झारखंड में अलीमुद्दीन अंसारी की लिंचिंग के मामले झारखंड हाईकोर्ट ने एक साल बीजेपी नेता नित्यानंद महतो और सात अन्य लोगों को मिली आजीवन कारावास की सजा सस्पेंड कर दिया है।
कोर्ट का यह आदेश 29 जुलाई को हुई इस घटना के तीन महीने बाद आया था। झारखंड की हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता समेत आठ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पिछले साल 29 जून को झारखंड के रामगढ़ जिले में गोमांस ले जाने का आरोप लगाकर बीजेपी नेता और दस अन्य गौरक्षकों ने अलीमुद्दीन अंसारी की लिंचिंग कर ली थी। जिसके इस साल 21 मार्च को एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इनपर आजीवन कारावास की सजा लगाई थी।
जस्टिस एससी मिश्रा और बीबी मंगलमूर्ति की बेंच ने अपीलकर्ता के जमानत आवेदन पर सुनवाई की थी, फिर आईपीसी की धारा 147, 148, 427/149 , और 302/109 के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।
जजों ने महतो और सात अन्य लोगों में प्रत्येक को 10,000 रुपये के जमानत बांड जमा करने के साथ ही रिहा करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट के ऑर्डर को नीचे पढ़ें।
अभियोजन पक्ष की ओर से 29 जून 2017 को मृतक की पत्नी द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार अपील की थी जिसमें उन्होने कहा था कि उनके पति रामगढ़ के लिए सुबह आठ बजे अपने गांव मनुआ से निकल चुके थे. इसके दो घंटे बाद उन्हें रामगढ़ बाजार में सूचना मिली थी कि बारह नामित आरोपियों (जिनमें ये अपीलकर्ता भी शामिल हैं) ने उनके पति पर हमला किया, उन्हें मारुति वैन से बाहर खींचकर वाहन को जला दिया गया था। उसमें उनके पति की मौके पर ही मौत हो गई थी। एफआईआर में उसने कहा था कि अभियुक्त व्यक्तियों को तस्वीरों और वीडियो से पहचाना जा सकता है।
उसी दिन रामगढ़ पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी द्वारा एक और एफआईआर दर्ज की गई थी जिसमें उन्होने दावा किया कि लगभग 9.45 बजे उन्हें सूचित किया गया था कि एक मारुति वैन प्रतिबंधित मांस ले जा रही थी। एफआईआर में आगे कहा गया कि जानकारी के आधार पर पुलिस अधिकार दस बजे घटनास्थल पर पहुंचे और पाया कि मारुति वैन को आग लगी हुई थी। दो प्लास्टिक बैग में प्रतिबंधित मांस था और सड़क पर यहां-वहां गोमांस बिखरा हुआ था।
घायल स्थित में एक व्यक्ति गिरा हुआ था जिसने अपना नाम मोहम्मद अलीमुद्दीन के रुप में बताया। घायल व्यक्ति ने कथित रुप से स्वीकार किया कि वह गोमांस ले जा रहा था। अज्ञात व्यक्तियों की भीड़ ने रास्ते में वैन को आग लगा दी और उन पर हमला किया।
बयान के आधार पर रामगढ़ पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी ने झारखंड पशु निषेध अधिनियम के तहत आईपीसी की धारा 414/34, 12 (2), 11(डी)/20 21 के तहत मामला दर्ज किया था।
कोर्ट का यह आदेश 29 जुलाई को हुई इस घटना के तीन महीने बाद आया था। झारखंड की हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता समेत आठ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पिछले साल 29 जून को झारखंड के रामगढ़ जिले में गोमांस ले जाने का आरोप लगाकर बीजेपी नेता और दस अन्य गौरक्षकों ने अलीमुद्दीन अंसारी की लिंचिंग कर ली थी। जिसके इस साल 21 मार्च को एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इनपर आजीवन कारावास की सजा लगाई थी।
जस्टिस एससी मिश्रा और बीबी मंगलमूर्ति की बेंच ने अपीलकर्ता के जमानत आवेदन पर सुनवाई की थी, फिर आईपीसी की धारा 147, 148, 427/149 , और 302/109 के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।
जजों ने महतो और सात अन्य लोगों में प्रत्येक को 10,000 रुपये के जमानत बांड जमा करने के साथ ही रिहा करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट के ऑर्डर को नीचे पढ़ें।
अभियोजन पक्ष की ओर से 29 जून 2017 को मृतक की पत्नी द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार अपील की थी जिसमें उन्होने कहा था कि उनके पति रामगढ़ के लिए सुबह आठ बजे अपने गांव मनुआ से निकल चुके थे. इसके दो घंटे बाद उन्हें रामगढ़ बाजार में सूचना मिली थी कि बारह नामित आरोपियों (जिनमें ये अपीलकर्ता भी शामिल हैं) ने उनके पति पर हमला किया, उन्हें मारुति वैन से बाहर खींचकर वाहन को जला दिया गया था। उसमें उनके पति की मौके पर ही मौत हो गई थी। एफआईआर में उसने कहा था कि अभियुक्त व्यक्तियों को तस्वीरों और वीडियो से पहचाना जा सकता है।
उसी दिन रामगढ़ पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी द्वारा एक और एफआईआर दर्ज की गई थी जिसमें उन्होने दावा किया कि लगभग 9.45 बजे उन्हें सूचित किया गया था कि एक मारुति वैन प्रतिबंधित मांस ले जा रही थी। एफआईआर में आगे कहा गया कि जानकारी के आधार पर पुलिस अधिकार दस बजे घटनास्थल पर पहुंचे और पाया कि मारुति वैन को आग लगी हुई थी। दो प्लास्टिक बैग में प्रतिबंधित मांस था और सड़क पर यहां-वहां गोमांस बिखरा हुआ था।
घायल स्थित में एक व्यक्ति गिरा हुआ था जिसने अपना नाम मोहम्मद अलीमुद्दीन के रुप में बताया। घायल व्यक्ति ने कथित रुप से स्वीकार किया कि वह गोमांस ले जा रहा था। अज्ञात व्यक्तियों की भीड़ ने रास्ते में वैन को आग लगा दी और उन पर हमला किया।
बयान के आधार पर रामगढ़ पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी ने झारखंड पशु निषेध अधिनियम के तहत आईपीसी की धारा 414/34, 12 (2), 11(डी)/20 21 के तहत मामला दर्ज किया था।