CAB पर BSP के मूक समर्थन से आहत भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर, बनाएंगे नई पार्टी

Written by sabrang india | Published on: December 13, 2019
नई दिल्ली। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद अब सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले हैं। चंद्रशेखर आजाद ने सक्रीय राजनीति में आने का ऐलान कर दिया। चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि वे खुद की एक अलग राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर कोई रुख न लेने के बाद अपनी पार्टी बनाने का फैसला किया है।



नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ कोई रुख नहीं लेने के कारण बसपा पर निशाना साधते हुए भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने गुरुवार को कहा कि वह दलितों को ‘राजनीतिक विकल्प’ देंगे। उन्होंने युवाओं से उनसे जुड़ने की अपील की। उन्होंने ट्वीट किया, "बसपा के दो सांसद संविधान को बचाने की लड़ाई छोड़कर भाग गए और भाजपा की (नागरिकता (संशोधन) विधेयक में) मदद की। उन्होंने बी आर आंबेडकर, बसपा संस्थापक कांशीराम और बहुजन समाज (दलित समुदाय) के साथ छल किया है।"

उन्होंने ट्वीट किया, "ऐसा कर बसपा ने मुस्लिमों को असुरक्षित महसूस करवाया और बहुजन राजनीति को कमजोर किया। आज मैं दलितों को राजनीतिक विकल्प देने की घोषणा करता हूं और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले ईमानदार, संघर्षशील और मिशनरी युवाओं से अपील करता हूं कि वे आकर नेतृत्व संभालें। जय भीम!"

चंद्रशेखर ने ट्विटर पर लिखा- जब संसद में संविधान की हत्या हो रही थी उस वक्त बसपा के दो राज्यसभा सांसद संविधान बचाने की लड़ाई छोड़कर भाग गए और बीजेपी को फायदा पहुंचाया। ऐसा करके उन्होंने बाबा साहेब,माननीय कांशीराम जी और पूरे बहुजन समाज के साथ छल किया है।इससे पहले भी गैर संवैधानिक आर्थिक आधार पर आरक्षण,धारा 370 पर समर्थन देकर बहन मायावती जी ने भाजपा को फायदा पहुंचाया। ऐसा करके आपने बहुजन समाज के अभिन्न अंग मुस्लिम समाज को असुरक्षित महसूस करवाया और बहुजन राजनीति को कमजोर किया।

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने पार्टी के नाम के लिए सुझाव मांगा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि साथियों आप लोगों ने जिस तरह मेरे प्रति प्रेम और पूर्ण विश्वास व्यक्त किया है, उसके लिए मैं हमेशा आप लोगों का कर्जदार रहूंगा। मेरे लिए ये भावुक क्षण है। अब जब नया राजनीतिक विकल्प देने का फैसला कर ही लिया है तो पार्टी के नाम के लिए भी आप लोग ही सुझाव दें।

बता दें, नागरिकता संसोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो गया। राज्यसभा में बिल के लिए हुए मतदान के वक्त बसपा के सांसद राजाराम और सांसद अशोक सिद्धार्थ गैरमौजूद रहे थे।

चंद्रशेखर के मुताबिक, सीएबी और एनआरसी देश के संविधान को ख़त्म करने की साज़िश है। इस देश के दलित,आदिवासी, पिछड़े, मुस्लिम यहां के मूलनिवासी है। जो बाहर से आए हैं वो आर्यन है उनका डीएनए टेस्ट हो और उन्हें पहले एनआरसी के दायरे में लाया जाए। देश के बहुजन कमर कसे संविधान की सुरक्षा व देश के सबसे बड़े आंदोलन के लिए।

मायावती का नहीं मिला सहयोग
चंद्रशेखर ने दलितों की आवाज उठाने के लिए तमाम तरह के विरोध प्रदर्शन किए लेकिन उन्हें कभी बसपा सुप्रीमो मायावती का समर्थन नहीं मिला। यहां तक की कई बार चंद्रशेखर ने मायावती से मिलने की भी कोशिश की लेकिन मायावती ने मुलाकात नहीं की। यही कारण है कि चंद्रशेखर ने अब बहुजन समाज की आवाज उठाने के लिए चुनावी राजनीति में उतरने का फैसला किया है। खुद कई बार बीजेपी का मूक समर्थन करती नजर आईं बसपा सुप्रीमो चंद्रशेखर पर संघ के इशारे पर काम करने का आऱोप लगाती रही हैं। 


 

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