ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट के मामले में भाजपा नेता की शिकायत पर अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गिरफ्तार

Written by sabrang india | Published on: May 19, 2025
प्रोफेसर महमूदाबाद को देशद्रोह और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपों को लेकर गिरफ्तार किया गया। यूनिवर्सिटी एसोसिएशन ने उनकी गिरफ्तारी को गिरफ्तारी को "सुनियोजित उत्पीड़न" बताया।


साभार : आईएएनएस (स्क्रीनग्रैब)

अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने रविवार 18 मई को गिरफ्तार कर लिया। ये मामला ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस ब्रीफिंग को लेकर उनकी टिप्पणी से जुड़ा है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, महमूदाबाद को देशद्रोह और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपों के तहत हिरासत में लिया गया। इससे पहले हरियाणा राज्य महिला आयोग ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए महमूदाबाद को तलब किया था।

हरियाणा में उनके खिलाफ़ भाजपा के युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर कार्रवाई की गई। पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के अनुसार जठेरी हरियाणा के एक गांव के सरपंच हैं और महमूदाबाद की टिप्पणी से आहत हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महमूदाबाद को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें सोनीपत की अदालत में पेश किया गया और उन्हें दो दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। अगली सुनवाई 20 मई को दोपहर 2 बजे होगी।

उनके परिवार ने जानकारी दी कि उन्हें रविवार सुबह दिल्ली स्थित उनके आवास से पुलिस ने हिरासत में लिया।

उनके परिवार ने बताया कि हरियाणा पुलिस के करीब 10-15 जवान रविवार सुबह लगभग 6:30 बजे अपार्टमेंट में घुसे और महमूदाबाद को स्थानीय पुलिस स्टेशन में पेश करने के बाद सोनीपत ले गए। प्रोफेसर महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाते हैं।

महमूदाबाद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 152 के अंतर्गत 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों' के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से ऐसे कार्य किए जो राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचा सकते हैं और नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, उन पर धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य, दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना फैलाने अथवा उसे बढ़ावा देने का प्रयास करने का भी आरोप है।

उल्लेखनीय है कि महमूदाबाद के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया द्वारा भेजे गए नोटिस के कुछ दिनों बाद की गई। इस नोटिस में उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने सैन्य महिला अधिकारियों विशेष रूप से कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह का अपमान किया और भारतीय सशस्त्र बलों में उनके पेशेवर योगदान को कमतर आंकने का प्रयास किया।

महमूदाबाद पर संवेदनशील समय में लोगों को देश के खिलाफ भड़काने का आरोप लगाया गया है।

एफआईआर में कहा गया है, ‘ऐसे संवेदनशील समय में बाहरी ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए लोगों को एकजुट करने के बजाय, प्रोफेसर भावनाओं को भड़काते रहे और धर्म के नाम पर बाहरी या विदेशी ताकतों को फायदा पहुंचाने का काम करते रहे।’

जठेरी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद कर्नल सोफिया कुरैशी की मीडिया ब्रीफिंग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में यह टिप्पणी की थी कि किस तरह आम मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

हरियाणा राज्य महिला आयोग ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए महमूदाबाद को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया कि उनके आचरण, टिप्पणियों और बयानों ने महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और संरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं।

नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया कि महमूदाबाद की पोस्ट ने सीमा पार आतंकवाद के जवाब में की गई राष्ट्रीय सैन्य कार्रवाइयों और उसमें महिला अधिकारियों की भूमिका को बदनाम करने का प्रयास किया है। इसके साथ ही, इस पोस्ट को हिंसा भड़काने, विशेष रूप से सांप्रदायिक सौहार्द्र को बाधित करने और राष्ट्रीय अखंडता को कमजोर करने वाला बताया गया है। आयोग ने यह भी कहा कि इस पोस्ट से महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंची है।

8 मई को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में अशोका विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख महमूदाबाद ने कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा करने वाले हिंदुत्व समर्थकों के अंतर्विरोधों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा की गई प्रेस ब्रीफिंग प्रतीकात्मक रूप से भले ही महत्वपूर्ण हो, लेकिन जब तक इसे ज़मीनी हकीकत में नहीं बदला जाता, यह केवल एक पाखंड भर है।

इसके बाद हरियाणा राज्य महिला आयोग ने यह दावा किया कि महमूदाबाद की टिप्पणियों से भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा देने वाली महिला अधिकारियों का अपमान हुआ है और उनके बयानों ने सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने का काम किया है।

महिला आयोग की प्रतिक्रिया के जवाब में महमूदाबाद ने कहा था, 'मेरी टिप्पणियों को पूरी तरह से गलत तरीके से समझा गया है और इस मामले में आयोग के पास कोई वैध अधिकार क्षेत्र नहीं है... मुझे भेजे गए समन यह स्पष्ट करने में असफल रहे कि मेरी पोस्ट किस प्रकार महिलाओं के अधिकारों या प्रासंगिक कानूनों के खिलाफ है।

महमूदाबाद के अनुसार, 'मैंने कर्नल कुरैशी का समर्थन करने वाले दक्षिणपंथियों की सराहना की और उन्हें यह सुझाव दिया कि वे आम भारतीय मुसलमानों के प्रति भी ऐसा ही रवैया अपनाएं, जो दैनिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं... मेरी टिप्पणी नागरिकों और सैनिकों दोनों के जीवन की सुरक्षा से संबंधित थी। इसके अलावा, मेरी टिप्पणियों में कहीं भी स्त्री-द्वेष की कोई भावना नहीं थी।

इस मामले को लेकर अशोका यूनिवर्सिटी ने कहा था कि प्रोफेसर की ये टिप्पणियां विश्वविद्यालय के मत का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, अशोका यूनिवर्सिटी के फैकल्टी एसोसिएशन ने महमूदाबाद का साथ दिया और गिरफ्तारी को "सुनियोजित उत्पीड़न" बताया। एसोसिएशन ने लिखा, "अशोका यूनिवर्सिटी का फैकल्टी एसोसिएशन निराधार और अपुष्ट आरोपों पर प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता है। हम उनके साथ किए गए सुनियोजित उत्पीड़न की निंदा करते हैं: नई दिल्ली में उनके घर से सुबह-सुबह गिरफ्तार किए जाने के बाद, उन्हें सोनीपत ले जाया गया, आवश्यक दवा नहीं दी गई और उनके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी दिए बिना घंटों तक घुमाया गया। फैकल्टी एसोसिएशन हमारे सहकर्मी के पूर्ण समर्थन में है, जो विश्वविद्यालय समुदाय के एक अहम सदस्य हैं, अपने छात्रों के लिए एक प्रिय और सम्मानित शिक्षक और मित्र हैं और बेहद जिम्मेदार नागरिक हैं, जो अपनी सारी ऊर्जा और सीख सांप्रदायिक सद्भाव और व्यापक भलाई को बढ़ावा देने में लगाते हैं।"

प्रोफेसर, 'महमूदाबाद के राजा' मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान 'सुलेमान' के बेटे हैं। उन्होंने कैम्ब्रिज से इतिहास में एमफिल और सामाजिक विज्ञान में पीएचडी की है, और वे अशोका विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं।

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