामले में देश के नामी 16 शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, कवि और वकीलों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सुधीर धावले, शोमा सेन, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा हैं।



 

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