पीड़ित की मंदिर में जाने से रोकने वालों से तीखी बहस हुई और घटना का वीडियो वायरल हो गया। इसके चलते दोनों समुदायों में तनाव पैदा हो गया। बाद में पीड़ित ने बदावनहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे।

तुमकुरु जिले के मधुगिरी तालुक के कवनदला गांव में शनिवार को उस समय तनाव फैल गया जब एक दलित युवक को मंदिर में जाने से रोक दिया गया और मंदिर समिति के फैसले पर आपत्ति जताने पर उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। जिला प्रशासन ने दखल दिया और मंदिर समिति के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया। वहीं गांव में शांति बैठक की और तय किया कि दलितों को गांव के मंदिरों में जाने की अनुमति दी जाए।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित की मंदिर में जाने से रोकने वालों से तीखी बहस हुई और घटना का वीडियो वायरल हो गया। इसके चलते दोनों समुदायों में तनाव पैदा हो गया। बाद में पीड़ित ने बदावनहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे। मंदिर समिति को कड़ी चेतावनी देने के बाद कि किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने से रोकना जातिगत भेदभाव है जिसके लिए दंडात्मक कार्रवाई होगी। प्रशासन द्वारा युवक को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई।
पुलिस के अनुसार, पड़ोसी गांव का रहने वाला पीड़ित स्वामीनाथ कवनदला गांव में अपने रिश्तेदार से मिलने आया था और पूजा करने के लिए रामंजनेया मंदिर गया। मंदिर जाते समय उसे शिवानंद नाम के व्यक्ति ने रोक दिया और उसे बाहर रहने के लिए कहा, क्योंकि उसके समुदाय के लोगों को सदियों से मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी और स्थानीय ग्रामीण भी इसी का पालन करते हैं।
इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए स्वामीनाथ ने संविधान में अपने अधिकारों का हवाला दिया और तल्ख बहस शुरू हो गई। जल्द ही अन्य ग्रामीण भी इसमें शामिल हो गए और उन्होंने स्वामीनाथ को अपमानित किया और उसे बाहर रहने के लिए मजबूर किया, जिसके बाद उसने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
तुमकुरु जिले के पुलिस अधीक्षक अशोक के.वी. ने कहा कि हालांकि सरकारी अधिकारियों द्वारा बुलाई गई शांति बैठक में इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया, लेकिन जातिगत भेदभाव के मामले की जांच जारी रहेगी और जांच के नतीजे के आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञात हो कि दलितों के साथ भेदभाव का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं देखने को मिली हैं।
दलितों के साथ भेदभाव का एक मामला कर्नाटक के कोप्पल जिले के मुड्डाबल्ली गांव में हाल ही में सामने आया था। यहां दलित समाज के लोगों ने जब नाई से बाल काटने को कहा तो गांव की सभी नाई की दुकानें बंद कर दी गई। यह गांव कोप्पल जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर है।
द मूकनायक ने स्थानीय सूत्रों के हवाले से लिखा, करीब दो महीने पहले भी ऐसी ही शिकायतें सामने आई थीं, जब गांव के नाई दलित लोगों को बाल काटने या दाढ़ी बनाने से इनकार कर रहे थे। पुलिस के दखल और ‘अस्पृश्यता’ कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी के बाद नाईयों ने काम करना शुरू किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, नाई जानबूझकर दलित ग्राहकों से दूरी बना रहे और अन्य जातियों के लोगों के घर जाकर काम कर रहे हैं।
इस भेदभाव के चलते मुड्डाबल्ली के दलित लोगों को बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने के लिए कोप्पल शहर जाना पड़ रहा है।
वहीं, कुछ दिनों पहले राजस्थान में दलित नेता के मंदिर में प्रवेश करने पर मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इस मामले में भाजपा ने पार्टी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्हें दलित व्यक्ति और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीका राम जूली के दौरे के बाद अलवर के एक मंदिर का 'शुद्धिकरण' करने पर ‘अनुशासनहीनता’ का दोषी पाया गया था।
इस घटना को लेकर काफी हंगामा हुआ था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेता राहुल गांधी ने भी इसकी कड़ी आलोचना की थी। हालांकि, आहूजा ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और उनका कृत्य कांग्रेस पार्टी के खिलाफ था।
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तुमकुरु जिले के मधुगिरी तालुक के कवनदला गांव में शनिवार को उस समय तनाव फैल गया जब एक दलित युवक को मंदिर में जाने से रोक दिया गया और मंदिर समिति के फैसले पर आपत्ति जताने पर उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। जिला प्रशासन ने दखल दिया और मंदिर समिति के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया। वहीं गांव में शांति बैठक की और तय किया कि दलितों को गांव के मंदिरों में जाने की अनुमति दी जाए।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित की मंदिर में जाने से रोकने वालों से तीखी बहस हुई और घटना का वीडियो वायरल हो गया। इसके चलते दोनों समुदायों में तनाव पैदा हो गया। बाद में पीड़ित ने बदावनहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे। मंदिर समिति को कड़ी चेतावनी देने के बाद कि किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने से रोकना जातिगत भेदभाव है जिसके लिए दंडात्मक कार्रवाई होगी। प्रशासन द्वारा युवक को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई।
पुलिस के अनुसार, पड़ोसी गांव का रहने वाला पीड़ित स्वामीनाथ कवनदला गांव में अपने रिश्तेदार से मिलने आया था और पूजा करने के लिए रामंजनेया मंदिर गया। मंदिर जाते समय उसे शिवानंद नाम के व्यक्ति ने रोक दिया और उसे बाहर रहने के लिए कहा, क्योंकि उसके समुदाय के लोगों को सदियों से मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी और स्थानीय ग्रामीण भी इसी का पालन करते हैं।
इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए स्वामीनाथ ने संविधान में अपने अधिकारों का हवाला दिया और तल्ख बहस शुरू हो गई। जल्द ही अन्य ग्रामीण भी इसमें शामिल हो गए और उन्होंने स्वामीनाथ को अपमानित किया और उसे बाहर रहने के लिए मजबूर किया, जिसके बाद उसने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
तुमकुरु जिले के पुलिस अधीक्षक अशोक के.वी. ने कहा कि हालांकि सरकारी अधिकारियों द्वारा बुलाई गई शांति बैठक में इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया, लेकिन जातिगत भेदभाव के मामले की जांच जारी रहेगी और जांच के नतीजे के आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञात हो कि दलितों के साथ भेदभाव का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं देखने को मिली हैं।
दलितों के साथ भेदभाव का एक मामला कर्नाटक के कोप्पल जिले के मुड्डाबल्ली गांव में हाल ही में सामने आया था। यहां दलित समाज के लोगों ने जब नाई से बाल काटने को कहा तो गांव की सभी नाई की दुकानें बंद कर दी गई। यह गांव कोप्पल जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर है।
द मूकनायक ने स्थानीय सूत्रों के हवाले से लिखा, करीब दो महीने पहले भी ऐसी ही शिकायतें सामने आई थीं, जब गांव के नाई दलित लोगों को बाल काटने या दाढ़ी बनाने से इनकार कर रहे थे। पुलिस के दखल और ‘अस्पृश्यता’ कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी के बाद नाईयों ने काम करना शुरू किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, नाई जानबूझकर दलित ग्राहकों से दूरी बना रहे और अन्य जातियों के लोगों के घर जाकर काम कर रहे हैं।
इस भेदभाव के चलते मुड्डाबल्ली के दलित लोगों को बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने के लिए कोप्पल शहर जाना पड़ रहा है।
वहीं, कुछ दिनों पहले राजस्थान में दलित नेता के मंदिर में प्रवेश करने पर मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इस मामले में भाजपा ने पार्टी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्हें दलित व्यक्ति और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीका राम जूली के दौरे के बाद अलवर के एक मंदिर का 'शुद्धिकरण' करने पर ‘अनुशासनहीनता’ का दोषी पाया गया था।
इस घटना को लेकर काफी हंगामा हुआ था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेता राहुल गांधी ने भी इसकी कड़ी आलोचना की थी। हालांकि, आहूजा ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और उनका कृत्य कांग्रेस पार्टी के खिलाफ था।
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