यूपीएस से ओपीएस की मांग को दबाना चाहती है सरकार!

Written by sabrang india | Published on: August 27, 2024


"मोदी ने पुरानी पेंशन बहाली की जगह यूपीएस लाकर देश के करोड़ों कर्मचारियों को धोख़ा दिया है।"

ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू करने को लेकर लंबे से की जा रही मांग के बीच मोदी सरकार ने यूपीएस यानी यूनिफायड पेशन स्कीम की घोषणा की है जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी सरकार की नई पेंशन स्कीम ओपीएस की जगह नहीं ले सकती है। कहा जा रहा है कि ओपीएस की बढ़ती मांग को दबाने को नया तरीक़ा निकाला गया है। ज्ञात हो कि ओपीएस को भाजपा के नेतृत्व वाली वाजपेयी सरकार ने साल 2004 में बंद कर दिया था जिसके बाद इसे लागू करने को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और सिविल समाज के लोगों व कर्मचारियों ने लगातार मांग उठाई लेकिन अब तक ये लागू नहीं हो पाया है। इसकी जगह मोदी सरकार नई यूपीएस स्कीम लेकर आई है।  

यूपीएस को लेकर वरिष्ठ पत्रकार आशिष चित्रांशी ने एक यूट्यूब चैनल पर कहा कि मोदी ने पुरानी पेंशन बहाली की जगह यूपीएस लाकर देश के करोड़ों कर्मचारियों को धोख़ा दिया है।

उन्होंने कहा कि ओपीएस में कर्मचारियों को पेंशन पर मेहंगाई भत्ता (DA) और Inflation index दोनों मिलते थे, पर अब नई यूपीएस में मेहंगाई भत्ता नहीं सिर्फ Inflation index मिलेगा। आगे उन्होंने कहा कि पहले सरकारी कर्मचारी को 35 साल की नौकरी पूरी कर रिटायरमेंट पर 25 लाख रुपये ग्रेच्यूटी मिलती थी और अब सिर्फ 7 लाख रुपये मिलेंगे, मतलब एक कर्मचारी को सीधे-सीधे 18 लाख रुपये का घाटा होगा।



यूपीएस को लेकर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि कर्मचारियों के लिए यह एनपीएस से भी ज़्यादा बदतर और ख़राब है। उन्होंने आगे कहा कि इसके तहत जब तक कोई कर्मचारी नौकरी कर रहा है दस प्रतिशत कर्मचारियों का हिस्सा काटा जाएगा और वो पैसा सरकार अपने पास रख लेगी तो ये कौन सी पेंशन दे रहें। आप कर्मचारी का ही पैसा अपने पास रख कर ढ़िंढ़ोरा पीट रहे हैं कि आप पेंशन दे रहे हैं।   

यह कहा जा रहा है कि इस योजना को लागू करने के बाद हर साल सरकारी ख़ज़ाने पर 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। सरकार के हवाले से मीडिया ये बात सामने आई है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह निर्णय लेने का अधिकार होगा कि वे एनपीएस में बने रहें या यूपीएस में शामिल हों। यह योजना उन सभी पर लागू होगी जो 2004 के बाद से एनपीएस के तहत रिटायर हो चुके हैं।



ओल्ड पेंशन स्कीम एक पुराना प्रणाली थी जिसमें कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन के आधार पर एक निश्चित पेंशन मिलती थी। इस स्कीम में कर्मचारियों को किसी भी तरह की वित्तीय योगदान की आवश्यकता नहीं होती थी, जिससे सरकार पर अधिक वित्तीय बोझ पड़ता था। ओपीएस के तहत कर्मचारियों को उनके अंतिम मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 50% पेंशन के रूप में प्राप्त होता था। इसके अतिरिक्त, ओपीएस के तहत रिटायरमेंट के बाद महंगाई भत्ते में होने वाली बढ़ोतरी का भी पेंशन में इजाफा होता था।

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) एक निवेश-आधारित पेंशन योजना है जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों का योगदान होता है। इस योजना में पेंशन की राशि बाज़ार में निवेश किए गए फंड्स की प्रदर्शन पर निर्भर करती है, इसलिए इसमें एक निश्चित पेंशन नहीं होती। एनपीएस में सरकार का योगदान 14% और कर्मचारी का 10% होता है। इसके अलावा, इस योजना में टैक्स छूट के लाभ भी मिलते हैं। 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट और 60% रकम निकालने पर टैक्स छूट मिलता है।

सरकार के मुताबिक़ यूपीएस की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

    1. सुनिश्चित पेंशन: 25 वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा के लिए सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत। यह वेतन न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक होगा।
    2. सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु से ठीक पहले उसकी पेंशन का 60 प्रतिशत।
    3. सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन: न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर 10,000 रुपये प्रति माह।
    4. महंगाई सूचकांक: सेवा कर्मचारियों के मामले में सुनिश्चित पेंशन पर, सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन पर और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन पर
औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीई-आईडब्ल्यू) के आधार पर महंगाई राहत
    5. ग्रेच्युटी के अतिरिक्त सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान
सेवा के प्रत्येक छह महीने पूरे होने पर सेवानिवृत्ति की तिथि पर मासिक परिलब्धियों (वेतन + डीए) का 1/10वां हिस्सा
इस भुगतान से सुनिश्चित पेंशन की मात्रा कम नहीं होगी

यूपीएस, एनपीएस और ओपीएस 

1. पेंशन की गारंटी की बात करें तो यूपीएस और ओपीएस दोनों में निश्चित पेंशन का प्रावधान है, जबकि एनपीएस में पेंशन रकम बाज़ार की परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है।

2. पेंशन में कंट्रीब्यूशन का जहां सवाल हैं उसके मद्देनज़र ओपीएस में कोई कंट्रीब्यूशन नहीं होता था, जबकि UPS और NPS में कर्मचारी और सरकार दोनों के कंट्रीब्यूशन का प्रावधान है। यूपीएस में सरकार का कंट्रीब्यूशन 18.5% है, तो एनपीएस के 14% से ज्यादा है।

3. महंगाई राहत की बात करें तो ओपीएस और यूपीएस दोनों में ही महंगाई भत्ते के हिसाब से पेंशन में बढ़ोतरी की बात है जबकि एनपीएस में ये सुविधा नहीं है।

4. टैक्स छूट पर नज़र डाले तो एनपीएस में टैक्स छूट के कई फ़ायदे मिलते हैं, जबकि यूपीएस में टैक्स छूट के बारे में अभी कुछ साफ नहीं किया गया है। .

इस तरह देखें तो ओपीएस के मुक़ाबले यूपीएस कई मामलों में कमतर है। 

देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन 

बता दें कि पिछले महीने अंबाला में पेंशन बहाली संघर्ष समिति ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर काले कपड़ों में रोष मार्च निकाला था। पंजाब केसरी की रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष समिति ने अंबाला की सड़कों से होते हुए उपायुक्त अंबाला को मुख्यमंत्री हरियाणा के नाम मांग पत्र भी सौंपा था।

अंबाला में प्रदर्शन

सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते ये लोग पेंशन बहाली संघर्ष समिति के लोगों का आरोप था कि ये बीते लंबे समय से सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की अपनी मांगों को लेकर प्रयासरत हैं, लेकिन सरकार के कान पर आज तक जूं नहीं रेंग रही है। इसमें अंबाला के कई सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। इन लोगों ने सरकार को चेतावनी देते हुए ओपीएस बहाली की मांग करते हुए कहा की अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो 1 सितंबर को वो मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे और ये घेराव तब तक चलेगा जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती।

दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन

ज्ञात हो कि पिछले साल 1 अक्टूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारी संख्या में सरकारी कर्मचारी जुटे थे। इन कर्मचारियों की प्रमुख मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए। प्रदर्शनकारियों में केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ 20 से अधिक राज्यों की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के कर्मचारी शामिल थे। "पेंशन शंखनाद रैली" नामक इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) द्वारा किया गया था, जो ओपीएस की बहाली के लिए अभियान चला रहा है। 
बता दें कि नई पेंशन योजना के विरोध में देश के पांच राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया गया है। पुरानी पेंशन योजना सबसे पहले राजस्थान में लागू की गई। इसके बाद छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भी यह स्कीम लागू की गई है।

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