एक भारतीय मतदाता का चौकीदार नरेंद्र मोदी के नाम खुला खत

Written by रविकांत सिंह | Published on: April 6, 2019
प्रिय,
चौकीदार नरेन्द्र मोदी
जय हिंद,

मैं  एक  भारतीय  नागरिक  हूँ।  अपनी  नैतिकता  की  रक्षा  के  लिए  आपको  पत्र  लिख  रहा  हूँ।  आपके  लिए  ये  पत्र लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित व भारतीय संविधान के अनुरूप है। मैं आपसे घृणा नहीं करता हूं। यह मेरा नैतिक धर्म है। मेरी आत्मा बलिष्ठ है इसलिए मैं हिंसा का विरोधी हूँ। 2013 से पहले भी मैं आपको सुनता था और आपके कार्य व्यवहार को समझता था। तब, आप अखिल भारतीय नेता नहीं थे। इसलिए आपको और आपकी राजनीति को ज्यादा महत्व नहीं देता था। जब यूपीए की सरकार में नेताओं की चोरी और सीनाजोरी बढ़ी तब, बीजेपी नेताओं ने आप को महत्व दिया और प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया। आपने भी देश की तरक्की के लिए तमाम कसमें-वायदे किए और ‘‘अच्छे दिन आने वाले हैं ’’ के नारे लगाये।

मैंने  आपका  महत्व  तब  जाना  जब,  2014  में  देश  के  मतदाताओं  ने  आपके  जुमलों  को  सच  मानकर  आपके  नेतृत्व  को स्वीकारा। और आप देश के प्रधानमंत्री बनने की बजाय पूँजीपतियों और भ्रष्ट नौकरशाहों के लठैत बन बैठे। आप अपने गुणकर्म और दोषकर्म को अच्छी तरह से समझते हैं इसलिए नाम के आगे आप चौकीदार लिखते हैं। आपकी चौकीदारी में हिंसा से भरी आवाजों का शोर सुनाई देता है। देश में हिंसक विचारों से उत्पन्न और असहनशील वातावरण ने कई मासूमों की जान ले ली। देश में भ्रम और आतंक का माहौल आपकी चौकीदारी में पैदा हुआ। आप की चौकीदारी में घृणा, द्वेष की सीख देने और वैमनस्यता फैलाने वाले अमानवीय प्रवृत्ति के लोगों को आपके मंत्रियों के द्वारा न केवल आश्रय मिला बल्कि उन्हें पुरस्कृत भी किया गया।

आपकी चौकीदारी में मिट्टी खोदने वाले गोइते से दरिंदे शंभूलाल रैगर ने अफरानुल जैसे निर्दोष व्यक्ति को पीड़ा दे देकर निर्मम हत्या कर दी और घटना की वीडियो बनाकर उसने आप जैसे चौकीदारों को खुल्लम-खुल्ला चुनौती दी। आपने उस घटना पर देश से माफी नहीं मांगी। आपकी चुप्पी ने दरिन्दे के मनोबल को और बढ़ा दिया। अब वह खुद को हिंदुओं का रहनुमा समझते हुए जेल में रहते हुए आप को संबोधित कर रहा है।

हिंसात्मक विचारों से उत्पन्न राजनीतिक प्रदुषण की पैदाइश जघन्य अपराधों पर आपकी खामोशी से त्रस्त कुछ छात्रों ने आपकी सरकार का विरोध किया तो आपने उन्हें देशद्रोही घोषित करवा दिया। छात्र देश का भविष्य निर्माता हैं पर आप तो उनका भविष्य ही खत्म करने पर आमादा हैं।

आप  की  चौकीदारी  में  समझौता  ट्रेन  में  ब्लास्ट  कर  बेकसूरों  को  मारने  वाले  आतंकी  सजा  से  बच  जाते  हैं।  आप  की चौकीदारी में पठानकोट, पुलवामा में जवानों को मारा जाता है। आप की चौकीदारी में अनेक पत्रकारों की निर्मम हत्या की जाती है।

जिस महात्मा गॉंधी के सम्मान में 2 अक्टूबर को पूरा विश्व अहिंसा दिवस मनाता है। ऐसे महापुरूष की तस्वीर पर आप की चौकीदारी में एक हिंदुत्व की ठेकेदार महिला पिस्तौल सटा कर अहिंसा मार्गी व्यक्तियों को संदेश देती है कि आज के समय में यदि गांधी जीवित होते तो मैं उन्हें गोली मार देती। वह महिला आपकी वंदना करती है।
 
मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं से देश को आतंकित किया गया और आपकी चौकीदारी में इन घटनाओं को जन्म देने वाले आतंकियों को पनाह व सम्मान मिला है। कानून को दरकिनार कर हिंसा करने वाले दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं पर उन्हें सरकार के मंत्रियों द्वारा उन्हें पुरस्कृत नहीं किया जाता है।

व्यक्ति के संस्कार और चरित्र की मजबूती उसकी सुरक्षा की गारण्टी है। और ये बात हिन्दुओं को पता है। वह अकेले ही बुराई से लड़ने के लिए काफी हैं पर आप हिन्दुत्व के नाम पर निर्दयी तैस से भरे लोगों को लेकर भेड़ियों का झुण्ड बना रहे हैं। इस झुण्ड में सभी हिन्दुओं को शामिल करना चाहते हैं। हिन्दुत्व खतरे में है ये कहते-कहते आपने हिन्दु धर्म को ही खतरे में डाल दिया है। ये देश को पता है कि केवल आप अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

आप और आपके मंत्री बेशर्मी से इन दरिंदों के साथ चुनाव प्रचार करते हैं और फोटो खिंचवाकर हिंसा को अपना धर्म मानने का ऐलान करते हैं। नरेन्द्र मोदी जी आपकी दिलचस्पी यदि हिंसा में इतनी ही है तो, अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले महात्मा गांधी की आड़ क्यों लेते हैं? क्यों उन्हें और उनके विचारों को दूषित करते हैं ? सुरक्षा, हिंसा और युद्ध में क्या अन्तर है इसे मैं जानता हूँ। मेरा निजी अनुभव है कि हिंसा और नफरत से सामाजिक विकास नहीं होता है। भय और नफरत को दूर करके ही मानव विकास और समाजिक विकास सम्भव है। इस अनुभव को अच्छे बुरे सभी जानते हैं। और मानते हैं कि आपने देश का विकास नहीं विनाश किया है। आपने जो विकास का ढोंग किया है उसे दुनिया समझ रही है। आपको इतिहास में भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में कैसा स्थान प्राप्त होगा इस बात से मुझे आप जैसे चौकीदारों की चिंता हो रही है।

देश में लोकतंत्र का पर्व मनाया जा रहा है इस पर्व में चोर, डकैत, बेईमान, अमीर, गरीब, ईमानदार, भ्रष्टाचारी सभी चुनाव लड़ते हैं और सभी तरह के वोटरों के वोटों का मूल्य भी बराबर है। आपके वोट की गिनती एक है और मेरे वोट की गिनती भी एक ही है। पर मैं कुछ मामलों में आपसे अधिक महत्व रखता हूँ वह, ये कि मैं एक स्वतंत्र मतदाता हूँ। इस कारण मेरी बातों का महत्व आप के जुमलों से अधिक है। जैन समाज, बौद्ध अनुयायी अहिंसा को ही धर्म मानते है। हिंदुओं के पवित्र धर्मग्रंथ भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ‘अहिंसा परमो धर्म:’। अर्थात् अहिंसा सर्वोच्च धर्म है। मैं एक हिंदू हॅूं इसलिए अहिंसा के मार्ग पर चलना और अहिंसा का विरोध करना मेरा धर्म है।

आपने हिंसक विचारों को अपनाकर हिन्दुत्व का अपमान किया है। हिंसात्मक विचारों और आतंकियों को पुरस्कृत करने वालों को मैं देश का नेतृत्व नहीं दे सकता। आपने एकता और अखण्डता को तोड़कर प्रधानमंत्री पद को कलंकित और देश की राजनीति को प्रदूषित किया है यह असल देशद्रोह है। कानून और संविधान का मुख्य आधार नैतिकता है। अत: आप नैतिक रूप से देशद्रोही हैं। क्यों न आपको देशद्रोही होने पर दण्डित किया जाय? इसलिए मैं दण्ड स्वरूप आप और आपके जैसे चौकीदारों का बहिष्कार कर रहा हूँ।

भारतीय मतदाता

रविकांत सिंह ‘द्रष्टा’

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