बच्चों को मिड-डे मील का दोपहर में मिलने वाले भोजन के लिए आधार कार्ड जरूरी कर दिया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि मिड डे मील के फायदे के लिए आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य होगा और इसके लिए 30 जून तक का वक्त दिया है।

इस तारीख के बाद अगर किसी बच्चे का आधार नंबर नहीं है तो उसके अभिभावक को आधार रजिस्ट्रेशन स्लिप दिखानी होगी ताकि पता चल सके कि आधार नंबर के लिए आवेदन किया गया है। स्कूल शिक्षा से जुड़ी योजनाओं के साथ आधार नंबर को लिंक करने के केंद्र सरकार के निर्णय के बाद यह कदम उठाया गया है। मंत्रालय द्वारा यह कदम पारदर्शिता और क्षमता बढ़ाने के मकसद से लिया गया है।
डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन ऐंड लिटरेसी (DSEL) ने उन लोगों को 30 जून तक इससे छूट देने का फैसला किया है जिनके पास अब भी आधार कार्ड नहीं है। सरकार मे मिड डे मील स्कीम के तहत काम करने वाले रसोइयों के लिए भी आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है। मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘सेवाओं के लिए दस्तावेज के तौर पर आधार कार्ड के उपयोग से सरकार को क्रियान्वयन में सुविधा होती है।
इसके साथ ही इससे उपभोक्ता को सीधे तौर पर सामग्री मिलती है। इस संबंध में स्कूलों को भी नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें योजना का लाभ लेने को इच्छुक छात्रों से आधार नंबर मुहैया करने को कहा जाएगा।’ मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, मिड डे मील स्कीम के तहत देश में 12 लाख स्कूलों के 12 करोड़ बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है। इस योजना पर सरकार सालाना करीब साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये खर्च करती है, आठवीं तक के बच्चों को इस योजना के तहत खाना मिलता है।
सरकार तमाम सुविधाएं आधार नंबर से जोड़ रही है। उसका कहना है कि वह इससे फर्जीवाड़ा रोकना चाहती है। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मिड डे मील जैसी योजना में आधार को जरूरी बनाना बहुत गलत है, क्योंकि इससे देश के बहुत गरीब और जरूरतमंद बच्चे इसके फायदे से महरूम रह जाएंगे।
Courtesy: Janta Ka Reporter

इस तारीख के बाद अगर किसी बच्चे का आधार नंबर नहीं है तो उसके अभिभावक को आधार रजिस्ट्रेशन स्लिप दिखानी होगी ताकि पता चल सके कि आधार नंबर के लिए आवेदन किया गया है। स्कूल शिक्षा से जुड़ी योजनाओं के साथ आधार नंबर को लिंक करने के केंद्र सरकार के निर्णय के बाद यह कदम उठाया गया है। मंत्रालय द्वारा यह कदम पारदर्शिता और क्षमता बढ़ाने के मकसद से लिया गया है।
इसके साथ ही इससे उपभोक्ता को सीधे तौर पर सामग्री मिलती है। इस संबंध में स्कूलों को भी नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें योजना का लाभ लेने को इच्छुक छात्रों से आधार नंबर मुहैया करने को कहा जाएगा।’ मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, मिड डे मील स्कीम के तहत देश में 12 लाख स्कूलों के 12 करोड़ बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है। इस योजना पर सरकार सालाना करीब साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये खर्च करती है, आठवीं तक के बच्चों को इस योजना के तहत खाना मिलता है।
सरकार तमाम सुविधाएं आधार नंबर से जोड़ रही है। उसका कहना है कि वह इससे फर्जीवाड़ा रोकना चाहती है। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मिड डे मील जैसी योजना में आधार को जरूरी बनाना बहुत गलत है, क्योंकि इससे देश के बहुत गरीब और जरूरतमंद बच्चे इसके फायदे से महरूम रह जाएंगे।
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