काश! भारतीय मीडिया इन मामलों पर भी उत्सुक होता

Written by Rajeev Rawat | Published on: March 1, 2018
फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी की मौत का मामला लगातार चार दिन चर्चाओं में रहा. हर किसी मीडिया चैनल पर सारे मुद्दे गायब कर श्रीदेवी की मौत, उनके अतीत और वर्तमान को बखूबी चित्रित किया. इतने एंगल किसी फिल्म डॉयरेक्टर को भी पता नहीं होंगे मीडिया ने ऐसी स्टोरियां चलाईं. यहां तक कि पहले उनकी मौत को हार्ट अटैक बताया गया और फिर कार्डिएक अरेस्ट. लेकिन मामला शराब के नशे में बाथटब में डूबकर मरने का निकला. इसपर न्यूजरूम में तो बाथरूम बनाए ही गए बल्कि एक पत्रकार ने तो बाथटब में लेटकर भी रिपोर्टिंग का नजारा दिखा दिया. श्रीदेवी की मौत की रिपोर्टिंग के विभिन्न आयामों को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता राजीव रावत ने कुछ सवाल खड़े किए हैं. पढ़िए....


कैसे न्यायाधीश Loya मर गए, कार के अंदर हरेन पांड्या को गोली मार दी गई थी और कार में खून नहीं थी, गोधरा में होने वाली घटना के बारे में मोदी को कैसे पता था.

कैसे, सोहराबुद्दीन की हत्या हुई और पृथ्वी के चेहरे से कौसर बाई कैसे गायब हो गई, कैसे इशरत जहां मर गई. छोटा मोदी के नोटबंदी के कुछ घंटे पहले 90 करोड़ रुपये बैंक में जमा कराया, 11,400 करोड़ घोटाला तोड़ने से पहले कैसे छोटा मोदी अपने पूरे परिवार को भारत से बाहर ले जाने में कामयाब रहे.

कैसे विजय मल्ल्या बच गए, ललित मोदी ने खुद को कैसे बना लिया. कैसे अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस कंपनी के रूप में रफेल डील को 35,000 करोड़ ऑफसेट अनुबंध मिला, दो दिन पहले कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था.
 
सरकार उत्पादन मूल्य से 177% मार्कअप पर पेट्रोल और डीजल कैसे बेच रही है. कैसे न्यायाधीश लोया के फोन ने नागपुर से लातूर तक 500+ किलोमीटर की यात्रा की और स्वयं बहेती के हाथों पहुंचे और सभी रिकॉर्ड साफ कर दिए गए.

कैसे जय शाह 80,00,00,000 के कारोबार के साथ एक कंपनी में 50,000 रुपए की पूंजी कंपनी बना लिए. 13,000 करोड़ के प्रकटीकरण के साथ महेश शाह को कैसे टीवी स्टूडियो के अंदर से गिरफ्तार किया गया और फिर से कभी नहीं सुना. 500/1000 नोटों की जगह कैसे 2000 रुपए नोटों भ्रष्टाचार को समाप्त करने जा रहे थे.

टाटा नैनो कार के लिए रतन टाटा को कैसे 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है. गौतम अदानी को अचूक कीमतों पर जमीन क्यों मिली.

अरुण जेटली ने 16000 रुपये प्रतिदिन किराये पर लैपटॉप और प्रिंटर लिया और 400 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति आधार के साथ समाप्त हो गया, जबकि कुछ साल पहले वह कीर्ति आजाद के कार्यालय से बाहर बैठे थे और फिएट का ओल्ड मॉडल कार था.

केंद्र में सिर्फ 4 सालों तक बीजेपी 1350 करोड़ रुपये के कार्यालय का निर्माण करने में कामयाब रहा कैसे?

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