यूपी : थम नहीं रहे दलितों पर अत्याचार, दलित लड़कियों के शव लटके मिले; परिजनों ने गड़बड़ी का आरोप लगाया

Written by sabrang india | Published on: August 29, 2024


मंगलवार की सुबह उत्तर प्रदेश के फर्रुख़ाबाद ज़िले में दो दलित लड़कियों बबली जाटव (18) और शशि जाटव (15) के शव पेड़ से लटके पाए गए जिससे स्थानीय लोग बेहद नाराज़ हैं। इन लड़कियों का शव उनके गांव के पास आम के बगीचे में दो दुपट्टों से बंधे हुए पाया गया।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय कुमार के मुताबिक़ लड़कियां सोमवार रात को स्थानीय मंदिर में जन्माष्टमी समारोह में भाग लेने के लिए घर से निकली थीं जिसके बाद वे लापता हो गईं।

उन्होंने कहा, "प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला लग रहा है। लेकिन हमें अभी तक कारण नहीं पता है। जांच चल रही है। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से घटना के बारे में कुछ पता चल सकता है।"



हालांकि, लड़कियों के परिवारों को इस पर संदेह है। भगौतीपुर गांव में मजदूरी करने वाले बबली के पिता रामवीर जाटव ने पुलिस की टिप्पणी पर अविश्वास ज़ाहिर किया। उन्होंने कहा, "वे शाम 7.30 बजे मंदिर गईं और करीब 9 बजे लौटीं, जुलूस में शामिल होने के लिए अपने कपड़े बदले और वापस चली गईं। जब वे वापस नहीं आईं, तो हमने सोचा कि वे अपनी बुआ के घर पर रुक गई होंगी।" 

रामवीर ने कहा, "सुबह मेरे गांव की एक महिला ने हमें बताया कि कोई बगीचे में पेड़ से लटका हुआ है। हम वहां गए और अपनी बेटियों को देखा। वे जमीन से करीब 10 फीट ऊपर लटकी हुई थीं। वे वहां कैसे पहुंचीं? यह किसी हत्या का मामला है, लेकिन पुलिस इसे आत्महत्या बताकर मामले को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है।" 

शशि के पिता महेंद्र जाटव ने भी लड़कियों की मौत की परिस्थितियों पर सवाल उठाया। "हमने रात में उनकी तलाश नहीं की क्योंकि वे अक्सर रामवीर की बहन के घर पर रुकती थीं, जो मंदिर के पास रहती हैं। पुलिस हमसे ऐसे पूछताछ कर रही है जैसे हम अपराधी हों। क्या वे इस तरह से मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं?" 

उन्होंने कहा कि आम के पेड़ की टहनियां एक व्यक्ति का वजन सहने लायक नहीं थीं, जिससे दूसरों की शामिल होने का संकेत मिलता है। महेंद्र ने कहा, "रात में पेड़ पर चढ़ना संभव नहीं था। इसमें कोई और व्यक्ति शामिल रहा होगा और सीढ़ी या टेबल के सहारे ऐसा किया गया होगा।" 

फ़र्रुख़ाबाद के पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी ने पुष्टि की कि एक लड़की की जेब से मिले मोबाइल फोन, चप्पल और सिम कार्ड सहित सबूत इकट्ठा किए गए हैं। प्रियदर्शी ने कहा, "हम मामले की गहन जांच कर रहे हैं और पोस्टमार्टम का इंतज़ार कर रहे हैं।"

सरकार पर विपक्ष हमलावर 

सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "फ़र्रूख़ाबाद में दो बालिकाओं की संदिग्ध मौत के मामले में भाजपा सरकार की चुप्पी विचलित करनेवाली है। शायद इसकी दोहरी वजह है, एक तो भाजपा का स्त्री विरोधी कुविचार व रवैया और दूसरा उनका दलित होना। समाजवादी पार्टी इस संदर्भ में एक प्रतिनिधिमंडल भेजकर सांत्वना के साथ-साथ इंसाफ़ के लिए आवाज़ उठाएगी। भाजपा सरकार से जनता को कोई भी उम्मीद शेष नहीं बची है। भाजपा जब भी महिलाओं के मुद्दे उठाती है तो उसके पीछे केवल और केवल राजनीतिक फ़ायदा होता है। इसीलिए वो विपक्ष शासित राज्यों में आवाज़ उठाती है लेकिन भाजपा शासित राज्यों में महिला-अपराधों के मामले में मुँह, आँख, कान और नैतिकता के सभी दरवाज़े बंद करके बैठ जाती है।" 

समाज में दलितों के साथ होने वाला भेदभाव किसी से छिपा नहीं है। हाल ही में मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के अकौना ग्राम पंचायत में जातीय भेदभाव का एक शर्मनाक मामला सामने आया है जहां ठाकुर बहुल क्षेत्र में पहली दलित महिला सरपंच को लगातार अपमानित किए जाने की बात सामने आई है। यह मामला 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर और भी स्पष्ट हो गया, जब उन्हें तिरंगा फहराने से रोक दिया गया।

द मूक नायक की रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम पंचायत की सरपंच श्रद्धा सिंह ने पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को लिखे पत्र में बताया कि स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वजारोहण का कार्यक्रम ग्राम पंचायत में तय था। राज्य सरकार के आदेश के अनुसार, ध्वजारोहण का कार्य सरपंच द्वारा ही किया जाना चाहिए था। सरपंच ने पंचायत सचिव विजय प्रताप सिंह को भी इस बात की जानकारी दी थी, लेकिन जब वह पंचायत भवन पहुंचीं, तब तक उपसरपंच धर्मेन्द्र सिंह बघेल ने ध्वजारोहण कर दिया था।

यह घटना केवल एक महिला होने के कारण नहीं, बल्कि दलित समाज से होने के कारण जानबूझकर की गई योजना का हिस्सा थी। सरपंच ने इसे अपने ख़िलाफ़ एक साजिश और अपमान का खुला उदाहरण बताया।

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