ईंट भट्ठों में काम करने वाले मजदूरों का नौकरों से भी बुरा बर्ताव किया जाता हैः एनजीओ रिपोर्ट

Written by सबरंगइंडिया | Published on: September 20, 2017



ईंट के भट्ठों में काम करने वाले लाखों मजदूरों से बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया जाता है और उनके मजदूरी के पैसों से धोखाधड़ी की जाती है। एंटी स्लेवरी इंटरनेशनल नाम के गैर-सरकारी संगठन द्वारा किए गए अध्ययन में इसका खुलासा बुधवार को किया गया। संगठन ने सरकार से कार्रवाई करने की मांग की है।

पंजाब में एंटी स्लेवरी इंटरनेशनल द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया गया कि एनजीओ द्वारा भट्ठा मजदूरों को मुक्त कराया जाता है, वे अपनी बकाया मजदूरी लेने वहां जाते हैं। भारत में हजारों भारत में करीब एक करोड़ मजदूर ईंट भट्ठों पर जानलेवा गर्मी और जीवन के खतरों वाले प्रदूषण के बीच काम करते हैं।

ये भट्ठें भारत के आर्थिक चमत्कार का छिपा हुआ हिस्सा बन गया है। दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में ये चमचमाते कार्यालयों, कारखानों और कॉल सेंटर के लिए निर्माण सामग्री का निर्माण करते हैं।

अपने बच्चों को इस तरह के कठिन कार्यों में भेजने के लिए गरीब परिवार के लोगों को मजबूर होना पड़ता है जबकि श्रमिकों को ईंटों की संख्या के अनुसार भुगतान किया जाता है।

इनविजिबल चेन रिपोर्ट ने पाया कि चिलचिलाती गर्मी के महीनों में 14 वर्ष से कम उम्र के 65 से 80फीसदी बच्चे 9 घंटे काम करते हैं।

एनजीओ के एशिया प्रोग्राम मैनेजर सारा माउंट ने कहा कि हमलोगों ने बंधुआ मजदूर और बाल श्रम का भयावह स्तर पाया है...किशोर बच्चे स्कूल जाने के बजाए धूल भरे क्षेत्रों में दिन में 9 घंटे काम करते हैं। इन क्षेत्रों में रासायनिक प्रभाव भी होता है।

उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि अकसर ईंट भट्ठों में काम करने श्रमिकों को किसी मौसम ईंट भट्ठों से बंधुआ मजदूर की स्थिति से मुक्त कराया जाता है लेकिन तब उनके पास अगले मौसम में कम विकल्प होता है पर वे फिर ईंट भट्ठों में काम करते हैं।


बंधुआ मजदूरी भारत में अवैध है लेकिन कानूनों के थोड़े डर के साथ ज्यादा फायदा हासिल करने के लिए नियमों को निरंतर तोड़ा जाता है।

35 वर्षीय नोहर बाइ का कहना है कि पांच महीने तक दिन और रात काम किया जिसके बदले में काफी कम मजदूरी दी गई। नोहर बाइ का कहना है कि पति के साथ मिलकर एक दिन में करीब 1400 ईंट तैयार कर लेते थें। हमलोगों का 23 लोगों का एक ग्रुप है और रात में वे हमलोगों को एक छोटे कमरे में रखकर ताला बंद कर देते थे। नौकर से भी बुरा बर्ताव किया जाता था। नोहर बाइ ने ये बात एएफपी को फोन पर बताई थी।


एक बच्चे की मां 26 वर्षीय रिंकी ने कहा कि भट्ठा मालिक ने उसके परिवार को 32 हजार में ले लिया था।
रिंकी ने आगे कहा कि हम वहां काम करने के लिए फिर से वापस नहीं जाएंगे, भले ही हमें हमारी कमाई को छोड़ना पड़े।


उधर पंजाब के लेबर कमिशनर ने भट्ठों पर नियमों की अनदेखी के मामले से इनकार किया है। उन्होंने एएफपी को फोन पर बात करते हुए कहा कि जब भी हमें शिकायत मिलती है हम फौरन कार्रवाई करते हैं।


एनजीओ ग्रपु के निदेशक जय सिंह ने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूरों को हमेशा उचित मजदूरी दिया जाए। इससे गरीबी खत्म करने में सहायता मिलेगी और बच्चों को काम करने की आवश्यकता कम होगी।
 

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