नोटबंदी के बाद अमित शाह से जुड़े सहकारी बैंक पर ईडी का छापा

Written by | Published on: December 23, 2016

 नोटबंदी के तीन दिन बाद ही अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक में 500 करोड़ जमा करने की खबर के बाद ईडी ने इस पर छापा मारा था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस बैंक के निदेशकों में शामिल हैं।

 
नोटबंदी के ऐलान के चंद घंटों के बाद ही आश्रम रोड के अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक में 500 करोड़ की बड़ी रकम जमा करने की खबर मिली। इस बैंक के डायरेक्टर बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह हैं। 19 दिसंबर को ईडी और इनकम टैक्स अफसरों ने इस बैंक में छह घंटे तक छापेमारी की कार्रवाई की। यह इस बैंक पर दूसरी कार्रवाई है।
 

कहा जा रहा है कि नोटबंदी के तीन दिन बाद ही यानी 8 से 12  दिसंबर, 2016  को एक को-ऑपरेटिव बैंक में 500 करोड़ रुपये जमा किए गए। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह इस बैंक के निदेशकों में एक हैं। अब ईडी और आयकर विभाग के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं। यह बैंक अहमदाबाद आश्रम रोड पर स्थित है। हालांकि इस छापेमारी के बारे में मीडिया में चुप्पी रही। या कहिये कि इस खबर को ब्लैक आउट कर दिया गया। मीडिया में तमिलनाडु के मुख्य सचिव पी रामा मोहन रेड्डी और जे शेखर रेड्डी के यहां छापेमारी की तो खूब चर्चा हुई लेकिन उस को-ऑपरेटिव बैंक में छापे को मीडिया में दबा दिया गया, जिसके निदेशक अमित शाह हैं।  


 
बुधवार यानी 21 दिसंबर को आयकर अधिकारियों ने चेन्नई के पॉश इलाके अन्नानगर में तमिलनाडु ‌ के मुख्य सचिव के घर से 30 लाख की नकदी और पांच किलो सोना बरामद करने का दावा किया। इसके अलावा उनके और सात अन्य ठिकानों पर छापे मारने का दावा किया गया। आयक विभाग के सूत्रों के मुताबिक मुख्य सचिव के बेटे विवेक राव और आंध्रप्रदेश के चित्तूर और चेन्नई में उनके कुछ  रिश्तेदारों के भी यहां छापे मारे गए। इससे पहले आयकर अधिकारियों ने तमिलनाडु के तीन बिजनेसमैन के यहां छापे मार कर 100 किलो सोना, 96 करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट और 34 करोड़ रुपये की नई करेंसी बरामद की। जिन व्यापारियों के यहां छापे मारे गए उनमें से एक जे शेखर रेड्डी भी था, जिसके तमिलनाडु के मुख्य सचिव के बेटे विवेक राव से कारोबारी संबंध बताए जा रहे हैं। जे शेखर रेड्डी को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया था।
 
लेकिन इन छापों की तुलना में १९ दिसंबर को अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक में पड़े ईडी और आयकर विभाग के छापे पर मिडिया में कमोबेश चुप्पी छाई रही। सिर्फ आउटलुक हिंदी ने इस खबर को छापी। इस सहकारी बैंक में जो 500  करोड़ रुपये जमा हुए थे, उसका ज्यादातर हिस्सा नोटबंदी के ऐलान की रात ही जमा किया गया था। इस बैंक की १९० शाखाएं हैं। लेकनि इतनी बड़ी रकम सिर्फ आश्रम रोड स्थित बैंक के मुख्यालय में ही जमा की गई। दरअसल 8 नवंबर की रात से बैंक में पैसा आना शुरू हो गया था। इस सहकारी बैंक के ज्यादातर ग्राहक और डिपोजिटर छोटे वेंडर और किसान हैं। आयकर विभाग अब इस बैंक से हासिल सीसीटीवी के विजुअल खंगाल रहा है। गुजरात के दूसरे सहकारी बैंकों में भी इसी तरह के अवैध नोट काफी बड़ी मात्रा में जमा किए गए हैं। सबरंगइंडिया ने अहमदाबाद  डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक के मैनेजर से बात करने की कोशिश की लेकिन मैनेजर श्री बहेड़िया से बातचीत नहीं हो पाई। बिजली न होने की वजह से बैंक हमारे कॉल ट्रांसफर नहीं कर पाया।
 
इस मामले से जाहिर होता है कि बीजेपी से नजदीकी संबंध रखने वालों ने नोटबंदी के बाद बड़ी मात्रा में अपना पैसा इन सहकारी बैंकों में जमा किया है। गुजरात के १८ सहकारी बैंकों में से १७ का प्रबंधन और प्रशासन बीजेपी के हाथ में है।

गुजरात के एक सहकारी बैंक के पास 200 करोड़ रुपये का डिपोजिट आया। इस बैंक के चेयरमैन गुजरात के एक मंत्री शंकर भाई चौधरी हैं।
 
क्या नोटबंदी एक फरेब है। एक तरफ गुजरात के सहकारी बैंकों का इस्तेमाल बीजेपी के लिए अपने काले धन को ठिकाने लगाने में किया जा रहा है। दूसरी ओर, सरकार केरल और दूसरे राज्यों के सहकारी बैंकों को बरबाद करने में तुली है।

आरबीआई के निर्देश के मुताबिक आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात के संदिग्ध सहकारी बैंकों की छानबीन शुरू कर दी है।
 
अहमदाबाद मिरर के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को आश्रम रोड स्थित एक सहकारी बैंक के आश्रम रोड स्थित ब्रांच में सात घंटे तक तलाशी ली और वहां से कुछ दस्तावेज बरामद किए। अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव (एडीसी) बैंक की वेबसाइट में कहा गया है कि इसके निदेशकों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय के जोनल दफ्तर से जुड़े एक अधिकारी ने 19 तारीख की कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि 500 और 1000 के नोटों को बदलने और उन्हें जमा लेने के रिकार्ड में गड़बड़ी के शक के बाद छानबीन करने का फैसला किया गया। मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद छापेमारी की गई।

नोटबंदी के ऐलान के बाद अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक में यह दूसरी छापेमारी थी। बैंक अधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार किया कि वे प्रवर्तन निदेशालय के कर्मचारियों से पूरा सहयोग कर रहे हैं। चेयरमैन अजय पटेल ने कहा - प्रवर्तन निदेशालय के कर्मचारी सोमवार को रूटीन चेकिंग के लिए आए थे। वे शाम छह बजे चले गए। हालांकि सूत्रों का कहना था कि बैंक में तलाशी अभियान सात घंटे तक चला। उन्होंने कई दस्तावेजों की जांच की और सीसीटीवी फुटेज खंगाले। गौरतलब है कि नोटबंदी के फैसले के ऐलान में मोदी सरकार ने जिला सहकारी बैंकों में 500 और 1000 नोटों को बदलने और जमा करने पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद गुजरात के सहकारी बैंक इन नोटों को जमा करने और बदलने में कैसे सफल रहे। जबकि देश की आम जनता को बैंकों की लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है।
 
अहमदाबाद के सहकारी बैंक पर पहली छापेमारी की खबर मीडिया में आई थी। पूर्व बीजेपी विधायक यतीन ओझा ने इसके बारे में लोगों को जानकारियां दी थी। वेब पोर्टल और पीएम को लिखी खुली चिट्ठी के जरिये इस मामले के बारे में लोगों को बताया गया था। 18 नवंबर को सबरंगइंडिया ने इस मामले की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। सबरंगइंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक – यतीन ओझा ने पीएम नरेंद्र मोदी पर देश को मूर्ख बनाने का आरोप लगाया था।

इसके पहले कोलकाता से निकलने वाले माकपा के मुखपत्र गणशक्ति में 8 नवंबर को यह रिपोर्ट छापी गई थी कि किस तरह बीजेपी के नेता पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले से पहले ही 500 और 1000 के नोटों को गैरकानूनी तौर पर बैंकों में जमा किया था। यह बताया गया था कि बीजेपी के एक खाते में किस तरह रहस्यमय तरीके से एक करोड़ रुपये जमा हो गए।

​​​​​​​असली सवाल है कि पश्चिम बंगाल में जो हुआ क्या वह दूसरे राज्यों में भी हुआ। और इससे भी बढ़ कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के दूसरे सहयोगी संगठन का खातों का क्या हुआ।
नोटबंदी का फैसला लागू हुए 43 दिन हो चुके हैं। इस दौरान छोटे और बड़े डिपोजिटरों को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। मोदी सरकार की ओर से बगैर सोचे-समझे इस फैसले को लागू करने से आम लोगों की दिक्कतों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
 
 
 
 

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