इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शहरी निकाय के प्रशासनिक गलतियों पर खासी नाराजगी जताई है। बेंच ने सोमवार को यूपी सरकार को सख्त आदेश देते हुए कहा है कि मटन और चिकन दुकानदारों का लाइसेंस तुरंत रीन्यू करे। यह काम एक हफ्ते के भीतर करने को कहा गया है। 31 मार्च को लाइसेंस की अवधि खत्म हो रही थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच ने आदेश जारी करते हुए कहा कि दस दिनों के अंदर प्रशासन को हर दो किलोमीटर की दूरी पर चिकन और बकरे काटने की सुविधा बहाल करनी होगी। उर्दू दैनिक राष्ट्रीय सहारा ने अदालत के इस आदेश की खबर छापी है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 30 तारीख को निर्धारित करते हुए आदेश को तुरंत लागू करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि आदेशों को लागू करने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
हाई कोर्ट की जस्टिस एपी शाही और जस्टिस संजय हरकोली की बेंच ने बहराइच के सईद अहमद और अन्य की याचिका पर ये आदेश दिए। याचिका में कहा गया था लाइसेंसों का नवीकरण लंबित होने की वजह से राज्यों में लाखों लोगों की रोजी-रोटी के सामने गंभीर खतरा पैदा हो गया है। याचिका में कहा गया था कि प्रशासन के कामकाज करने के असंवैधानिक तरीके से उनका लाइसेंस रीन्यू नहीं हो सका।
इस बीच, राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित एक अन्य खबर के मुताबिक सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की एक खंडपीठ ने लखनऊ नगर निगम को नोटिस जारी कर दिया। यहां भी दुकानदारों के लाइसेंस रीन्यू करने का मामला था। दरअसल यहां भैंस का मीट बेचने वाले दुकानदारों का लाइसेंस रीन्यू नहीं किया गया था। निगम को 4 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया था। इस मामले में जस्टिस एस एन शुक्ला और जस्टिस एस के सिंह की बेंच ने आदेश जारी किया। यहां शहाबुद्दीन और अन्य की ओर से गिरीश चंद्रा ने याचिका दायर की थी। इस संबंध में दाखिल की गई याचिका की रिपोर्ट सबरंगइंडिया ने प्रकाशित की थी।
( याचिका की पूरा पाठ यहां उपलब्ध है।)
(उर्दू राष्ट्रीय सहारा से साभार )
इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच ने आदेश जारी करते हुए कहा कि दस दिनों के अंदर प्रशासन को हर दो किलोमीटर की दूरी पर चिकन और बकरे काटने की सुविधा बहाल करनी होगी। उर्दू दैनिक राष्ट्रीय सहारा ने अदालत के इस आदेश की खबर छापी है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 30 तारीख को निर्धारित करते हुए आदेश को तुरंत लागू करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि आदेशों को लागू करने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
हाई कोर्ट की जस्टिस एपी शाही और जस्टिस संजय हरकोली की बेंच ने बहराइच के सईद अहमद और अन्य की याचिका पर ये आदेश दिए। याचिका में कहा गया था लाइसेंसों का नवीकरण लंबित होने की वजह से राज्यों में लाखों लोगों की रोजी-रोटी के सामने गंभीर खतरा पैदा हो गया है। याचिका में कहा गया था कि प्रशासन के कामकाज करने के असंवैधानिक तरीके से उनका लाइसेंस रीन्यू नहीं हो सका।
इस बीच, राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित एक अन्य खबर के मुताबिक सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की एक खंडपीठ ने लखनऊ नगर निगम को नोटिस जारी कर दिया। यहां भी दुकानदारों के लाइसेंस रीन्यू करने का मामला था। दरअसल यहां भैंस का मीट बेचने वाले दुकानदारों का लाइसेंस रीन्यू नहीं किया गया था। निगम को 4 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया था। इस मामले में जस्टिस एस एन शुक्ला और जस्टिस एस के सिंह की बेंच ने आदेश जारी किया। यहां शहाबुद्दीन और अन्य की ओर से गिरीश चंद्रा ने याचिका दायर की थी। इस संबंध में दाखिल की गई याचिका की रिपोर्ट सबरंगइंडिया ने प्रकाशित की थी।
( याचिका की पूरा पाठ यहां उपलब्ध है।)
(उर्दू राष्ट्रीय सहारा से साभार )