उत्तर प्रदेश के बरेली के मीरगंज के प्राथमिक स्कूल कपूरपुर में मिड डे मील के दौरान सामान्य और दलित छात्रों को अलग-अलग जगह से भोजन की थाली व गिलास दिए गए। ब्लॉक के अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) के सामने ही जातीय भेदभाव का यह मामला सामने आया। उन्होंने अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भेजी है। मीरगंज ब्लॉक में गणित के अकादमिक रिसोर्स पर्सन शैलेंद्र कुमार सिंह मंगलवार को मॉनिटरिंग के लिए कपूरपुर स्कूल गए हुए थे।
मॉनिटरिंग के दौरान ही स्कूल में मिड डे मील का वितरण हो रहा था। उन्होंने देखा कि सामान्य जाति के बच्चों और एससी बच्चों की भोजन की थाली और गिलास अलग-अलग स्थान से दिए जा रहे थे। पूछने पर प्रधानाध्यापक ने बताया कि एससी बच्चों की भोजन थाली तथा दूध के गिलास अलग रखे जाते हैं। स्कूल की स्थिति देखकर यह सहज पता चल रहा था कि यहां भोजन देने में जातिगत आधार पर भेदभाव किया जाता है। इससे बच्चों के मन पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। शैलेंद्र की यह रिपोर्ट अधिकारियों के पास आते ही हड़कंप मच गया।
प्रधानाध्यापक ने फाड़ दिया रजिस्टर:
अधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में शैलेंद्र ने बताया कि मॉनिटरिंग के बाद स्कूल की स्थिति के बारे में उन्होंने प्रधानाध्यापक से चर्चा की। उन्होंने रजिस्टर पर सहयोगात्मक सुझाव भी लिखे। इस रजिस्टर पर प्रधानाध्यापक ने हस्ताक्षर करने से साफ मना कर दिया। इसके बाद मैंने अपने हस्ताक्षर से इस आख्या को प्रेरणा गुणवत्ता ऐप पर अपलोड कर दिया। यह देखकर प्रधानाध्यापक ने उस पेज को मेरे सामने ही फाड़ दिया और मुझे विद्यालय से जाने को कहा।
अनुशासनहीनता से प्रभावित होगा काम:
शैलेंद्र का कहना है कि इस प्रकार का व्यवहार सपोर्टिव सुपरविजन के कार्य में बाधक है। इससे राज्य परियोजना निदेशक के आदेशों का पालन नहीं हो पा रहा है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं से अकादमिक रिसोर्स पर्सन को कार्य करने में भी भारी परेशानी का सामना करना होगा।
मॉनिटरिंग के दौरान ही स्कूल में मिड डे मील का वितरण हो रहा था। उन्होंने देखा कि सामान्य जाति के बच्चों और एससी बच्चों की भोजन की थाली और गिलास अलग-अलग स्थान से दिए जा रहे थे। पूछने पर प्रधानाध्यापक ने बताया कि एससी बच्चों की भोजन थाली तथा दूध के गिलास अलग रखे जाते हैं। स्कूल की स्थिति देखकर यह सहज पता चल रहा था कि यहां भोजन देने में जातिगत आधार पर भेदभाव किया जाता है। इससे बच्चों के मन पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। शैलेंद्र की यह रिपोर्ट अधिकारियों के पास आते ही हड़कंप मच गया।
प्रधानाध्यापक ने फाड़ दिया रजिस्टर:
अधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में शैलेंद्र ने बताया कि मॉनिटरिंग के बाद स्कूल की स्थिति के बारे में उन्होंने प्रधानाध्यापक से चर्चा की। उन्होंने रजिस्टर पर सहयोगात्मक सुझाव भी लिखे। इस रजिस्टर पर प्रधानाध्यापक ने हस्ताक्षर करने से साफ मना कर दिया। इसके बाद मैंने अपने हस्ताक्षर से इस आख्या को प्रेरणा गुणवत्ता ऐप पर अपलोड कर दिया। यह देखकर प्रधानाध्यापक ने उस पेज को मेरे सामने ही फाड़ दिया और मुझे विद्यालय से जाने को कहा।
अनुशासनहीनता से प्रभावित होगा काम:
शैलेंद्र का कहना है कि इस प्रकार का व्यवहार सपोर्टिव सुपरविजन के कार्य में बाधक है। इससे राज्य परियोजना निदेशक के आदेशों का पालन नहीं हो पा रहा है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं से अकादमिक रिसोर्स पर्सन को कार्य करने में भी भारी परेशानी का सामना करना होगा।