लांगा पर गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) से संबंधित दस्तावेज रखने का मामला दर्ज किया गया था। कथित कर चोरी के मामले में पत्रकार की गिरफ्तारी के दौरान ये दस्तावेज बरामद किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस लांगा के खिलाफ ताजा मामले में आरोपों का विवरण देने में विफल रही।
साभार : महेश लांगा फेसबुक अकाउंट
गुजरात पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ कथित तौर पर “गोपनीय” सरकारी दस्तावेज रखने के आरोप में एक नया मामला दर्ज किया है। द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा कथित तौर पर माल और सेवा कर (जीएसटी) की चोरी के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लांगा पर गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) से संबंधित दस्तावेज रखने का मामला दर्ज किया गया था। कथित कर चोरी के मामले में पत्रकार की गिरफ्तारी के दौरान ये दस्तावेज बरामद किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस लांगा के खिलाफ ताजा मामले में आरोपों का विवरण देने में विफल रही।
रिपोर्ट के अनुसार, गांधीनगर पुलिस ने मंगलवार, 22 अक्टूबर को जीएमबी कार्यालय में उस व्यक्ति की पहचान करने के लिए पूछताछ की जिसने लांगा को दस्तावेज दिए थे।
लांगा को 8 अक्टूबर को भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 474 और 120-बी के तहत गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उनके भाई मनोजकुमार की कंपनी डीए एंटरप्राइजेज कर चोरी कर रही थी। हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने मनोजकुमार को गिरफ्तार नहीं किया। अधिकारियों का आरोप है कि लांगा ही फर्म का इस्तेमाल "धोखाधड़ी गतिविधियों" के लिए कर रहे थे। इस मामले में कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इस बीच, वरिष्ठ पत्रकारों ने लांगा के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की है।
लेखिका और पत्रकार कल्पना शर्मा ने कहा कि लांगा के खिलाफ नए आरोपों से यह साबित होता है कि द हिंदू के पत्रकार को उनकी पत्रकारिता के लिए झूठे आरोपों में परेशान किया जा रहा है, जो भाजपा के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार की आलोचना करते थे।
कल्पना शर्मा ने एक्स पर लिखा, दो हफ्ते पहले, द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा महेश को जीएसटी घोटाले में गिरफ्तार किए जाने के बाद हम से कई लोगों ने पूछा कि क्या यह उनकी पत्रकारिता की वजह से हुआ है। आज, बेतुके आरोप, हमारे संदेह को पुष्ट करते हैं।”
कारवां के कार्यकारी संपादक हरतोष सिंह बल ने कहा कि लांगा को उनकी पत्रकारिता के लिए सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने द हिंदू सहित सभी पत्रकारों से इसे एक पत्रकार को उनके काम करने के लिए परेशान किए जाने के मामले के रूप में देखने का आग्रह किया।
इसी तरह, स्क्रॉल डॉट इन की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा ने कहा कि लांगा के खिलाफ आरोप “हास्यास्पद” थे। उन्होंने कहा, “एक पत्रकार के घर पर सरकारी दस्तावेज मिलना एक पुस्तकालय में किताबें मिलने जैसा है। दस्तावेजों को इकट्ठा करना और उनका विश्लेषण करना हमारा काम है।”
साभार : महेश लांगा फेसबुक अकाउंट
गुजरात पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ कथित तौर पर “गोपनीय” सरकारी दस्तावेज रखने के आरोप में एक नया मामला दर्ज किया है। द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा कथित तौर पर माल और सेवा कर (जीएसटी) की चोरी के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लांगा पर गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) से संबंधित दस्तावेज रखने का मामला दर्ज किया गया था। कथित कर चोरी के मामले में पत्रकार की गिरफ्तारी के दौरान ये दस्तावेज बरामद किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस लांगा के खिलाफ ताजा मामले में आरोपों का विवरण देने में विफल रही।
रिपोर्ट के अनुसार, गांधीनगर पुलिस ने मंगलवार, 22 अक्टूबर को जीएमबी कार्यालय में उस व्यक्ति की पहचान करने के लिए पूछताछ की जिसने लांगा को दस्तावेज दिए थे।
लांगा को 8 अक्टूबर को भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 474 और 120-बी के तहत गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उनके भाई मनोजकुमार की कंपनी डीए एंटरप्राइजेज कर चोरी कर रही थी। हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने मनोजकुमार को गिरफ्तार नहीं किया। अधिकारियों का आरोप है कि लांगा ही फर्म का इस्तेमाल "धोखाधड़ी गतिविधियों" के लिए कर रहे थे। इस मामले में कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इस बीच, वरिष्ठ पत्रकारों ने लांगा के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की है।
लेखिका और पत्रकार कल्पना शर्मा ने कहा कि लांगा के खिलाफ नए आरोपों से यह साबित होता है कि द हिंदू के पत्रकार को उनकी पत्रकारिता के लिए झूठे आरोपों में परेशान किया जा रहा है, जो भाजपा के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार की आलोचना करते थे।
कल्पना शर्मा ने एक्स पर लिखा, दो हफ्ते पहले, द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा महेश को जीएसटी घोटाले में गिरफ्तार किए जाने के बाद हम से कई लोगों ने पूछा कि क्या यह उनकी पत्रकारिता की वजह से हुआ है। आज, बेतुके आरोप, हमारे संदेह को पुष्ट करते हैं।”
कारवां के कार्यकारी संपादक हरतोष सिंह बल ने कहा कि लांगा को उनकी पत्रकारिता के लिए सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने द हिंदू सहित सभी पत्रकारों से इसे एक पत्रकार को उनके काम करने के लिए परेशान किए जाने के मामले के रूप में देखने का आग्रह किया।
इसी तरह, स्क्रॉल डॉट इन की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा ने कहा कि लांगा के खिलाफ आरोप “हास्यास्पद” थे। उन्होंने कहा, “एक पत्रकार के घर पर सरकारी दस्तावेज मिलना एक पुस्तकालय में किताबें मिलने जैसा है। दस्तावेजों को इकट्ठा करना और उनका विश्लेषण करना हमारा काम है।”