भाषा के मामले में मोदी से होड़ ले रहा है आज तक !

Written by मुकुल सरल | Published on: February 11, 2017
“आज तक” पूछ रहा है कि “सबको मिर्ची लगी तो मोदी क्या करें!” तो भैया हमें तो मिर्ची लगी है, एक तो आपकी भाषा से और दूसरे आपके पक्षपात से।



हालांकि आपने (आज तक) अपने प्रोग्राम “विशेष” (9 फरवरी, समय रात 10.30 बजे) के प्रमोशन के लिए यह टीज़र (Coming Up) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के  संसद में दिए गए “रेनकोट” वाले बयान और उस पर हुए विवाद ख़ासकर विपक्ष की आपत्तियों के संदर्भ में दिया। लेकिन आम ज़बान या प्रचलित भाषा के नाम पर आपने भाषा की जो दुर्गति की है और इसकी आड़ में मोदी जी के प्रति जो भक्ति भाव दिखाया है वह केवल “मिर्ची” लगने की बात नहीं है बल्कि चिंता की भी बात है।

चिंता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि आप खुद के सर्वश्रेष्ठ होने का दावा करते हैं और यह भी दावा करते हैं कि आप टीआरपी में भी नंबर वन हैं। आपकी जब आम घरों तक पहुंच है तो फिर तो आपको भाषा का विशेष ख्याल रखना चाहिए, साथ ही किसी दल विशेष की इस तरह तरफ़दारी भी ठीक नहीं। हालांकि अब यह सब नया नहीं है, मीडिया की भाषा और पक्षपात पूर्ण रवैये को लेकर किसी को कोई शक नहीं है लेकिन इसका इस तरह प्रदर्शन क्या ठीक है। मज़ाक या व्यंग्य में ही सही लेकिन पूछा जा सकता है कि क्या इसमें भी “आज तक” मोदी जी से होड़ करना चाहता है!

भाषा का जहाँ तक सवाल है उसमें हम यह अपेक्षा नहीं कर रहे की आप कोई उच्च मानदंड स्थापित करेंगे या लोगों को शिक्षित करने की ज़िम्मेदारी लेंगे (हालांकि यह मीडिया की घोषित ज़िम्मेदारी है)। हम जानते हैं की आज मीडिया बाज़ार से संचालित होता है लेकिन बाज़ार की भाषा और बाज़ारू भाषा में भी फ़र्क होता है मेरे भाई! इसी तरह किसी दल, विचार या विचारधारा का समर्थक या पक्षधर होने और प्रवक्ता या प्रचारक होने में भी फ़र्क है।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
 

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