वीएचपी अध्यक्ष :आलोक कुमार, फोटो साभार : एपी (फाइल फोटो)
"लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन और इस तरह के संकेत मिलने के बाद कि बीजेपी का दलित वोट बैंक विपक्षी इंडिया गठबंधन की ओर शिफ्ट हुआ है, संघ परिवार अब दलित समुदाय में पैठ बढ़ाने के लिए धर्म सम्मेलनों का आयोजन करने जा रहा है। खास है कि इस लोकसभा चुनाव में एससी/एसटी के लिए आरक्षित 131 लोकसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ 54 सीटें जीतने में ही कामयाब हो पाई थी जबकि 2019 में 77 सीट जीती थी।"
पार्टी नेताओं के अनुसार, संविधान और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए विपक्ष के दुष्प्रचार के कारण भाजपा ने एससी/एसटी वोट खो दिए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और इंडिया ब्लॉक ने इन दो मुद्दों को लोकसभा चुनावों में अपने प्रमुख चुनावी मुद्दों का हिस्सा बनाया था। यही नहीं, राहुल गांधी द्वारा उठाए गए जाति जनगणना के मुद्दे को हल करने में भाजपा की असमर्थता को भी एससी/एसटी समुदायों के बीच पार्टी की घटती साख के पीछे एक प्रमुख कारण के रूप में देखा गया।
इसी से दलितों के बीच पैठ बढ़ाने को संघ परिवार से जुड़े हुए लोग गांवों और शहरों में रहने वाले दलित समुदाय के लोगों से संपर्क करेंगे। यह कार्यक्रम विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित किए जाएंगे और इस दौरान संघ परिवार के लोग दलित समुदाय के घरों में जाकर भोजन करेंगे और उन्हें हिंदू धर्म के बारे में जानकारी भी देंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वीएचपी पदाधिकारियों ने कहा कि देश भर में वीएचपी के 9,000 प्रखण्डों (उपखंडों) में से प्रत्येक में ‘हिंदू सम्मेलन’ आयोजित किए जाएंगे। वीएचपी अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया, “धर्म सम्मेलनों के कार्यक्रम दीवाली (1 नवंबर) से 15 दिन पहले शुरू हो जाएंगे। इससे पहले वीएचपी की ओर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कहा कि, हमने धार्मिक नेताओं और संतों से निवेदन किया है कि वे गांवों और शहरों में दलित समुदाय के इलाकों में पदयात्रा निकालें।” इन धर्म सम्मेलनों के दौरान हिंदू धर्म के संत दलित समुदाय के लोगों के साथ भोजन भी करेंगे।
विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि वीएचपी का ऐसा मानना है कि सत्संग में इस बात का इंतजार करने के बजाय कि इसमें लोग आएंगे, अब सत्संग ही लोगों के पास जाएगा। इस कदम से सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनावों के दौरान कुछ स्थानों पर जाति हिंदुत्व पर हावी रही जो चिंता का विषय है। यह कार्यक्रम जिसमें संत समाज क्षेत्रों का दौरा करेगा और पदयात्रा भी करेगा, लोगों को उनके दर्शन करने का अवसर देगा।” उन्होंने कहा, “इसके बाद एक छोटी धर्म सभा होगी जिसमें मंच पर मौजूद एससी और एसटी सहित पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व होगा।”
उन्होंने बताया कि ये कार्यक्रम समाज को जागरूक करने के लिए किए जा रहे हैं। हिंदू समाज को एकजुट करने और हिंदुओं के भीतर छुआछूत खत्म करने के लिए संघ परिवार इस तरह के कार्यक्रम लंबे वक्त से आयोजित करता रहा है। मौजूदा वक्त में संघ परिवार को इसकी ज्यादा जरूरत महसूस हुई है क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह बात सामने आई है कि दलित समुदाय के बड़े वर्ग ने चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन का साथ दिया है। ऐसा महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे गैर हिंदी भाषा राज्यों के अलावा हिंदी पट्टी में आने वाले राज्यों में भी दिखाई दिया है।
ऐसा माना जा रहा है कि इस वजह से बीजेपी को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और पार्टी 272 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने से पीछे रह गई। यही नहीं, एससी/एसटी के लिए आरक्षित 131 लोकसभा सीटों में से बीजेपी सिर्फ 54 सीटें जीतने में ही कामयाब हो पाई थी जबकि 2019 में 77 सीट जीती थी।
UP में हुआ BJP को 29 सीटों का नुकसान
बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान उत्तर प्रदेश में हुआ। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भी पार्टी को न सिर्फ अयोध्या (फैजाबाद) की सीट पर सपा के हाथों हार मिली बल्कि इसकी सीटों की संख्या भी 2019 के मुकाबले काफी गिर गई।
सात केंद्रीय मंत्री हारे लोकसभा चुनाव
कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी अपना काम बढ़ाएगा काम
पिछले दिनों लखनऊ में हुई संघ के जिला प्रचारकों की बैठक में तय हुआ है कि अब संघ कॉलेज-विश्वविद्यालयों में भी अपना काम बढ़ाएगा। इसके लिए सभी जिलों में छात्र शाखाएं लगाई जाएंगी। इसके अलावा संपर्क अभियान में भी तेजी लाई जाएगी और छात्रों को जोड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए संघ नए प्रचारकों को प्रशिक्षण देगा। इसी तरह युवा और व्यापारियों के लिए अलग से शाखाएं शुरू करने का बड़ा कदम जल्द उठाया जाएगा।
दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सीटों में कमी और अप्रत्याशित काम के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब इसकी समीक्षा को लेकर सक्रिय हो गया है। दत्तात्रेय होसबोले की मौजूदगी में जून माह में लखनऊ में हुई संघ की पूर्वी क्षेत्र की समीक्षा बैठक में तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई थी। संघ का मानना है कि इस हार की वजह युवाओं में बेरोजगारी और पेपर लीक को लेकर बढ़ता गुस्सा है। ऐसे में संघ ने अब रोजगार जैसे मुद्दों पर काम करने का फैसला किया है।