पांच साल से ज्यादा हो गए गावों को राजस्व गांव घोषित हुए लेकिन पंचायत गठन व राजस्व रिकॉर्ड में नाम जोड़ने आदि की बात तो दूर, उन लोगों को पक्की छत तक नहीं डालने दी जा रही है। यही नहीं, संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून भी वन विभाग की मनमानी के आगे बेमायने बना है।

उत्तर प्रदेश में वनाधिकार कानून के आधे अधूरे ढंग से लागू होने को लेकर वन आश्रित समुदाय खासकर वन टोंगिया, जिनके पूर्वजों ने जंगल लगाए थे, के लोगों में भारी रोष है। उनका कहना है कि उन्हें आजादी के 77 साल बाद भी न्याय नहीं मिल सका है। उल्टे, पिछले कुछ सालों में वन विभाग का उत्पीड़न बढ़ गया है। वनाधिकार कानून भी उनके लिए बराएनाम ही साबित हो रहा है। पांच साल से ज्यादा हो गए गावों को राजस्व गांव घोषित हुए लेकिन पंचायत गठन व राजस्व रिकॉर्ड में नाम जोड़ने आदि की बात तो दूर, उन लोगों को पक्की छत तक नहीं डालने दी जा रही है। यही नहीं, संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून भी वन विभाग की मनमानी के आगे बेमायने बना है।
2006 में वनाधिकार कानून आने के बाद सहारनपुर के वन टोंगिया गावों भगवतपुर, सोढ़ीनगर, कालूवाला, खुशहालीपुर व बुड्ढाबण गणेशपुर के लोगों को वन विभाग के उत्पीड़न से निजात मिलने और 60 साल बाद ही सही, आजादी से जीने की उम्मीदें जगी थीं। शिवालिक वन क्षेत्र में बसे इन टोंगिया गावों को वनाधिकार कानून के तहत 2019 में राजस्व का दर्जा भी मिल गया जिस पर लोगों को विकास की मुख्य धारा से जुड़ने और सही मायने में अपने नागरिक होने के अहसास के साथ जीने की आस जगी लेकिन आज आजादी के 77 साल बाद भी स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। वन विभाग का उत्पीड़न जारी है। आलम यह है कि सरकारी योजनाओं में मिले मकान की छत तक नहीं डलने दी जा रही है और जंगली जानवरों से फसल आदि को बचाने को तार बाड़ तक नहीं करने दी जा रही है। निर्माण कार्य पर रोक लगाने को वन टोंगिया ग्रामीण, वन विभाग की तानाशाही बता रहे है।
जी हां, वन विभाग की इसी तानाशाही के विरोध में आक्रोशित वन टोंगिया ग्रामीणों ने अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के बैनर तले एकजुट होते हुए, जहां उपखंड स्तर की समिति यानी एसडीएम के समक्ष मामला उठाने की बात कही है वहीं, आंदोलन को भी चेताया है। अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन पदाधिकारियों के अनुसार, वन विभाग द्वारा वन टोंगिया गांव में निर्माण कार्यों पर लगाई रोक के विरोध में उप जिलाधिकारी बेहट से मिलने का निर्णय लिया गया है। कहा कि ग्रामीण अपनी फसलों एवं वन कानून के तहत मिले अधिकारों को बहाल कराने की मांग कर रहे हैं।
रविवार को शिवालिक वन प्रभाग की मोहण्ड रेंज अंतर्गत गांव भगवतपुर टोंगिया में वेदप्रकाश के आवास पर हुई बैठक में भी टोंगिया ग्रामीण, वन विभाग की तानाशाही के विरोध में एकजुट नजर आए। इस दौरान भगवतपुर टोंगिया में वन क्षेत्राधिकारी मोहण्ड लव सिंह द्वारा प्रस्तावित सरकारी आवास निर्माण पर लगाई गई रोक के खिलाफ लोगों को संगठित कर एसडीएम बेहट से मुलाकात करने और अपनी समस्या का समाधान कराने का निर्णय लिया। बैठक में कालूवाला टोंगिया, सोढ़ीनगर, खुशहालीपुर, बुड्डावन (गणेशपुर), भगवतपुर टोंगिया के ग्रामीण शामिल रहे। मुख्य रूप से विपिन गैरोला, विशाल सिंह, राखी देवी, वेदप्रकाश, संदीप कुमार, महावीर सिंह, नकली राम आदि बड़ी संख्या में महिलाएं और वन ग्रामीण मौजूद थे।

वनाधिकार कानून का उल्लंघन कर रहा वन विभाग: मुन्नी लाल
अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के वरिष्ठ पदाधिकारी मुन्नी लाल ने कहा कि वनाधिकार कानून के तहत वह तमाम समस्याओं का निराकरण कराने की पुरजोर कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि वन विभाग की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। जंगली जानवरों से किसानों की फसलों को तहस-नहस किया जा रहा है, कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा। फसलों का मुआवजा और कंटीली तारबाड़ कराने की मांग रखी जाएगी। ग्रामीणों को जरूरत के मुताबिक जलाने वाली लकड़ी तथा वनाधिकार अधिनियम 2006 के मुताबिक लोगों को तमाम सुविधाएं और सामाजिक अधिकार हासिल कराए जाएगे।
इन प्रमुख मांगों पर रहा जोर
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन पदाधिकारियों के अनुसार, वन टोंगिया गांव सोढ़ीनगर, कालूवाला, खुशहालपुर, बुड्ढाबन गणेशपुर, व भगवतपुर टोंगिया गावों की समस्याओं का वनाधिकार कानून के तहत निराकरण कराया जाएगा कहा वन विभाग की तानाशाही के खिलाफ निम्न बिंदुओं पर चर्चा की गई और सामुदायिक और व्यक्तिगत दावे और अधिकार पत्र के लिए रणनीति तैयार कर एसडीएम को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया है। प्रमुख मांगों में...
1. वन ग्राम निवासियों के सरकारी आवास वन क्षेत्राधिकारी अधिकारी द्वारा रोके जाने के संबंध में
2. जंगली जानवरों द्वारा गेहूं की फसल नष्ट किए जाने पर उचित मुआवजे की मांग
3. वन गांव निवासियों को अपनी फसल की सुरक्षा के लिए बाढ़ करने से वन विभाग द्वारा झाड़ी काटने पर रोक लगाने के संबंध में कार्रवाई की मांग
4. वन ग्राम निवासियों के भूमि के चारों ओर इलेक्ट्रिक तार बाड़ कराने की मांग
5. वन अधिनियम के तहत वन ग्रामों को जलौनी लकड़ी व विवाह संस्कार आदि के लिए सभी अन्य सुविधाएं आदि को बहाल कराये जाये
6. निजी व सामुदायिक दावों का सत्यापन कर स्वीकृत करते हुए राजस्व विभाग में दर्ज कराने की मांग शामिल है।
इस दौरान आयोजित बैठक में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में महिलाओं को सामाजिक न्याय एवं सुरक्षा के बारे में भी चर्चा हुई।
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उत्तर प्रदेश में वनाधिकार कानून के आधे अधूरे ढंग से लागू होने को लेकर वन आश्रित समुदाय खासकर वन टोंगिया, जिनके पूर्वजों ने जंगल लगाए थे, के लोगों में भारी रोष है। उनका कहना है कि उन्हें आजादी के 77 साल बाद भी न्याय नहीं मिल सका है। उल्टे, पिछले कुछ सालों में वन विभाग का उत्पीड़न बढ़ गया है। वनाधिकार कानून भी उनके लिए बराएनाम ही साबित हो रहा है। पांच साल से ज्यादा हो गए गावों को राजस्व गांव घोषित हुए लेकिन पंचायत गठन व राजस्व रिकॉर्ड में नाम जोड़ने आदि की बात तो दूर, उन लोगों को पक्की छत तक नहीं डालने दी जा रही है। यही नहीं, संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून भी वन विभाग की मनमानी के आगे बेमायने बना है।
2006 में वनाधिकार कानून आने के बाद सहारनपुर के वन टोंगिया गावों भगवतपुर, सोढ़ीनगर, कालूवाला, खुशहालीपुर व बुड्ढाबण गणेशपुर के लोगों को वन विभाग के उत्पीड़न से निजात मिलने और 60 साल बाद ही सही, आजादी से जीने की उम्मीदें जगी थीं। शिवालिक वन क्षेत्र में बसे इन टोंगिया गावों को वनाधिकार कानून के तहत 2019 में राजस्व का दर्जा भी मिल गया जिस पर लोगों को विकास की मुख्य धारा से जुड़ने और सही मायने में अपने नागरिक होने के अहसास के साथ जीने की आस जगी लेकिन आज आजादी के 77 साल बाद भी स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। वन विभाग का उत्पीड़न जारी है। आलम यह है कि सरकारी योजनाओं में मिले मकान की छत तक नहीं डलने दी जा रही है और जंगली जानवरों से फसल आदि को बचाने को तार बाड़ तक नहीं करने दी जा रही है। निर्माण कार्य पर रोक लगाने को वन टोंगिया ग्रामीण, वन विभाग की तानाशाही बता रहे है।
जी हां, वन विभाग की इसी तानाशाही के विरोध में आक्रोशित वन टोंगिया ग्रामीणों ने अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के बैनर तले एकजुट होते हुए, जहां उपखंड स्तर की समिति यानी एसडीएम के समक्ष मामला उठाने की बात कही है वहीं, आंदोलन को भी चेताया है। अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन पदाधिकारियों के अनुसार, वन विभाग द्वारा वन टोंगिया गांव में निर्माण कार्यों पर लगाई रोक के विरोध में उप जिलाधिकारी बेहट से मिलने का निर्णय लिया गया है। कहा कि ग्रामीण अपनी फसलों एवं वन कानून के तहत मिले अधिकारों को बहाल कराने की मांग कर रहे हैं।
रविवार को शिवालिक वन प्रभाग की मोहण्ड रेंज अंतर्गत गांव भगवतपुर टोंगिया में वेदप्रकाश के आवास पर हुई बैठक में भी टोंगिया ग्रामीण, वन विभाग की तानाशाही के विरोध में एकजुट नजर आए। इस दौरान भगवतपुर टोंगिया में वन क्षेत्राधिकारी मोहण्ड लव सिंह द्वारा प्रस्तावित सरकारी आवास निर्माण पर लगाई गई रोक के खिलाफ लोगों को संगठित कर एसडीएम बेहट से मुलाकात करने और अपनी समस्या का समाधान कराने का निर्णय लिया। बैठक में कालूवाला टोंगिया, सोढ़ीनगर, खुशहालीपुर, बुड्डावन (गणेशपुर), भगवतपुर टोंगिया के ग्रामीण शामिल रहे। मुख्य रूप से विपिन गैरोला, विशाल सिंह, राखी देवी, वेदप्रकाश, संदीप कुमार, महावीर सिंह, नकली राम आदि बड़ी संख्या में महिलाएं और वन ग्रामीण मौजूद थे।

वनाधिकार कानून का उल्लंघन कर रहा वन विभाग: मुन्नी लाल
अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के वरिष्ठ पदाधिकारी मुन्नी लाल ने कहा कि वनाधिकार कानून के तहत वह तमाम समस्याओं का निराकरण कराने की पुरजोर कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि वन विभाग की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। जंगली जानवरों से किसानों की फसलों को तहस-नहस किया जा रहा है, कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा। फसलों का मुआवजा और कंटीली तारबाड़ कराने की मांग रखी जाएगी। ग्रामीणों को जरूरत के मुताबिक जलाने वाली लकड़ी तथा वनाधिकार अधिनियम 2006 के मुताबिक लोगों को तमाम सुविधाएं और सामाजिक अधिकार हासिल कराए जाएगे।
इन प्रमुख मांगों पर रहा जोर
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन पदाधिकारियों के अनुसार, वन टोंगिया गांव सोढ़ीनगर, कालूवाला, खुशहालपुर, बुड्ढाबन गणेशपुर, व भगवतपुर टोंगिया गावों की समस्याओं का वनाधिकार कानून के तहत निराकरण कराया जाएगा कहा वन विभाग की तानाशाही के खिलाफ निम्न बिंदुओं पर चर्चा की गई और सामुदायिक और व्यक्तिगत दावे और अधिकार पत्र के लिए रणनीति तैयार कर एसडीएम को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया है। प्रमुख मांगों में...
1. वन ग्राम निवासियों के सरकारी आवास वन क्षेत्राधिकारी अधिकारी द्वारा रोके जाने के संबंध में
2. जंगली जानवरों द्वारा गेहूं की फसल नष्ट किए जाने पर उचित मुआवजे की मांग
3. वन गांव निवासियों को अपनी फसल की सुरक्षा के लिए बाढ़ करने से वन विभाग द्वारा झाड़ी काटने पर रोक लगाने के संबंध में कार्रवाई की मांग
4. वन ग्राम निवासियों के भूमि के चारों ओर इलेक्ट्रिक तार बाड़ कराने की मांग
5. वन अधिनियम के तहत वन ग्रामों को जलौनी लकड़ी व विवाह संस्कार आदि के लिए सभी अन्य सुविधाएं आदि को बहाल कराये जाये
6. निजी व सामुदायिक दावों का सत्यापन कर स्वीकृत करते हुए राजस्व विभाग में दर्ज कराने की मांग शामिल है।
इस दौरान आयोजित बैठक में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में महिलाओं को सामाजिक न्याय एवं सुरक्षा के बारे में भी चर्चा हुई।
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