दलित परिवार को दाह संस्कार से रोकने के मामले में आगरा पुलिस शुरू की जांच

Written by sabrang india | Published on: July 30, 2020

आगरा। उत्तर प्रदेश की आगरा पुलिस ने दलित परिवार को कथित उच्च जाति की ओर से श्मसान स्थल पर शव न जलाने के मामले में जांच शुरू कर दी है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी इस मामले में हाईलेवल जांच की मांग की है।



यह घटना 20 जुलाई को अछनेरा पुलिस थाना क्षेत्र के काकरपुरा गांव में हुई थी। वर्षीय पूजा नट समुदाय से ताल्लुक रखती थी। डिलीवरी के दौरान दिक्कतों की वजह से उसकी मौत हो गई थी। उसके परिवार ने बताया था कि उसके शव को गांव के श्मसान घाट ले जाया गया था।

पूजा के ससुर बृजपाल (60 वर्षीय) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि 19 जुलाई को कुछ दिक्कतों के कारण उनकी मृत्यु हो गई। जिस भूमि पर हम अंतिम संस्कार करने गए, वह ठाकुर समुदाय द्वारा अतिक्रमण कर बेची गई है। 20 जुलाई को हम शव को श्मसान घाट ले गए जहां ठाकुर समुदाय के लोगों ने हमें रोक दिया। मेरे पोते के द्वारा चिता को मुखाग्नि देने से ठीक पहले वे वहां पहुंचे और उन्होंने हमसे कहा कि हम यहां अंतिम संस्कार नहीं कर सकते क्योंकि यह ठाकुर समुदाय के लिए है। हमने उनसे अंतिम संस्कार करने की अनुमति देने की विनती की लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी। वे दंगा फसाद करने के मूड में थे। इसके बाद हमने शव को नट समुदाय के एक अन्य श्मसान घाट पर ले गए।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पूजा की एक वर्षीय बेटी और एक चार वर्षीय बेटा है। उनका पति राहुल एक मजदूर है। उनके परिवार ने दावा किया कि वे बीस साल से गांव में रह रहे हैं। यह पूछने पर कि उन्होंने पुलिस शिकायत क्यों नहीं दर्ज की, बृजपाल ने कहा, “हम विवाद नहीं चाहते थे। हम बहुत गरीब हैं और लोगों के बीच नहीं जा सकते क्योंकि वे संपन्न हैं।”

आगरा के एडिशनल एसपी (पश्चिम) रवि कुमार ने कहा कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा, 'हमने मीडिया में रिपोर्ट देखने के बाद इस मुद्दे पर संज्ञान लिया और इस मामले की जांच के लिए एक पुलिस दल भेजा था। पूजा के परिवार से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है, लेकिन हम इस मामले की जांच सर्किल अधिकारी (अछनेरा) बी एस वीर कुमार से कर रहे हैं और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

बसपा प्रमुख मायावती ने इस घटना के बारे में ट्वीट किया: “यह एक शर्मनाक और निंदनीय घटना है। ऐसी घटनाओं को फिर से होने से रोकने के लिए, राज्य सरकार को एक उच्च-स्तरीय जांच का आदेश देना चाहिए और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए… ”

बाकी ख़बरें