विधायक जिग्नेश मेवाणी ने अमित शाह को लिखे गए पत्र में एडीजीपी के निलंबन की मांग की।
गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र में गुजरात के एडीजीपी (एससी/एसटी) राजकुमार पंडियन के तत्काल निलंबन की मांग की है। पंडियन पर मेवाणी ने हाल ही में हुई एक बैठक के दौरान अनुचित और अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है। ज्ञात हो कि यह बैठक गुजरात के कच्छ जिले में दलितों की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, मेवाणी ने शाह को लिखे अपने पत्र में 15 अक्टूबर 2024 की घटनाओं का उल्लेख किया, जब वे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हितेंद्र पिटाडिया अहमदाबाद में एडीजीपी पंडियन के कार्यालय गए थे। यह बैठक उन दलित परिवारों की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के मुद्दे को उठाने के लिए आयोजित की गई थी, जिन्हें 1980 के दशक में जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन उन्हें आज तक जमीन का वास्तविक कब्जा नहीं मिला।
मेवाणी ने पत्र में यह लिखा कि भूमि विवाद दशकों से चला आ रहा है। हालांकि सरकारी कागजों में जमीन आवंटित की गई है, लेकिन दलित परिवारों को अब तक जमीन का नियंत्रण नहीं मिल पाया है। पिछले वर्ष इसी मामले में उस समय दो दलित व्यक्तियों की हत्या भी कर दी गई थी जब उन्होंने अपनी जमीन पर जाने की कोशिश की थी। इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मेवाणी ने सार्वजनिक रूप से अधिकारियों से दलितों को उनकी जमीन का कब्जा दिलाने का आह्वान किया था, जिसके बाद राजस्व विभाग ने अवैध कब्जे का पंचनामा किया।
हालांकि, कब्जे की पुष्टि के बावजूद, स्थानीय अधिकारियों ने अभी तक ठोस कार्रवाई करने में विफलता दिखाई है। मेवाणी ने बताया कि उन्होंने कच्छ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) से कई बार एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कार्रवाई का अनुरोध किया, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। एसपी और रेंज आईजी चिराग कोराड़िया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर मेवाणी ने एडीजीपी पंडियन से मिलने का फैसला किया।
मेवाणी ने कहा कि पंडियन से मुलाकात के दौरान उन्हें और पिटाडिया को अपमानजनक और सख्त तरीके से अपने मोबाइल फोन बाहर रखने का आदेश दिया गया। इस पर मेवाणी ने पंडियन को कहा कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें शिष्टाचार और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। बावजूद इसके पंडियन ने बैठक समाप्त कर दी और भविष्य में कोई भी अपाइंटमेंट देने से इनकार कर दिया।
मेवाणी ने पत्र में उल्लेख किया कि "मैं भविष्य में आपसे नहीं मिलूंगा; आपको मेरे कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।" इसके बाद पंडियन ने अपने जूनियर अधिकारियों को पिटाडिया को जबरदस्ती कार्यालय से बाहर निकालने का निर्देश दिया।
मेवाणी ने यह भी आरोप लगाया कि पंडियन ने उनकी ड्रेस को लेकर भी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि मेवाणी टी-शर्ट पहनकर उनसे मिलने आए थे। मेवाणी कहते हैं कि यह एक धमकी के रूप में देखा जा सकता है, जो उनके मुताबिक, बिल्कुल अनुचित और अव्यवसायिक था।
अपने पत्र में विधायक मेवाणी ने पंडियन के व्यवहार की निंदा की और कहा कि यह एक अधिकारी के घमंड और दलितों के मुद्दों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। मेवाणी ने आगे लिखा, "राजकुमार पंडियन ने न केवल एक निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ दुर्व्यवहार किया है बल्कि उन्होंने गुजरात के पचास लाख दलितों की गरिमा, अधिकार और सम्मान का अपमान किया है।" उन्होंने कहा कि पंडियन का व्यवहार दलितों के भूमि अधिकारों के मुद्दों के प्रति उपेक्षा का प्रतीक है।
रिपोर्ट के अनुसार मेवाणी ने पंडियन के अतीत का भी जिक्र किया, जिसमें उनका फर्जी मुठभेड़ मामले में सात साल की जेल की सजा भुगतना भी शामिल था। मेवाणी ने कहा कि यह इतिहास और पंडियन का वर्तमान व्यवहार उनके इस पद पर बने रहने की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
जिग्नेश मेवाणी ने अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की और पंडियन के निलंबन करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी मांग की कि पंडियन गुजरात के दलित समुदाय से बिना शर्त माफी मांगे। मेवाणी ने कहा कि पुलिस विभाग की साख को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
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गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र में गुजरात के एडीजीपी (एससी/एसटी) राजकुमार पंडियन के तत्काल निलंबन की मांग की है। पंडियन पर मेवाणी ने हाल ही में हुई एक बैठक के दौरान अनुचित और अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है। ज्ञात हो कि यह बैठक गुजरात के कच्छ जिले में दलितों की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, मेवाणी ने शाह को लिखे अपने पत्र में 15 अक्टूबर 2024 की घटनाओं का उल्लेख किया, जब वे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हितेंद्र पिटाडिया अहमदाबाद में एडीजीपी पंडियन के कार्यालय गए थे। यह बैठक उन दलित परिवारों की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के मुद्दे को उठाने के लिए आयोजित की गई थी, जिन्हें 1980 के दशक में जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन उन्हें आज तक जमीन का वास्तविक कब्जा नहीं मिला।
मेवाणी ने पत्र में यह लिखा कि भूमि विवाद दशकों से चला आ रहा है। हालांकि सरकारी कागजों में जमीन आवंटित की गई है, लेकिन दलित परिवारों को अब तक जमीन का नियंत्रण नहीं मिल पाया है। पिछले वर्ष इसी मामले में उस समय दो दलित व्यक्तियों की हत्या भी कर दी गई थी जब उन्होंने अपनी जमीन पर जाने की कोशिश की थी। इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मेवाणी ने सार्वजनिक रूप से अधिकारियों से दलितों को उनकी जमीन का कब्जा दिलाने का आह्वान किया था, जिसके बाद राजस्व विभाग ने अवैध कब्जे का पंचनामा किया।
हालांकि, कब्जे की पुष्टि के बावजूद, स्थानीय अधिकारियों ने अभी तक ठोस कार्रवाई करने में विफलता दिखाई है। मेवाणी ने बताया कि उन्होंने कच्छ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) से कई बार एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कार्रवाई का अनुरोध किया, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। एसपी और रेंज आईजी चिराग कोराड़िया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर मेवाणी ने एडीजीपी पंडियन से मिलने का फैसला किया।
मेवाणी ने कहा कि पंडियन से मुलाकात के दौरान उन्हें और पिटाडिया को अपमानजनक और सख्त तरीके से अपने मोबाइल फोन बाहर रखने का आदेश दिया गया। इस पर मेवाणी ने पंडियन को कहा कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें शिष्टाचार और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। बावजूद इसके पंडियन ने बैठक समाप्त कर दी और भविष्य में कोई भी अपाइंटमेंट देने से इनकार कर दिया।
मेवाणी ने पत्र में उल्लेख किया कि "मैं भविष्य में आपसे नहीं मिलूंगा; आपको मेरे कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।" इसके बाद पंडियन ने अपने जूनियर अधिकारियों को पिटाडिया को जबरदस्ती कार्यालय से बाहर निकालने का निर्देश दिया।
मेवाणी ने यह भी आरोप लगाया कि पंडियन ने उनकी ड्रेस को लेकर भी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि मेवाणी टी-शर्ट पहनकर उनसे मिलने आए थे। मेवाणी कहते हैं कि यह एक धमकी के रूप में देखा जा सकता है, जो उनके मुताबिक, बिल्कुल अनुचित और अव्यवसायिक था।
अपने पत्र में विधायक मेवाणी ने पंडियन के व्यवहार की निंदा की और कहा कि यह एक अधिकारी के घमंड और दलितों के मुद्दों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। मेवाणी ने आगे लिखा, "राजकुमार पंडियन ने न केवल एक निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ दुर्व्यवहार किया है बल्कि उन्होंने गुजरात के पचास लाख दलितों की गरिमा, अधिकार और सम्मान का अपमान किया है।" उन्होंने कहा कि पंडियन का व्यवहार दलितों के भूमि अधिकारों के मुद्दों के प्रति उपेक्षा का प्रतीक है।
रिपोर्ट के अनुसार मेवाणी ने पंडियन के अतीत का भी जिक्र किया, जिसमें उनका फर्जी मुठभेड़ मामले में सात साल की जेल की सजा भुगतना भी शामिल था। मेवाणी ने कहा कि यह इतिहास और पंडियन का वर्तमान व्यवहार उनके इस पद पर बने रहने की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
जिग्नेश मेवाणी ने अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की और पंडियन के निलंबन करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी मांग की कि पंडियन गुजरात के दलित समुदाय से बिना शर्त माफी मांगे। मेवाणी ने कहा कि पुलिस विभाग की साख को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
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