“किसान सरकार के सामने अपनी मांगें रखने और अपना दर्द बयां करने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं”। “उन पर आंसू गैस के गोले दागना और उन्हें तरह-तरह से रोकने की कोशिश निंदनीय है।”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को “प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले दागने” की निंदा की।
गांधी ने कहा कि “किसान सरकार के सामने अपनी मांगें रखने और अपना दर्द बयां करने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं”। गांधी ने आगे कहा, “उन पर आंसू गैस के गोले दागना और उन्हें तरह-तरह से रोकने की कोशिश निंदनीय है। सरकार को उनकी मांगों और समस्याओं को गंभीरता से सुनना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि किसानों की पीड़ा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि “आज देश में हर घंटे एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर है”। कांग्रेस सांसद ने कहा, "मोदी सरकार की घोर असंवेदनशीलता के कारण पहले किसान आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की शहादत को देश नहीं भूला है।"
शुक्रवार को एआईसीसी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "मोदी सरकार ने संसद में दो बातें कहीं। जब कृषि मंत्री से पूछा गया कि क्या वे एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाएंगे, तो उन्होंने सवाल टाल दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या किसानों को कर्ज से राहत मिलेगी, तो उन्होंने इनकार कर दिया। ये मोदी सरकार की मंशा को दर्शाता है।"
उन्होंने कहा, "अन्नदाता किसानों को बैरिकेड्स, कीलें और तार लगाकर रोका जा रहा है। नरेंद्र मोदी के पास फिल्में देखने का समय है, लेकिन किसानों से मिलने का समय नहीं है।"
ज्ञात हो कि किसान मुख्य रूप से फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसी को लेकर पूर्व में 13 फरवरी और 21 फरवरी को किसानों ने दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था। हालांकि, पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू और खनौरी में सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था। तभी से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान तब से शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं।
बता दें कि एक दिन पहले दिल्ली कूच के दौरान हाथों में तिरंगा और अपने-अपने किसान संघों के झंडे लहराते हुए किसानों ने बैरिकेडिंग की एक परत तोड़ दी थी, लेकिन भारी सुरक्षा के साथ कंक्रीट के ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। दिल्ली संसद की ओर मार्च करने की कोशिश करते समय किसानों द्वारा बैरिकेड्स तोड़ने के बाद हरियाणा पुलिस ने और अधिक बैरिकेड्स लगा दिए।
ज्ञात हो कि दिल्ली से सटे नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर आंदोलन कर रहे करीब 200 किसानों को पुलिस ने जबरदस्ती गिरफ्तार कर लिया था। सभी को गिरफ्तार कर सूरजपुर में स्थित पुलिस डीडीलाइन ले जाया जाएगा। मौके पर हजारों पुलिसकर्मी तैनात रहे। किसानों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 के उल्लंघन पर गिरफ्तार किया गया और उन्हें बसों में भर कर जिला जेल भेज दिया गया। पुलिस प्रशासन का कहना था कि नियमों के उल्लंघन करने की वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया।
किसानों की मांग
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने की मांग कर रहे हैं। वे 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को “प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले दागने” की निंदा की।
गांधी ने कहा कि “किसान सरकार के सामने अपनी मांगें रखने और अपना दर्द बयां करने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं”। गांधी ने आगे कहा, “उन पर आंसू गैस के गोले दागना और उन्हें तरह-तरह से रोकने की कोशिश निंदनीय है। सरकार को उनकी मांगों और समस्याओं को गंभीरता से सुनना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि किसानों की पीड़ा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि “आज देश में हर घंटे एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर है”। कांग्रेस सांसद ने कहा, "मोदी सरकार की घोर असंवेदनशीलता के कारण पहले किसान आंदोलन में 700 से अधिक किसानों की शहादत को देश नहीं भूला है।"
शुक्रवार को एआईसीसी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "मोदी सरकार ने संसद में दो बातें कहीं। जब कृषि मंत्री से पूछा गया कि क्या वे एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाएंगे, तो उन्होंने सवाल टाल दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या किसानों को कर्ज से राहत मिलेगी, तो उन्होंने इनकार कर दिया। ये मोदी सरकार की मंशा को दर्शाता है।"
उन्होंने कहा, "अन्नदाता किसानों को बैरिकेड्स, कीलें और तार लगाकर रोका जा रहा है। नरेंद्र मोदी के पास फिल्में देखने का समय है, लेकिन किसानों से मिलने का समय नहीं है।"
ज्ञात हो कि किसान मुख्य रूप से फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसी को लेकर पूर्व में 13 फरवरी और 21 फरवरी को किसानों ने दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था। हालांकि, पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू और खनौरी में सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था। तभी से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान तब से शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं।
बता दें कि एक दिन पहले दिल्ली कूच के दौरान हाथों में तिरंगा और अपने-अपने किसान संघों के झंडे लहराते हुए किसानों ने बैरिकेडिंग की एक परत तोड़ दी थी, लेकिन भारी सुरक्षा के साथ कंक्रीट के ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। दिल्ली संसद की ओर मार्च करने की कोशिश करते समय किसानों द्वारा बैरिकेड्स तोड़ने के बाद हरियाणा पुलिस ने और अधिक बैरिकेड्स लगा दिए।
ज्ञात हो कि दिल्ली से सटे नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर आंदोलन कर रहे करीब 200 किसानों को पुलिस ने जबरदस्ती गिरफ्तार कर लिया था। सभी को गिरफ्तार कर सूरजपुर में स्थित पुलिस डीडीलाइन ले जाया जाएगा। मौके पर हजारों पुलिसकर्मी तैनात रहे। किसानों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 के उल्लंघन पर गिरफ्तार किया गया और उन्हें बसों में भर कर जिला जेल भेज दिया गया। पुलिस प्रशासन का कहना था कि नियमों के उल्लंघन करने की वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया।
किसानों की मांग
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने की मांग कर रहे हैं। वे 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।