पत्रकार महेश लांगा के ख़िलाफ़ तीसरा केस दर्ज, इस मामले में धोखाधड़ी का आरोप

Written by sabrang india | Published on: October 30, 2024
अंग्रेजी अखबार द हिंदू के वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ अब एक व्यवसायी द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाने के बाद तीसरा केस दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ पहली एफआईआर कथित जीएसटी चोरी के मामले में जबकि दूसरी गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से संबंधित कथित ‘संवेदनशील’ दस्तावेज़ों की ‘चोरी’ के लिए दर्ज की गई थी।


साभार : सोशल मीडिया एक्स

द हिंदू के पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ एक व्यवसायी द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाने के बाद गुजरात पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक ने मंगलवार 29 अक्टूबर को मीडिया को इसके बारे में बताया।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार लांगा के खिलाफ यह तीसरी एफआईआर है। पहली एफआईआर कथित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी के मामले में दर्ज की गई थी और दूसरी गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) से संबंधित कथित रूप से ‘संवेदनशील’ दस्तावेजों की ‘चोरी’ के लिए दर्ज की गई थी। बता दें कि पत्रकार लांगा 9 अक्टूबर से जीएसटी चोरी के मामले में जेल में बंद हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी के मामले के बारे में मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए जीएस मलिक ने बताया कि विज्ञापन उद्योग के एक व्यवसायी ने लांगा पर 28.68 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने और पैसे वापस मांगने पर उनके कारोबार को बदनाम करने की धमकी देने का आरोप लगाया है।

मलिक के हवाले से न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बताया कि ‘लांगा ने अपने संपर्कों और पॉजिटिव न्यूज कवरेज के ज़रिए शिकायतकर्ता को उसके विज्ञापन व्यवसाय में मदद करने की पेशकश की। इसके बाद उसने जून में व्यवसायी से 23 लाख रुपये लिए और उसे नकद में लौटाने का वादा किया।’

मलिक ने कहा कि लांगा ने व्यवसायी को उसकी पत्नी के जन्मदिन की पार्टी के लिए 5.68 लाख रुपये का बिल दिया और पार्टी के दिन राशि वापस करने का वादा किया।

मलिक ने कहा, ‘लेकिन जब व्यवसायी ने लांगा से पैसे वापस करने का अनुरोध किया, तो उन्होंने धमकी दी और अपने संबंधों का हवाला देते हुए परिणाम भुगतने की चेतावनी दी और कथित तौर पर कहा कि वह नकारात्मक मीडिया कवरेज के माध्यम से उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचा सकते हैं।’

न्यूज एजेंसी ने पुलिस ऑफिसर के हवाले से यह भी बताया कि व्यवसायी ने लांगा के खिलाफ अन्य मामलों के बारे में जानने के बाद पुलिस में शिकायत करने का फैसला किया।

जीएसटी चोरी के एक मामले में आरोप लगाया गया है कि 200 फर्जी फर्मों के एक नेटवर्क ने सरकार को जीएसटी के माध्यम से धोखा देने का काम किया। इस मामले में लांगा पर "डीए एंटरप्राइज" नामक एक फर्म का संचालन करने का आरोप है, जो कि एफआईआर में शामिल है।

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को ईडी ने दावा किया कि लांगा डीए एंटरप्राइज को नियंत्रित करते हैं और उसके परिसरों से बेहिसाब नकदी पाई गई।

मलिक ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ‘डीए एंटरप्राइज का इस्तेमाल फर्जी बिलिंग के रूप में खर्च को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर और बदले में नकद प्राप्त करके पैसे को रूट करने के लिए किया जा रहा था। धन को ध्रुवी एंटरप्राइज में स्थानांतरित किया गया और फिर इसे नकद के रूप में वापस ले लिया गया और हवाला नेटवर्क के माध्यम से महेश को वापस भेज दिया गया।’

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद की एक अदालत ने सोमवार को इस मामले में लांगा को जमानत देने से इनकार कर दिया।

सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया समेत कई मीडिया संगठनों ने उनके खिलाफ दर्ज की गई दूसरी एफआईआर की निंदा की थी। मीडिया संगठनों ने कहा था कि गोपनीय दस्तावेज रखने के आरोप में पत्रकारों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई शुरू करना चिंताजनक और चौंकाने वाला है।

प्रेस संगठनों ने अपने बयान में कहा था कि पत्रकारों को अक्सर अपने काम के दौरान संवेदनशील दस्तावेजों तक पहुंचने और उनकी समीक्षा करने की आवश्यकता होती है, उनके काम के लिए उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करना चिंताजनक है।

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