असम सीएम का विवादास्पद बयान: 12 जिलों में असमिया अल्पसंख्यकों के लिए इज़रायल से सबक  

Written by sabrang india | Published on: December 12, 2024
असम आंदोलन असमिया लोगों की पहचान की रक्षा के लिए था, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि खतरा खत्म नहीं हुआ है। हर दिन जनसांख्यिकी बदल रही है।


साभार : सोशल मीडिया एक्स (स्क्रीनशॉट)

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मंगलवार को कहा कि राज्य के 35 जिलों में से 12 जिलों में स्थानीय असमिया लोग अल्पसंख्यक बन गए हैं, और उन्हें इज़राइल से यह सीखना चाहिए कि दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद कैसे समृद्ध हुआ जाए और जीवित रहा जाए।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सोनितपुर जिले के जमुगुरीहाट में ‘शहीद दिवस’ के मौके पर एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि असम की सीमाएं कभी भी सुरक्षित नहीं रही हैं। असम में हर साल शहीद दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य 1979 से 1985 तक चले असम आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देना है। यह दिन खड़गेश्वर तालुकदार की मृत्यु की याद में मनाया जाता है, जिन्हें असम आंदोलन का पहला ‘शहीद’ माना जाता है। यह आंदोलन 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ था।

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा, "ऐतिहासिक रूप से हमारी सीमाएं बांग्लादेश, म्यांमार और पश्चिम बंगाल के साथ साझा होती हैं। हम (असमिया लोग) 12 जिलों में अल्पसंख्यक हैं। हमें इज़राइल जैसे देशों के इतिहास से सीखना होगा कि कैसे ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके और अदम्य साहस के साथ, दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद भी यह एक मजबूत देश बन गया है। तभी हम एक जाति (समुदाय) के रूप में जीवित रह सकते हैं।"

शर्मा ने आगे कहा कि असम समझौते के लगभग 40 साल बाद भी बाहरी लोगों से "खतरा" खत्म नहीं हुआ है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने असम समझौते के खंड 6 पर एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसका उद्देश्य स्वदेशी लोगों को अधिक सुरक्षा प्रदान करना है।

उन्होंने कहा, "राज्य में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन ने यह सुनिश्चित किया है कि असमिया और भारतीय मूल के लोग आने वाले कई वर्षों तक कम से कम 105 सीटों (कुल 126 में से) पर निर्वाचित होंगे। इससे हमारे राजनीतिक अधिकार सुरक्षित हुए हैं।"

सीएम ने कहा कि पिछले तीन सालों में राज्य सरकार ने 10,000 हेक्टेयर से ज़्यादा भूमि से अवैध अतिक्रमण हटाया है और यह सुनिश्चित किया है कि अहोम शासकों के चराइदेव दफन टीलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर का दर्जा मिले।

उन्होंने कहा, "मेरी सरकार ने राज्य में तेजी से विकास सुनिश्चित करते हुए असमिया लोगों की पहचान को बनाए रखने पर भी बराबर ध्यान दिया है। मैं ऐसा कोई विकास नहीं चाहता, जिससे असमिया लोगों के अस्तित्व को खतरा हो।"

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